इसमें कोई दो राय नहीं है कि मोदी राज आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया है कि उनसे पार पाना इतना आसान नहीं. ‘इंडिया’ महागठबंधन मिलकर भी बीजेपी के पहाड़ को सत्ता में आने से नहीं रोक सका. इसमें भी कोई शक नहीं है कि एक बारगी मान भी लिया जाए कि कांग्रेस या कोई मिली जुली सरकार केंद्र की सत्ता में स्थापित हो जाए तो भी लंबे समय तक बीजेपी को एक मजबूत विपक्ष के तौर पर स्वीकार न करना एक भारी भूल होगी. ऐसे में एक सीक्रेट फॉर्मूला के जरिए कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को पटखनी देने की तैयारी में है. अगर यह फॉर्मूला लागू होता है तो राजस्थान में सचिन पायलट को एक अहम भूमिका मिलना तय है.
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दरअसल, यह फॉर्मूला है कांग्रेस का माइक्रो-मैनेजमेंट फॉर्मूला, जिसे कांग्रेस सबसे पहले गुजरात में टेस्टिंग करना चाह रही है. इस फॉर्मूले के तहत सत्ता और नेतृत्व एक जगह केंद्रित न होकर ब्लॉक, बूथ लेवल, तालुका और ग्राम स्तर पर बंट जाएगी. इसमें बूथ स्तर पर एक प्रमुख व्यक्ति होगा जिसके पास केवल 30 से 40 लोगों को पार्टी की विचारधारा से जोड़ा होगा, जिससे पार्टी के नेता सीधे जनता से जुड़ सके. पार्टी का कहना है कि कांग्रेस बूथ लेवल पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. इसके बिना पार्टी गुजरात व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सफल नहीं हो सकी. अहमदाबाद में दो दिन चले कांग्रेस अधिवेशन में तय हुआ है कि यही पार्टी की स्ट्रैटजी भी होगी. चूंकि सचिन पायलट गांव ढाणी और पंचायतों में खासे सक्रिय हैं, ऐसे में उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय लग रहा है.
पायलट का दो लाइन का फॉर्मूला
कांग्रेस लीडर एवं टोंक विधायक सचिन पायलट ने अहमदाबाद में दो दिवसीय कांग्रेस अधिवेशन में केवल दो लाइन में पार्टी का माइक्रो-मैनेजमेंट का फॉर्मूला सभी को समझा दिया. उन्होंने कहा कि हम जिलाध्यक्षों को और ज्यादा पॉलिटिकल पावर देना चाहते हैं. उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय करेंगे. जिलाध्यक्षों को पावरफुल बनाकर हम ब्लॉक, मंडल, गांव, देहात और बूथ स्तर तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं. पायलट ने कहा कि इतना तय है कि जिलाध्यक्षों की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम होने जा रही है. जिलाध्यक्षों को अब तक दी गइ पॉलिटिकल पावर, जवाबदेही और जिम्मेदारी अब पहले से बढ़ाई जाएगी. पायलट के बयान से स्पष्ट है कि पार्टी बीजेपी के सबसे सफल चुनावी हथियार ‘पन्ना प्रमुख’ मॉडल से ही उसे टक्कर देने तैयारी कर रही है.
क्या है बीजेपी का पन्ना मॉडल
पन्ना मॉडल में पार्टी वोटर लिस्ट को 30 से 60 वोटर्स में बांटती है, जिसके लिए एक कार्यकर्ता को इसका प्रमुख बनाया जाता है. यह व्यक्ति लोगों से मिलता है, उनकी समस्याएं सुनता है, पार्टी की बात बताता है और उस वोट बैंक को बीजेपी की तरफ करता है. ये तरीका बीजेपी को बूथ और ब्लॉक लेवल पर मजबूत बनाता है.
राहुल गांधी का रिवाइवल प्लान
राहुल गांधी का रिवाइवल प्लान ऐसे लोगों को आगे लाने का है, जिन पर जनता भरोसा करती हो. दिल्ली में उन्होंने सभी जिला अध्यक्षों को बुलाकर उन्हें ज्यादा अधिकार देने की बात कही है, ताकि वो किसी के कंट्रोल में न रहें और अपने तरीके से काम कर सकें. ऐसा करने से कोई एक नेता सिर्फ अपने ही लोगों को आगे नहीं बढ़ा पाएगा. इस रणनीति के तहत पार्टी का पहला टारगेट गुजरात में दिसंबर में होने वाले जिला, तालुका और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव होंगे. इसी के जरिए 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू की जाएगी. हालांकि ये प्लान दिखने में आसान है लेकिन कांग्रेस में इसे किस तरह से क्रियान्वित किया जाता है, यह देखने वाली बात होगी.