rajasthan election
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Rajasthan Election: भक्ति और शक्ति के साथ देशभक्त शिरोमणी धरती चित्तौड़गढ़ सीट इस बार भी खासी चर्चा में बनी हुई है. यहां जीत हार का फैसला मुख्य तौर पर राजपूत समाज करता आया है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपना दांव राजपूत उम्मीदवारों पर लगाया है. बीजेपी ने पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह जाड़ावत पर अपना दांव खेला है. विद्याधर नगर से सांसद दीया कुमार पार्टी प्रत्याशी घोषित करने और वर्तमान विधायक राजवी का टिकट कटने से समर्थकों में नाराजगी को भांपते हुए उन्हें चित्तौड़गढ़ से टिकट दिया गया है. इसके बाद बीजेपी से चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या नाराज हो गए और उन्होंने निर्दलीय ताल ठोकते हुए मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. चंद्रभान सिंह का चुनाव चिन्ह ‘कुकर’ है. चंद्रभान के मैदान में उतरने के बाद यहां से समीकरण रोचक हो चले हैं.

वादों और बातों में नहीं आता ​यहां का मतदाता

एक तरह से देखा तो नरपत सिंह राजवी यहां से नहीं है. ऐसे में उन्हें बाहरी बताया जा रहा है. यही उनका एक बड़ा माइनस पॉइंट है. वैसे राजवी अपनी चुनावी जनसभाओं में कांग्रेस राज में बिगड़ी कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था एवं पूर्व विधायकों द्वारा उद्योग न स्थापित होने के मुद्दे को उठा रहे हैं. मोदी की गारंटी भी राजवी के लिए ‘हारे का सहारा’ बनकर साथ खड़ी है. वहीं सुरेंद्र सिंह जाड़ावत गहलोत सरकार की 7 गारंटी घोषणाएं, पांच साल में किए गए विकास कार्यों और ओपीएस का वादा पूरा करने सहित अन्य सरकारी घोषणाओं के भरोसे मैदान में है. इधर, वर्तमान विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ‘बाहरी नहीं लोकल’ मुद्दे को भुना रहे हैं. आक्या चित्तौड़ का स्वाभिमान और जनता की हर समस्या को बड़ा मुद्दा करते हुए जनता में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे है.

जनसंपर्क में जमकर पसीना बहा रहे तीनों प्रत्याशी

चूंकि मामला टक्कर का है. ऐसे में तीनों चुनावी प्रत्याशी चुनावी रैलियों, जनसभाओं एवं जनसंपर्क में जमकर पसीना बहा रहे हैं. तीनों उम्मीदवारों की सोशल मीडिया भी बड़े स्तर पर काम कर रही है. चंद्रभान सिंह आक्या स्थानीय जनता को सबको साथ लेकर सबका विकास, बीजेपी की विचारधारा और गांव-शहर का बराबर ध्यान रखने का वादा दिला रहे हैं.

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इधर, राजवी बीजेपी के सनातन फॉर्मूले को लेकर चित्तौड़गढ़ के लोगों को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के दर्शन का वादा कर रहे हैं. साथ ही साथ कानून व्यवस्था में सुधार और यहीं रहकर जनता की समस्याओं के समाधान की बात कह रहे हैं. वहीं कांग्रेस के जाड़ावत मेडिकल कॉलेज में परम विशेषज्ञ सेवाओं की उपलब्धता, भविष्य की जरूरत को देखते हुए चंबल का पानी लाना और बिजली आपूर्ति बेहतर करने की दिशा में काम करने को लेकर जनता की नब्ज तलाश रहे हैं.

जाड़ावत-राजवी-आक्या के बीच त्रिकोणीय दंगल

कांग्रेस के ​प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, बीजेपी के नरपत सिंह राजवी और निर्दलीय चंद्रभान सिंह आक्या के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां मुख्य मुकाबला नरपत राजवी और चंद्रभान आक्या के बीच बताया जा रहा है. यहां कांग्रेस सरकारी योजनाओं के नाम पर तो बीजेपी बिगड़े हालातों को सुधारने के नाम पर वोट मांग रहे हैं. वहीं आक्या ‘बाहरी नहीं स्थानीय’ के मुद्दे पर जोर लगा रहे हैं. हालांकि राजवी और आक्या, दोनों की पृष्ठभूति बीजेपी की होने के चलते वोट बैंक का बंटना निश्चित है. ऐसे में कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को इसका फायदा पहुंच सकता है. हालांकि ये भी सच है कि कुकर की सीटी ने राजवी और जाड़ावत की नींद उड़ा रखी है.

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