Rajasthan Election: हाड़ौती क्षेत्र की हॉट सीटों में शुमार हिंडोली (बूंदी) विधानसभा क्षेत्र में चुनावी शोर पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार कुछ ज्यादा ही मच रहा है. वजह है गहलोत सरकार में मंत्री अशोक चांदना और नॉन स्टॉप दिग्गजों की रेलमपेल. इस सीट पर कांग्रेस के अशोक चांदना लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर चुके हैं और इस बार जीत की हैट्रिक लगाने को तैयार हैं. वहीं बीजेपी हिंडोली सीट को हर हाल में अपने कब्जे में लेने के लिए पूरा जोर लगा चुकी है. अशोक चांदना को टक्कर देने के लिए बीजेपी ने पूर्व में चुनाव जीत चुके प्रभुलाल सैनी (2008) पर विश्वास जताया है. यहां चांदना और सैनी के अलावा कुल 6 प्रत्याशी चुनावी दंगल में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. हालांकि मुख्य मुकाबला चांदना और सैनी के बीच है.
मीणा-माली बाहुल्य सीट पर एक तरफा मुकाबला
हिंडोली विधानसभा सीट पर माली, मीना, गुर्जर मतदाताओं का बाहुल्य है. इस विधानसभा क्षेत्र में 2.73 लाख मतदाता हैं जिनमें 1 लाख 42 हजार 531 पुरुष और 1 लाख 30 हजार 698 महिलाएं हैं. अशोक चांदना वर्ष 2013 एवं 2018 में यहां से जीत चुके हैं. 2018 में चांदना ने आमेंद्र सिंह और 2013 में उनके पिता महिपत को हराया था. इस बार यहां चांदना व प्रभुलाल सैनी में सीधा मुकाबला है. गुर्जर व मामली बाहुल्य सीट में प्रत्याशी अन्य जातियों के वोट में सेंध लगाने में जुटे हुए हैं. सामान्य वर्ग का मतदाता अभी खामोश है.
जातिगत समीकरणों को साधने में जुटे दिग्गज़
इस सीट पर प्रभुलाल सैनी वर्ष 2008 में चुनाव जीत चुके हैं. यही वजह है कि प्रभुलाल सैनी को चांदना की हैट्रिक रोकने के लिए एक बार फिर से मौका दिया गया है. सैनी एवं माली वोट बैंक को साधने की भी कोशिश की जा रही है. नामांकन के दिन अशोक चांदना और प्रभुलाल सैनी सभाएं कर अपना दमदार शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं. यहां कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर राजा बरार सभा को संबोधित कर चुके हैं.
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वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी, केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णापाल सिंह गुर्जर एवं सांसद सुभाष बहेड़िया भी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. दोनों प्रत्याशी जातिगत समीकरणों को साधने में जुटे हुए हैं. अशोक चांदना क्षेत्र में विकास के नाम पर तो सैनी केंद्र की योजनाओं के दम पर चुनाव मैदान में दम भर रहे हैं.
पर्यटन सहित कई प्रमुख मुद्दे हैं यहां
क्षेत्र में पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं लेकिन कोई अधिकांश योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पायी हैं. सड़कों को कई महिनों से डामरीकरण का इंतजार है. इस इलाके में नगर निकाय तो खुले लेकिन संसाधन नहीं मिल पाए. बांधों से नहरों का विस्तार करने, पर्यटन क्षेत्र का विकास, धरोहर को संरक्षण, बड़ोदिया, ठिकरदा एवं सथुर में लोक परम्परा को संरक्षण, गांवों में डामर सड़क, उद्योग क्षेत्र और रोजगार आदि की मांग बड़े पैमाने में की जा रही है.
इसके उत्तर में कांग्रेस की ओर से हर गांव में चार किमी. दूसरी में एक सीनियर सैकेंडरी विद्यालय, 15 किमी. पर महाविद्यालय की स्थापना और प्रत्येक पंचायत को ईआरसीपी से जोड़ने का वादा किया गया है. वहीं बीजेपी की ओर से सिंचाई तंत्र का नवीनीकरण, नगर पालिका क्षेत्र नैनवां, हिंडौली तथा देई के तालाबों का सौंदर्यकरण तथा पर्यटन सुविधाओं में बढ़ावा, ग्राम पंचायतों के विकास की डीपीआर बनाकर चरणबद्ध तरीके से विकास आदि का वादा किया गया है.