चूरू जिले में एक समय 18 सालो के लंबे इंतजार के बाद राजेंद्र सिंह राठौड़ ने तारानगर विधानसभा सीट को बीजेपी की झोली में डाला था. इस सीट पर 1990 से लेकर 2008 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 2008 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र सिंह राठौड़ ने इस तिलिस्म को तोड़ा और यहां विजय की पताका फहरायी. इसके बाद राठौड़ को चूरू विधानसभा सीट पर शिफ्ट किया गया और 2013 में बीजेपी के कद्दावर नेता और इसी सीट पर विधायक रह चुके जय नारायण पूनिया को उतारा और उन्होंने यहां जीत दर्ज की.
हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नरेंद्र बुड़ानिया ने यहां फिर से बीजेपी का सफाया करते हुए ‘हाथ’ की वापसी करायी. अब बीजेपी ने राजेंद्र राठौड़ को तारानगर सीट पर बुलाकर न केवल इस सीट को हॉट सीटों में शुमार कराया है, बल्कि बुड़ानिया के सामने चुनौती कड़ी कर दी है. राठौड़ मौजूदा समय में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं और मुद्दों की लंबी फेहरिश्त के साथ बुड़ानिया को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
6 बार के विधायक और कद्दावर नेता
राजेंद्र सिंह राठौड़ 2008 के विधानसभा चुनाव में तारानगर से जीते थे. उसके बाद 2013 में चूरू से जीते और तब से तारानगर में उनकी सक्रियता न के बराबर हो गयी है. वह चूरू से 6 बार विधायक रह चुके हैं. पिछला चुनाव भी उन्होंने चूरू विधानसभा से ही लड़ा था और विजयश्री हासिल की. राठौड़ की सियासी गिनती भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है इसलिए उनके लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय है. यही वजह है कि वर्तमान विधायक नरेंद्र बुड़ानिया अपनी जीत के लिए पूरा दम खम लगाए हुए हैं.
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राजेंद्र राठौड़ प्रदेश बीजेपी का मजबूत और बड़ा चेहरा हैं. कद्दावर नेता गुलाबचंद्र कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि राठौड़ तारानगर से विधायक रह चुके हैं लेकिन स्थायी सीट छोड़कर वापस लौटे राठौड़ का फिलहाल स्थानीय कार्यकर्ताओं से जुड़ाव थोड़ा कम है और यही बुड़ानिया की मजबूती का आधार है.
तारानगर के मतदाताओं का गणित
चूरू जिले की तारानगर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख 61 हजार 625 है. इसमें 1 लाख 36 हजार 960 पुरुष और 1 लाख 24 हजार 633 महिला मतदाता हैं. दो थर्ड जेंडर भी है. जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर सर्वाधिक 75 हजार जाट, 63 हजार एससी-एसटी, 48 हजार ओबीसी, 25 हजार ब्राह्मण, 23 हजार मुस्लिम, 22 हजार राजपूत और 5 हजार वैश्य समाज के वोटर्स हैं. यहां जाट, मुस्लिम और एससी वोट बैंक का समर्थन बुड़ानिया को मजबूत बना रहा है. इधर, एससी-एसटी व 48 हजार ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए आखिरी समय तक राठौड़ पूरी ताकत लगा रहे हैं. इसी रणनीति के तहत पिछले दिनों एससी मोर्चा सम्मेलन बुलाकर भीड़ जुटा चुके हैं.
विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
पालिका क्षेत्र में बरसाती व गंदे पानी की निकासी प्रमुख मुद्दा है. वहीं तारानगर के बुचावास, सारायण, सात्यूं, मोरथल, ढिंगी, बुंगी आदि गांवों में जल संकट है. गर्मी के दिनों में जल संकट की समस्या अधिक गंभीर हो जाती है. फिलहाल किसी भी दल की ओर से इस समस्या के बारे में कोई घोषणा नहीं की गयी है.
सीट को लेकर सियासी रणनीति
तारानगर सीट पर वर्तमान विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया गहलोत सरकार की 7 गारंटियों एवं विकास कार्यों के दम पर चुनावी मैदान में हैं. वे पांच साल के विकास कार्यों, सरकार की योजनाओं एवं कुंभाराम आर्य लिफ्ट कैनाल प्रोजेक्ट से तारानगर को जोड़ने को बड़ी उपलब्धि के नाम पर वोट मांग रहे हैं. कांग्रेस पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार पर नहरी रकबे को काटने का आरोप भी लगा रही है.
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इधर, वहीं राजेंद्र राठौड़ पार्टी की ओर से किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही साथ भ्रष्टाचार, किसानों की अनदेखी व पेपर लीक जैसे मुद्दों के साथ प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा व उसके विकास मॉडल को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. एक बड़े चेहरे के तौर पर राजेंद्र राठौड़ का कदम काफी मजबूत है लेकिन जातिगत समीकरणों के हिसाब से कांग्रेस बुढ़ानिया भी कुछ कम नहीं आंके जा रहे हैं. ऐसे में हॉट सीट बनी चूरू जिले की तारानगर विधानसभा में चुनाव काफी रोचक होता नजर आ रहा है.