राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार टोंक जिले पर खासी नजर गढ़ी हुई है. वजह है इस विधानसभा सीट पर चल रहा 28 साल पुराना एक रिवाज, जिसे अब तक नहीं तोड़ा जा सकता है. इस विधानसभा क्षेत्र की खास बात यह है कि यहां से जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, प्रदेश में सरकार उसी दल की बनती है. वर्ष 1985 से यहां यही ट्रेंड चला आ रहा है. इस बार यहां से कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को टिकट दिया है. बीजेपी ने स्थानीय उम्मीदवार और टोंक विधायक रह चुके अजीत सिंह मेहता पर दांव खेला है.
हालांकि 2018 विस चुनाव मं बीजेपी ने मेहता को ही प्रत्याशी बनाया था लेकिन जब कांग्रेस ने पायलट को टोंक से अपना उम्मीदवार घोषित किया, बीजेपी ने ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदल यूनुस खान को मैदान में उतारा था. युनूस खान को हराकर सचिन पायलट पहली बार विधायक बने थे. अब लोगों में चर्चा है कि क्या इस बार यह परंपरा टूटेगी अथवा कायम रहेगी.
2.46 लाख वोटर्स, 8 प्रत्याशी मैदान में
टोंक विधानसभा सीट पर कुल 2.46 लाख वोटर्स हैं. इनमें सर्वाधिक 57 हजार एएसी, 55 हजार वोटर्स मुस्लिम, 25100 गुर्जर, 17600 जाट, 17500 वैश्य, 12100 ब्रह्ममण और 10 हजार एसटी वोटर्स हैं. यहां पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने बीजेपी प्रत्याशी युनूस खान को करीब आधे मार्जिन से हराया. पायलट को 1 लाख 09 हजार 040 वोट मिले जबकि युनूस खान को 54 हजार 861 मतों से ही संतोष करना पड़ा. इस सीट पर कहने को तो 8 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं लेकिन सीधा मुकाबला पायलट व मेहता के बीच है.
यह भी पढ़ें: अजमेर उत्तर में ‘सिंधी ही विजेता’ टोटका हिट लेकिन इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला
पिछले 15-18 दिनों से पायलट गांवों एवं शहर के वार्ड़ों का तूफानी दोरा कर रहे हैं. उनके चुनाव की कमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष हरिप्रसाद बैरवा एवं उनकी निजी टीम ने संभाल रखी है. बीजेपी प्रत्याशी अजीत सिंह मेहता भी शहर एवं गांवों में लोगों के बीच जाकर चुनाव जीतने के प्रयास में लगे हुए हैं. उनकी ओर से चुनावी कमान महेंद्र सिंह एव अन्य लोगों ने संभाल रखी है.
रोजगार यहां का मुख्य मुद्दा, रेल का मुद्दा भी अहम
पड़ताल में सामने आया कि टोंक में रोजगार यहां का प्रमुख मुद्दा है. रोजगार के अभाव में युवा एवं अन्य यहां से पलायन को मजबूर है. रेल का मुद्दा भी एक ज्वलंत मुद्दा है जिसका वादा हर बार सरकार करती है. हालांकि चुनाव आते ही यह वादा जख्मों को हरा करने जैसा होता है. शहर की ड्रेनेज व्यवस्था भी खस्तेहाल है. प्राचीन तालाब कचरे व गंदे नालों में तब्दील हो रहे हैं. वहीं जिले के लोग बीसलपुर पानी की सप्लाई की लंबे समय से मांग कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: सियासत की पिच पर क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे चांदना या सैनी लेंगे विकेट
यहा बीजेपी के अजीत सिंह भ्रष्टाचार दूर करने, कानून व्यवस्था में सुधार कर सुशासन की स्थापना और मूलभूत सुविधाओं का ढांचा मजबूत करने के वादों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं. वहीं पायलट को गुर्जर वोट बैंक, सरकार की 7 गारंटी और युवाओं का साथ मिल रहा है. अब देखना रोचक रहने वाला है कि सचिन पायलट यहां जीत दर्ज करते हुए टोंक सीट का रिवाज कायम रख पाते हैं या फिर नहीं.