आकाश आनंद की बसपा में रिएंट्री के बाद भी मायावती की रणनीति में बदलाव के क्या हैं मायने?

बुआ ने भतीजे को माफ तो ​किया लेकिन जिम्मेदारी से महरूम रखकर आकाश को फिर से पार्टी को समझने का दिया है मौका, दो राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बना पार्टी की गतिविधियों को रफ्तार देने का भी है प्रयास

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बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में रिएंट्री हो गयी है. आकाश से नाराज चल रही ममता ने पिछले महीने उन्हें सभी पदों से हटाने हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था. हालांकि कुछ दिन पहले माफी मांगने के बाद पार्टी चीफ ने भतीजे को माफ कर दिया और अब आकाश को पार्टी में फिर से शामिल कर लिया है. हालांकि उम्मीद के प्रतिकूल आकाश को पार्टी के किसी पद या किसी जिम्मेदारी से दूर रखा गया है. मायावती ने अपनी राजनीतिक रणनीति में बदलाव करते हुए और पार्टी की गतिविधियों को गति देने के लिए एक और राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर की नियुक्ति की है. पूर्व सांसद राजाराम को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है, जबकि आकाश आनंद को हटाने के बाद रामजी गौतम को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाया गया था. यह दोनों पार्टी की गतिविधियों को देश के अन्य राज्यों में बढ़ावा देंगे और इसकी सूचना मायावती को देंगे.

इससे पहले लखनउ में हुई पदाधिकारियों की एक बैठक में पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘माफी मांगने आया था, ​इसलिए पार्टी में तो लिया है लेकिन अभी जिम्मेदारी नहीं देने जा रही हूं.’ उन्होंने ये भी कहा कि माफी मांगने की वजह से ही उसकी पार्टी में वापसी हुई है. हालांकि मायावती का यह बयान इस बात का भी आंशिक संकेत है कि आगामी समय में आकाश में पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. आकाश की युवा वोटर्स पर पकड़ और उनका तेज तर्रार स्वभाव पार्टी के लिए बेहद फायदे का सौदा साबित होगा. दो दिन पहले आकाश ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई टवीट करते हुए माफी मांगी थी और मायावती ने टवीट के जरिए ही उनकी माफी और पार्टी में वापसी पर मुहर लगाई थी.

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इधर, पार्टी सुप्रीमो ने दो साल बाद यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों की चुनावी रणनीतियों पर अभी से काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि अगर सरकार बनानी है तो अगले पांच माह में बूथ स्तर पर कमेटियों का गठन करें. अगर कांशीराम के समय की तरह संगठन जमीन पर दिखने लगेगा तो हमें सरकार बनाने से कोई रोक नहीं पाएगा.

बता दें कि आकाश आनंद को पिछले साल मायावती ने अपना उत्तराधिकारी तक घोषित कर दिया था. इसके बाद स्थितियां तेजी से बदलीं. लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ आकाश आनंद का तीखा भाषण चर्चा का विषय बना. उनकी लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ी इसी दौरान मायावती ने आकाश आनंद को प्रचार से रोक दिया. इसके बाद उन्हें उत्तराधिकारी और बसपा के सभी पदों से हटाया. कुछ समय पहले आकाश आनंद और उनके ससुर को बसपा से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया. मायावती का आक्रोश मुख्य रूप से आकाश आनंद के ससुर को लेकर था.

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इसके बाद रविवार को आकाश आनंद ने भविष्य में अपने ससुराल वालों की नहीं सुनने और अभी तक हुई अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी. इसके बाद मायवती ने उन्हें माफ करते हुए पार्टी में शामिल तो कर लिया लेकिन फिलहाल के लिए चल रहे सभी कयासों पर रोक लगा दी. वैसे आकाश को अभी भी पार्टी का उत्तराधिकारी ही माना जा रहा है. फिर भी अब लगने लगा है कि आकाश को इसके लिए आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन का इंतजार करना होगा. अब देखना ये होगा कि बुआ भतीजे की अंदरूनी नाराजगी कब तक चलती है और आकाश के पार्टी में फिर से कब बड़ी जिम्मेदारी नसीब होती है.

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