बिहार की राजनीति से जुडी बड़ी खबर, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान के इकलौते बेटे आयान (17) ने की खुदकुशी, उसने पटना के सरकारी आवास पर की आत्महत्या, मिली जानकारी के अनुसार आयान का शव MLC आवास पर ही फंदे से लटका मिला, मौके पर पुलिस अधिकारी पहुंचे और कर रहे है जांच, वही इस दुखद खबर के बाद लगातार कांग्रेस नेता शकील अहमद खान के आवास पर पहुंच रहे हैं, शकील अहमद खान की एक बेटी भी है जो इंग्लैंड में लॉ की कर रही है पढ़ाई, बता दें 18 जनवरी को ही राहुल गांधी के पटना दौरे के दौरान शकील अहमद खान ने अपने बेटे को मंच पर लाकर मिलाया था राहुल गांधी से, इस दौरान आयान ने राहुल गांधी को एक पेंटिंग भी दी थी, राहुल गांधी ने पेंटिंग की तारीफ भी की थी
क्या जंगपुरा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच फंस गए हैं मनीष सिसोदिया?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी है, जहां भारतीय जनता पार्टी को कभी जीत हासिल नहीं हो पायी है. हालांकि इस बार उनका दाव आप आदमी पार्टी पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. जंगपुरा से इस बार आप की ओर से मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं. सिसोदिया पटपड़गंज से विधायक रहते हुए दिल्ली शराब नीति की वजह से लंबे समय तक जेल में थे. हालांकि आरोप साबित नहीं हो पाए और जमानत पर बाहर चल रहे हैं. पटपड़गंज में खतरा देख उन्हें जंगपुरा से मौका दिया गया है. सीट का इतिहास कुछ ऐसा है कि यहां अब तक 7 चुनाव हुए हैं, जिनमें से तीन बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को चार बार जीत हासिल हुई है. 2013, 2015, 2020 में आप जीत की हैट्रिक जमा चुकी है लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी तरविंदर सिंह मारवाह की उम्मीदवारी से सिसोदिया फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं.
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तीन बार के विधायक रहे हैं मारवाह
तरविंदर सिंह मारवाह कांग्रेस की ओर से तीन बार जंगपुरा से विधायक रहे हैं. उन्होंने 1998, 2003 और 2008 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता. उसके बाद लगातार तीन बार उन्हें आप के हाथों हार का सामना भी करना पड़ा. मारवाह ने जुलाई 2022 में कांग्रेस नेतृत्व पर पुराने पार्टी सदस्यों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और हाथ का साथ छोड़ बीजेपी की शरण ली, जिसका इनाम उन्हें टिकट के रूप में मिला. जंगपुरा में तरविंदर सिंह एक जाना पहचाना नाम है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. वहीं मनीष सिसोदिया की पहचान दिल्ली की स्कूलों के सुधारक के तौर पर है.
आप विधायक से नाराजगी
आप के दो बार के विधायक प्रवीण कुमार के प्रति लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. नाराजगी की वजह सफाई, टूटी सड़कें, जाम सीवरेज और अन्य स्थानीय मुद्दे हैं जिनकी क्रियान्वति नहीं हो पा रही है. जल विहार इलाके की झुग्गियों में हालात काफी बुरे बताए जा रहे हैं. वहीं मनीष सिसोदिया अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं. लोगों में उनके प्रति छवि काफी अच्छी है, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है. कांग्रेस ने यहां से दिल्ली के मेयर रह चुके फरहाद सूरी को टिकट दिया है. वे दरियागंज से 4 बार पार्षद रह चुके हैं. हालांकि उनका दावा सिसोदिया और मारवाह के मुकाबले काफी हल्का माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने काफी सोच विचार कर सूरी पर दाव खेला है. यहां के निजामुद्दीन इलाके सहित अन्य जगहों पर मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
कांटे की हो सकती है टक्कर
तरविंदर सिंह मारवाह भले ही काफी अनुभवी राजनेता हैं लेकिन उनके बीजेपी में जाने से लोग नाखुश हैं. वहीं मनीष सिसोदिया भी सरकार में चार बार विधायक एवं दो बार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. केजरीवाल पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि सरकार बनने पर सिसोदिया एक बार फिर उप मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे. इन हालातों में जंगपुरा में आम जनता की समस्याओं का निदान होना तय है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों के सुधार का पूरा श्रेय सीधे तौर पर सिसोदिया को ही जाता है. ऐसे में सिसोदिया का पलड़ा यहां कांग्रेस के फरहाद सूरी और बीजेपी के मारवाह पर भारी पड़ता दिख रहा है.
अचानक बदल गए फलोदी सट्टा बाजार के भाव! देखें दिल्ली में किसकी बनेगी सरकार?
दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुडी बड़ी खबर, मतदान से पहले सामने आया राजस्थान के चर्चित फलोदी सट्टा बाजार का आंकलन, अचानक बदले फलोदी सट्टा बाजार के भाव, चुनाव से तीन दिन पहले फलोदी सट्टा बाजार ने जारी किया नया पूर्वानुमान, फलोदी सट्टा बाजार के ताजा आंकलन की मानें तो इस पूर्वानुमान के अनुसार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ बनने जा रही है, फलोदी सट्टा बाजार ने दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को दी हैं 37 से 39 सीटें, वहीं भाजपा के 31 से 33 सीटें जीतने का पूर्वानुमान किया गया जारी, फलोदी सट्टा बाजार के भावों में कांग्रेस को जगह नहीं दी गई
करतार सिंह तंवर की जीवनी | Kartar Singh Tanwar Biography in Hindi
Kartar Singh Tanwar Latest News – इस बार दिल्ली के छतरपुर विधानसभा का चुनाव रोचक है. कारण यह है कि जो उम्मीदवार पिछले चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़कर विधायक बने थे, वह अब भाजपा में शामिल होकर भाजपा का उम्मीदवार बन गए है जबकि जो पहले भाजपा में थे वह अब आम आदमी पार्टी में शामिल होकर आप का उम्मीदवार है. पिछले दो चुनावों में करतार सिंह तंवर छतरपुर विधानसभा से जीतते आ रहे है. लेकिन पिछले वर्ष वह आप छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. थे. उनके ऐसा करने पर उन्हें अयोग्य भी ठहरा दिया गया था और उन्हें अपनी विधायकी गवानी पड़ी थी. इसी के बाद 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने छतरपुर विधानसभा सीट से करतार सिंह तंवर को टिकट दिया है. इस लेख में हम आपको करतार सिंह तंवर की जीवनी (Kartar Singh Tanwar Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
करतार सिंह तंवर की जीवनी (Kartar Singh Tanwar Biography in Hindi)
पूरा नाम | करतार सिंह तंवर |
उम्र | 62 साल |
जन्म तारीख | 12 दिसंबर 1962 |
जन्म स्थान | दिल्ली |
शिक्षा | सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा |
कॉलेज | जी.बी. पंत पॉलिटेक्निक, ओखला, नई दिल्ली |
वर्तमान पद | दिल्ली के छतरपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, व्यापार |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पिता का नाम | होराम |
माता का नाम | – |
पत्नी का नाम | – |
बच्चे | – |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | – |
स्थाई पता | दिल्ली |
वर्तमान पता | दिल्ली |
फोन नंबर | – |
ईमेल | – |
करतार सिंह तंवर का जन्म और परिवार (Kartar Singh Tanwar Birth & Family)
करतार सिंह तंवर का जन्म 12 दिसंबर 1962 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता का नाम होराम था. करतार सिंह तंवर धर्म से हिन्दू है और जाति से गुर्जर है. करतार सिंह तंवर पर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.
करतार सिंह तंवर की शिक्षा (Kartar Singh Tanwar Education)
करतार सिंह तंवर की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से हुई थी. उन्होंने वर्ष 1984 में जी.बी. पंत पॉलिटेक्निक, ओखला, नई दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लिया था.
करतार सिंह तंवर का शुरूआती जीवन (Kartar Singh Tanwar Early Life)
करतार सिंह तंवर मध्यमवर्गीय परिवार से आते है. करतार सिंह तंवर शुरूआती दिनों से ही राजनीति में रूचि रखने वाले व्यक्ति थे और वह पार्षद भी रह चुके है. पर इसके बावजूद उन्होंने सरकारी नौकरी की. करतार पेशे से एक इंजिनियर है और वह प्रत्यक्ष राजनीति से पहले तक दिल्ली जल बोर्ड में जूनियर इंजिनियर हुआ करते थे. पर बाद में जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में लोकपाल आंदोलन हुए तब और उनके साथ अरविंद केजरीवाल भी जुड़ गए. तब इंडिया अगेंस्ट करप्सशन के लिए मुहीम चलाने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ अन्य लोगो की भांति करतार सिंह तंवर भी जुड़ गए थे और फिर यही से इनकी राजनैतिक यात्रा शुरू हुई.
करतार सिंह तंवर का राजनीतिक करियर (Kartar Singh Tanwar Political Career)
करतार सिंह तंवर ने अपनी राजनीतिक यात्रा वर्ष 2007 में शुरु कि थी. उस समय करतार सिंह भाटी वार्ड (दो कार्यकाल) के लिए पार्षद बने थे. पर इससे पहले वह दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में जूनियर इंजीनियर थे.
उन्हें प्रत्यक्ष राजनीति में लाने का श्रेय आम आदमी पार्टी को जाता है. जब केजरीवाल का दिल्ली की राजनीति में आना हुआ तब उनसे कई ऐसे लोग जुड़ गए जो राजनीति में अपना करियर बनाना चाहते थे उनके एक नाम करतार सिंह का भी है. करतार सिंह अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि इससे पहले तक वह भाजपा के नेता हुआ करते थे. पर 2014 में करतार सिंह आप में शामिल होकर उनके नेता बन गए.
इसके बाद करतार सिंह तंवर पहली बार वर्ष 2015 में दिल्ली के छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के ब्रह्म सिंह तंवर से था. इस चुनाव में करतार सिंह तंवर की जीत हुई.
और जब 2020 दिल्ली विधान सभा चुनाव आया तब दूसरी बार आम आदमी पार्टी ने उन्हें छतरपुर से अपना उम्मीदार बनाया. इस बार भी उन्होंने जीत दर्ज की. पिछले चुनाव की भांति इस बार भी उनका मुकाबला भाजपा के ब्रह्म सिंह तंवर से था. पर इस चुनाव में उन्होंने महेन्द्र नागपाल को लगभग 4 हजार वोटो के अंतराल से पराजित किया. इस जीत के साथ करतार सिंह तंवर दिल्ली विधानसभा में दूसरी बार जीतकर विधायक बने. 2020 के दिल्ली में विधानसभा के चुनाव करतार सिंह तंवर को कुल 69,411 मत पड़े थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के ब्रह्म सिंह तंवर को 65,691 मत पड़े थे.
लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले 10 जुलाई 2024 को करतार सिंह तंवर ने आम आदमी पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद सितंबर 2024 को करतार सिंह को दिल्ली विधानसभा स्पीकर राम निवास गोयल ने दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. इसके बाद 10 जुलाई 2024 से करतार सिंह की विधानसभा सदस्यता समप्त कर दी गई.
अब जब 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने टिकट वितरित किया तो करतार सिंह तंवर को छतरपुर से अपना उम्मीदवार बनाया. अब यहां पर मामला उल्टा पड़ गया जो ब्रह्म सिंह तंवर कल तक भाजपा के नेता हुआ करते थे वह अब आम आदमी पार्टी के नेता बनकर करतार सिंह तंवर के प्रतिद्वंदी बन गए. वर्तमान में करतार सिंह तंवर भाजपा से चुनाव लड़ रहे है जबकि ब्रह्म सिंह तंवर आप से चुनाव लड़ रहे है. इस सीट से कांग्रेस से राजिंदर सिंह तंवर चुनाव लड़ रहे है.
वर्तमान में करतार सिंह तंवर दिल्ली के छतरपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार है.
दिल्ली का छतरपुर विधानसभा क्षेत्र
छतरपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दिल्ली के 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रो में से एक है. छतरपुर विधानसभा सीट दिल्ली के दक्षिण दिल्ली जिले में पड़ता है. इस निर्वाचन क्षेत्र की संख्या 46 है. छतरपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण दिल्ली लोकसभा का एक हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद अस्तित्व में आया.
करतार सिंह तंवर की संपत्ति (Kartar Singh Tanwar Net Worth)
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय अपने दिए गए हलफनामें में करतार सिंह तंवर ने अपनी सम्पत्ति 23 करोड़ 84 लाख रूपये घोषित की है जबकि उन पर 12 करोड़ 47 लाख का कर्ज भी है.
इस लेख में हमने आपको करतार सिंह तंवर की जीवनी (Kartar Singh Tanwar Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.
दिल्ली में भी चल गया बीजेपी का ऑपरेशन लोट्स.. आप में मची भगदड़ का क्या है राज?
दिल्ली विधानसभा चुनाव से महज 4 दिन पहले आम आदमी पार्टी के 8 विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं, एक दिन बाद सभी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. मतदान से ठीक पहले ताबड़तोड़ इस्तीफें आप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पार्टी छोड़ने की वजह टिकट का न मिलना रहा. वैसे इन नेताओं ने पार्टी छोड़ने की वजह पार्टी में बढ़ते भ्रष्टाचार को बताया है. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब इन सभी का टिकट एक महीने पहले ही कट चुका था तो ऐन वक्त पर इन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी. हालांकि बीजेपी में शामिल होते ही उनका जवाब बिना दिए ही सबके सामने आ गया. अब अगला सवाल ये है कि क्या बीजेपी ने दिल्ली में भी ऑपरेशन लोट्स चला दिया है.
महरौली से विधायक नरेश यादव, आदर्श नगर से पवन शर्मा, बिजवासन से भूपेंदर सिंह जून, कस्तूरबा नगर से विधायक मदनलाल, त्रिलोकपुरी से रोहित मेहरौलिया, जनकपुरी से राजेश ऋषि, पालम से भावना गौड़ और मादीपुर से विधायक गिरीश सोनी ने शुक्रवार को पद से इस्तीफा दिया था और शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. अन्ना आंदोलन के समय से अरविंद केजरीवाल का साथ निभा रहे त्रिलोकपुरी से विधायक रोहित मेहरौलिया ने बताया कि टिकट कटने के बाद से ही सभी विधायक आपस में संपर्क में थे. सभी ने एक दिन पहले विधानसभा परिसर में एक बैठक की ओर मंथन के बाद इस्तीफे का फैसला लिया. सभी ने एक मत से कहा कि पार्टी अपने रास्ते से भटक गयी है.
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इधर, पार्टी के अन्य मौजूदा विधायक ऋतुराज झा ने यह कहते हुए सभी विधायकों की कलाई खोल दी कि उन्हें भी बीजेपी का ऑफर आया था लेकिन हर कोई बिकाउ नहीं होता. आम आदमी पार्टी के जिन विधायकों का टिकट कटा, उनमें से झा भी एक हैं. झा ने पार्टी छोड़ने वालों के लिए कहा कि आप सभी को विधायक अरविंद केजरीवाल ने ही बनाया था और इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा. उन्होंने खुद को केजरीवाल का सच्चा सिपाही बताया. साथ ही दिल्ली चुनाव में आप की जीत का दावा भी ठोका.
गौरतलब है कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान होना है. 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे. 70 विधानसभा सीटों के लिए कुल 699 उम्मीदवार मैदान में हैं. वोटिंग से केवल चार दिन पहले इन सभी नेताओं का बीजेपी में शामिल होना आम आदमी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि इनसे पार्टी को मिलने वाले वोट पर असर पड़ना निश्चित है. अब देखना ये होगा कि इन सभी नेताओं का बीजेपी में जाना आम आदमी पार्टी को कितना भारी पड़ता है.
‘हमारे राजस्थान को फिर से केंद्र सरकार ने किया निराश, उम्मीद थी कि…’ बजट पर ये बोले बेनीवाल
केंद्रीय बजट 2025 पर नागौर से सांसद और RLP पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने दिया बयान, सांसद बेनीवाल ने बजट को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर साधा निशाना, बेनीवाल ने कहा- किसी भी राज्य के लिए की गई घोषणाओं के विरोध में हम नहीं है लेकिन जिन राज्यों में चुनाव है उन राज्यों को ही मध्य नजर रखते हुए देश का आम बजट बनाना नहीं है अच्छी परम्परा,आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में जो बजट पेश किया उससे देश के किसान और युवाओं को निराशा ही हाथ लगी, भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है और अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को सरकार किस नजरिए से देखती है, इस बजट में यह स्पष्ट नजर आ गया क्योंकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कोई ठोस उपाय इस बजट में नहीं किए गए, केवल आकंड़ों के मायाजाल में उलझाने का प्रयास वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किया, किसानों की कर्ज माफी, MSP पर खरीद का गारंटी कानून लाने की कोई बात इस बजट में नहीं की गई जबकि इन मांगो को लेकर देश में किसान आंदोलन चल रहा है, सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा- देश का गरीब और मध्यम वर्ग बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है लेकिन महंगाई पर राहत देने के कोई ठोस उपाय नहीं किए गए, उम्मीद की जा रही थी पेट्रोल – डीजल की कीमतों में कमी लाई जाएगी लेकिन इस विषय पर भी बजट में नहीं की गई कोई कोई बात, युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार देने की बात नहीं की हैं, वहीं स्थाई रोजगार के ठोस उपायों का कोई जिक्र इस बजट में नहीं था, हमारे राजस्थान को फिर से केंद्र सरकार ने निराश किया, राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने, विशेष पैकेजे देने जैसी घोषणाओं की उम्मीद पर एक बार फिर मोदी सरकार ने पानी फेर दिया, अंत में बेनीवाल ने कहा- राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा व आम बजट पर चर्चा में राजस्थान के केंद्र से जुड़े तमाम मुद्दों को प्रभावी रूप से उठाऊंगा
केंद्रीय बजट पर सचिन पायलट ने दिया ये बड़ा बयान, कहा- गांव, गरीब, किसान की…
कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने केंद्रीय बजट 2025 पर दी प्रतिक्रिया, सचिन पायलट ने बजट को गांव, गरीब, किसान की अनदेखी करने वाला राजनीति से प्रेरित बताया, कहा- वित्त मंत्री ने बजट में यह नहीं बताया कि पिछले वर्षो के बजट्स में किसानों की आय दोगुनी करने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, रोजगार सृजन जैसी घोषणाओं पर क्या हुई प्रगति, सत्ता में बने रहने के लिए सहयोगी दलों पर निरंतर निर्भरता इस बजट में साफ देखने को मिलती है, केन्द्रीय बजट में इस प्रकार पूर्णतः राजनीतिक प्रभाव परिलक्षित होना है चिंतनीय, बजट में किसानों की भी स्पष्ट रूप से की गई अनदेखी, देश के किसान एम.एस.पी. पर कानून बनाने की मांग को लेकर पिछले लम्बे समय से है आन्दोलनरत्, सचिन पायलट ने आगे कहा- बजट में किसानों की इस मांग को पूर्णतः अनदेखा किया गया है, किसान क्रेडिट कार्ड की न्यूनतम सीमा बढ़ाने से किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं होगा, यह लघु अवधि का ऋण मात्र है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए मनरेगा में पिछले वर्ष के बजट 86 हजार करोड़ रूपये में कोई वृद्धि नहीं किया जाना है निराशाजनक, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने आगे कहा- राजस्थान के संदर्भ में भी बजट पूर्णतः निराशाजनक रहा है, ईआरसीपी और यमुना जल योजना को लेकर कोई आश्वासन या घोषणा बजट में नहीं किया जाना प्रदेश की जनता के साथ छलावा है, प्रदेश में रेल यातायात को और मजबूत करने के लिए नई रेल लाईन स्वीकृत करने तथा पिछली स्वीकृत रेल परियोजनाओं पर काम शुरू करने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया जाना राजस्थान की जनता के प्रति केन्द्र सरकार की अनदेखी को दर्शाता है, केन्द्रीय बजट में प्रदेश का जिक्र तक नहीं होना प्रदेश सरकार की विफलता को भी इंगित है कि राज्य सरकार राजस्थान के लिए केन्द्र से कोई नई योजना लाने में असफल रही, केंद्र पर निशाना साधते हुए पायलट ने कहा- केन्द्र सरकार ने देश को कर्ज में डुबोकर आर्थिक ढांचे को कमजोर करने का किया काम, बजट में सरकार द्वारा अगले वर्ष 12.76 लाख करोड़ रूपये से कर्ज के ब्याज का भुगतान करना बताया गया है जबकि इसके विपरीत पूंजीगत व्यय 11.24 लाख करोड़ रूपये बताया गया है जो कि सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाता है
‘यह बजट सिर्फ चुनावी फायदे के लिए बनाया गया…’ -दिव्या मदेरणा का मोदी सरकार पर हमला
केंद्रीय बजट 2025 को लेकर कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा ने मोदी सरकार पर साधन निशाना, कहा- मोदी सरकार को सिर्फ और सिर्फ चुनाव दिख रहा है, आज के बजट को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे देश का बजट नहीं, बल्कि बिहार की चुनावी घोषणा हो रही हो, कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा ने आगे कहा- उसमें भी पहले से चल रही योजनाओं को नई घोषणा बताकर बिहार की जनता को एक बार फिर ठगने की की जा रही है कोशिश, यह बजट सिर्फ चुनावी फायदे के लिए बनाया गया है, कुंभ मेले में सैकड़ों लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु पर मोदी सरकार मदद देना तो दूर, सही आंकड़े तक नहीं बता रही है, यह बजट जनता की भलाई के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए बनाया गया है
संदीप दीक्षित की जीवनी | Sandeep Dikshit Biography in Hindi
Sandeep Dikshit Latest News – 70 सदस्य वाले दिल्ली विधानसभा सीट में नई दिल्ली विधानसभा सीट इस बार भी हॉट सीट बना हुआ है. कारण यह है कि यहाँ से तीनो ही पार्टियों के बड़े नेता आमने सामने है. यहाँ से जहाँ एक ओर आम आदमी पार्टी के मुखिया व वर्त्तमान विधायक केजरीवाल चुनाव लड़ रहे है तो वही भाजपा से दो बार के सांसद रहे प्रवेश वर्मा है तो वही कांग्रेस से संदीप दीक्षित है. संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा दोनों के माता पिता में से कोई एक किसी समय दिल्ली के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. जहाँ प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे तो वही संदीप दीक्षित की माता शीला दीक्षित एक समय दिल्ली में सरकार चला चुकी है. अरविंद केजरीवाल शीला दीक्षित के विरुद्ध हवा बनाकर ही दिल्ली में सत्ता कायम किया था. पर अब शीला दीक्षित हमारे बीच नहीं रही है. इस बार उनके बेटे संदीप दीक्षित नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार है. यहाँ हम संदीप दीक्षित के बारें में ही बात कर रहे है. इस लेख में हम आपको राजस्थान संदीप दीक्षित की जीवनी (Sandeep Dikshit Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
संदीप दीक्षित की जीवनी (Sandeep Dikshit Biography in Hindi)
पूरा नाम | संदीप दीक्षित |
उम्र | 60 साल |
जन्म तारीख | 15 अगस्त 1964 |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
कॉलेज | सेंट स्टीफंस कॉलेज |
वर्तमान पद | नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, व्यापार |
राजनीतिक दल | कांग्रेस |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पिता का नाम | विनोद दीक्षित |
माता का नाम | शीला दीक्षित |
पत्नी का नाम | मोना दीक्षित |
बच्चे | एक बेटी |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | यामिनी |
स्थाई पता | दिल्ली |
वर्तमान पता | दिल्ली |
फोन नंबर | – |
ईमेल | – |
संदीप दीक्षित का जन्म और परिवार (Sandeep Dikshit Birth & Family)
संदीप दीक्षित का जन्म 15 अगस्त 1964 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था. उनके पिता का नाम विनोद दीक्षित था जबकि उनकी माता का नाम शीला दीक्षित था. संदीप दीक्षित के पिता विनोद दीक्षित उत्तर प्रदेश कैडर के एक आईएएस अधिकारी थे. जबकि उनकी माता शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थी. शीला दीक्षित कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री हुआ करती थी और उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस सरकार का एक लंबे समय तक नेतृत्व किया था. उनकी माता शीला दीक्षित का देहांत हो चुका है.
संदीप दीक्षित की 12 नवंबर 1992 को मोना दीक्षित के साथ विवाह हुआ. संदीप दीक्षित के एक लड़की है, जिनका नाम यामिनी है. संदीप दीक्षित हिन्दू है और वह जाति से ब्राह्मण है.
संदीप दीक्षित की शिक्षा (Sandeep Dikshit Education)
संदीप दीक्षित ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास स्नातकोत्तर (MA) किया है. बाद में उन्होंने ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) से ग्रामीण प्रबंधन में भी स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया था.
संदीप दीक्षित का शुरूआती जीवन (Sandeep Dikshit Early Life)
संदीप दीक्षित धनवान घराने से आते है. उनके पिता आईएस अफसर और माता दिल्ली की मुख्यमंत्री थी, इस कारण उनका जीवन संपन्न परिवेश में बीता था. राजनीति में आने से पहले संदीप दीक्षित ने सामाजिक विकास समूह ‘संकेत’ की स्थापना की थी. यह मध्य प्रदेश के लिए उप-राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट बनाने में सहायता करता था. संदीप ने भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रो के अलावे विशेषकर मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में स्वैच्छिक संगठनों के साथ काम करते हुए १५ वर्ष गुजारे थे. उन दिनों संदीप की माता शीला दीक्षित की दिल्ली में सरकार हुआ करती थी पर संदीप उन दिनों सामाजिक विकास समूहों से जुड़े हुए थे.
संदीप दीक्षित का राजनीतिक करियर (Sandeep Dikshit Political Career)
संदीप दीक्षित दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेत्री शीला दीक्षित के बेटे है. इसी कारण उनका राजनीति में आना कोई संयोग नहीं था. संदीप दीक्षित भारत की15वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके है. इसके साथ ही वह दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी है. संदीप दीक्षित वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2014 तक दो बार कांग्रेस के सांसद रह चुके है.
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने संदीप दीक्षित नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी सीट से अरविंद केजरीवाल ने संदीप दीक्षित की माता शीला दीक्षित को वर्ष 2013 और 2015 में पराजित कर चुके है. तो क्या इस बार संदीप दीक्षित अपनी माँ के हार का बदला लेने के लिए ही यहाँ से खड़े हुए है. पर संदीप का राह इतना आसान नहीं दीखता है क्योकि वहां से उनका मुकाबला केवल आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल से ही नहीं बल्कि भाजपा के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा से भी है. प्रवेश वर्मा दो बार के सांसद है. जबकि उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री थे.
वर्तमान में, संदीप दीक्षित नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार है.
संदीप दीक्षित से जुड़े विवाद
संदीप दीक्षित विवादों से भी घिरे रहे है. उन्होंने जून 2019 में सेना से जुड़े मामलो में एक विवाद खड़ा कर दिया था. उस समय उन्होंने तत्कालीन भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल शहीद बिपिन रावत के व्यवहार की तुलना सड़क पर गुंडे से की थी. मामलों के तूल पकड़ते देख और लोगो के बढ़ते गुस्से के कारण संदीप ने जल्द ही ट्विटर पर माफ़ी मांग ली थी.
नई दिल्ली विधानसभा सभा क्षेत्र
नई दिल्ली, दिल्ली के सत्तर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. इसे पहले गोल मार्केट निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. पर 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा पुनर्गठन करने के बाद यह विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. नई दिल्ली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र नई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है. यह देश के वीवीआईपी क्षेत्रो में से एक है क्योकि यहाँ भारत सरकार के सभी बड़े प्रतिष्ठान है. साथ ही देश के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के निवास स्थान भी इन्ही विधानसभा क्षेत्रो में स्थित है. इसलिए यह क्षेत्र देश के सेंसिटिव जोन में आता है. दूसरी ओर यही क्षेत्र देश की राजधानी भी है. यह दिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण भागो में से एक है.
अगर राजनीति की बात करें तो 2013 से पहले इस विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जीतते रहे है पर 2013 से इस सीट से लगातार अरविंद केजरीवाल जीतते आ रहे है. 2008 में यहाँ से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने चुनाव जीता था पर बाद के दो चुनाव में इस सीट से केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था. 2013 और 2015 के चुनाव में शीला दीक्षित को इसी सीट से अरविंद केजरीवाल ने पराजित किया था.
इस लेख में हमने आपको संदीप दीक्षित की जीवनी (Sandeep Dikshit Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.