पिछले कुछ सालों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कई चुनौतियों से जूझ रही है और देखा जाए तो करीब करीब बैकफुट पर है. पिछले दो आम चुनावों से पार्टी का सूखा चल रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा जबकि अन्य अस्तित्वहीन स्थानीय पार्टियां तक बसपा को पीछे धकलने में सफल रहीं. ऐसे मुश्किल सफर में सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाल एक नयी दुविधा का सामना किया, लेकिन अब लगता है कि मायावती और बसपा के अच्छे दिन फिर से लौटकर आ सकते हैं. आकाश ऐसा करने में सफल हो सकते हैं, जिन्होंने चुनौतियों से जूझ रही बसपा प्रमुख मायावती से माफी मांग पार्टी में वापसी के संकेत दिए हैं.
यह भी पढ़ें: ‘सीक्रेट फॉर्मूला’ के जरिए बीजेपी को टक्कर देने की तैयारी में कांग्रेस, अहम भूमिका में पायलट!
आकाश ने ये भी स्पष्ट किया है कि वह रिश्तों-नातों से ऊपर उठकर पार्टी की सेवा करेंगे और बुआ का ही कहना मानेंगे. आकाश के इस कदम से उनकी पार्टी में एंट्री करीब करीब पक्की है. ऐसे में एक युवा चेहरे के नेतृत्व ने पार्टी में नई ऊर्जा की आस जगाई है. हालांकि सवाल उठ रहा है कि क्या आकाश आनंद बसपा के अच्छे दिनों की वापसी करा पाएंगे? राजनीतिक विशेषज्ञ आकाश के इस कदम को बसपा के घटते रहे जनाधार के बीच नई ऊर्जा के रूप में देख रहे हैं.
बसपा में नहीं कोई बड़ा दलित चेहरा
मौजूदा समय में मायावती के अलावा बसपा में दूसरा कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है. सतीश चंद्र मिश्र की मौजूदगी पार्टी में जरूरी है लेकिन वह दलितों के बीच सर्वमान्य नहीं हैं. आकाश के बाहर जाने से पार्टी को नुकसान ही था. मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर पार्टी से दलित वर्ग के युवाओं को बांधे रखने की कोशिश की थी. मायावती भी यह समझती हैं कि आकाश के न रहने से पार्टी को नुकसान होगा. आकाश जाटव बिरादरी के युवा नेता हैं. ऐसे में जाटव वोट बैंक बांधे रखने के लिए आकाश ही एकमात्र सहारा हैं. उनके साथ रहने से ही पार्टी का भला है.
चंद्रशेखर आजाद है सबसे बड़ी चुनौती
बसपा के लिए मौजूदा समय चंद्रशेखर आजाद सबसे बड़ी चुनौती हैं. दलित युवाओं में उनकी खासी पैठ है. खासकर पश्चिमी यूपी में जाटव बिरादरी के युवाओं में. ऐसे में आकाश के आने से पार्टी को भारी फायदा होगा. मायावती के बाद वह पार्टी में दूसरा सबसे बड़ा चेहरा होंगे. चूंकि आकाश भी जाटव समाज के हैं, ऐसे में जाटव के साथ अन्य दलित बिरादरी के वोट बैंक को बांधे रखने में मदद करेंगे. आकाश युवा हैं और तेज तेरार्र भी, ऐसे में मैदान में उतर कर चंद्रशेखर आजाद के साथ ही बीजेपी, सपा व कांग्रेस को चुनौती देकर बसपा का पक्ष मजबूत करेंगे. आकाश के पार्टी में आने से उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के साथ जाकर दूसरी पार्टी बनाने की संभावना भी क्षीण होगी. दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर आकाश को शीर्ष पंक्ति में रखा जाए तो निश्चित तौर पर वह मेहनत करेंगे जिसका फायदा पार्टी को ही मिलेगा.
आकाश को लेकर निर्णय 16 को
बसपा प्रमुख मायावती ने 16 अप्रैल को प्रदेश प्रदेशाधिकारियों की एक बैठक बुलाई है. इसमें प्रदेश पदाधिकारियों के साथ जोनल प्रभारी, जिलाध्यक्ष सहित अन्य सदस्य शामिल होंगे. माना जा रहा है कि निर्धारित दिनांक पर मायावती आकाश आनंद के पार्टी में भविष्य को लेकर कुछ ऐलान जरूर करेंगी. आकाश की वापसी पार्टी के लिए कितनी फलदायी होगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन चंद्रशेखर आजाद की चुनौती के बीच आकाश एक तेज-तर्रार युवा चेहरे के रूप में पार्टी में जोश भरेंगे, इसमें तो किसी को कोई हैरत नहीं है.