Jan Aakrosh Raily in Rajasthan. राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पैरेलल निकाली जा रही बीजेपी जन आक्रोश रैली के सहारे भाजपा गहलोत सरकार के विगत 4 वर्षों में कथित तौर पर कहे जाने वाले कुशासन को जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है. भारत जोड़ो यात्रा के अलवर से पलायन के साथ-साथ बीजेपी की जन आक्रोश यात्रा का भी समापन हो जाएगा. प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों पर गांव, शहर और बूथ स्तर पर निकाले जानी वाली इस जनाक्रोश यात्रा को आगामी विधानसभा की तैयारी भी बताया जा रहा है. जबकि सच तो ये है कि इसी यात्रा के सहारे बीजेपी राजस्थान में गुजरात मॉडल लाने की तैयारी भी कर रही है.
दरअसल, बीजेपी ने जन आक्रोश रैली अभियान की रणनीति इस तरह की बनाई है कि प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड और ग्राम पंचायत स्तर तक के कार्यकर्ता इसमें जुड़ सकें. फोकस इस बात पर किया गया है कि प्रदेश का कोई शहर, कस्बा, गांव-ढाणी इस यात्रा से छूटे नहीं. इस तरह का माहौल आमतौर पर चुनावी सीजन में ही देखा जाता है. इस रैली के जरिए बीजेपी एक ओर तो भारत जोड़ो यात्रा के बीच भी मीडिया कवरेज में बनी हुई है, वहीं माहौल बनाकर बूथ मजबूती की राह भी नाप रही है.
बीजेपी अब तक सभी 200 विधानसभाओं में सवा लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी करने का दावा कर रही है, ये सच है या झूठ लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह अभियान एक तरह से अपने संपूर्ण तंत्र को सक्रिय करके चुनावी माहौल बनाने की एक बड़ी सियासी कवायद है. यहां बता दें कि ऐसा पहली बार है कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने हर बूथ तक के कार्यकर्ता को जोड़कर संगठन में नई जान फूंकने की कोशिश की है.
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राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले से भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी मशीनरी को एक्टिव कर दिया है. फोकस इस बात पर किया गया है कि प्रदेश का कोई शहर, कस्बा, गांव-ढाणी इस यात्रा से छूटे नहीं. बीजेपी ने रणनीति इस तरह की बनाई है कि प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड और ग्राम पंचायत स्तर तक के कार्यकर्ता इसमें जुड़ सकें. इस दौरान 60 हजार से अधिक नुक्कड़ नाटक एवं जन सभाएं की जा चुकी हैं और प्रदेश के 82 लाख लोगों से संपर्क करने का दावा है.
जिस तरह से गुजरात में संगठन की मजबूती के दम पर पार्टी ने हाल ही में बंपर जीत हासिल की है, राजस्थान में भी संगठन को एक्टिव करने का इसे गुजरात मॉडल माना जा रहा है. अभियान में भाजपा ने इस बात पर फोकस किया है कि किसी भी एक चेहरे को ज्यादा तवज्जो न देकर संगठन को साधा जाए. यही कारण है कि 200 विधानसभा क्षेत्रों में लगातार हर दिन अलग-अलग 200 नेताओं की डयूटी लगाई जा रही है. पिछले 10 दिन में 2000 नेता फील्ड में पहुंचे हैं, इनमें जिला स्तरीय से लेकर प्रदेश स्तरीय नेता शामिल हैं.
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आपको बता दें कि भाजपा की जनाक्रोश यात्रा में फीडबैक के लिए अलग-अलग टीमें चल रही हैं जो बता रही है कि कहां क्या सुधार करने की जरूरत है. कौनसी बूथ यूनिट या मंडल इकाई कमजोर चल रही है. विधानसभा क्षेत्र और जिला इकाई में नेताओं के कोई विवाद है तो इसकी भी लिस्टिंग हो रही है. इतना ही नहीं जिन नेताओं की हर दिन फील्ड में डयूटी लगाई जा रही है, उनकी भी पार्टी में उच्च स्तर पर ट्रेकिंग हो रही है.
संगठन में कुछ ऐसे लोगों की टीम काम कर रही है जो यह पता रखती है कि जिस नेता की डयूटी थी, वो फील्ड में गया या नहीं. इसकी रिपोर्ट लगातार संगठन महामंत्री चंद्रेशखर के पास पहुंचती है. अगर कोई नेता डयूटी लगने के बावजूद फील्ड में नहीं गया तो उससे सवाल-जवाब हो रहे हैं.
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गौरलतब है कि, 200 विधानसभा क्षेत्रों में भेजे गए जनाक्रोश रथों में हर रथ के साथ एक शिकायत पेटी लगी है. शहरों की गली-गली और गांवों में जा रहे रथों में लगी इन पेटियों में बीजेपी के कार्यकर्ता स्थानीय लोगों की समस्याएं और कांग्रेस सरकार के खिलाफ उनकी शिकायतें लिखवाकर डलवा रहे हैं. कोई शक नहीं है कि इन समस्याओं को लेकर विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी की घेराबंदी की जाएगी. इसके साथ ही चुनावी घोषणा पत्र में इन्हीं को लेकर घोषणाएं भी की जाएंगी.
इसी तरह का कुछ माहौल गुजरात विधानसभा चुनाव से एक साल पहले बनाया गया था. वहां चुनाव से पहले ही स्थानीय नेताओं की मदद से प्रदेश के हर गांव, हर शहर, हर गली हर मुहल्ले में लोगों को पार्टी विचारधारा से जोड़ा गया और कांग्रेस के खिलाफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसका नतीजा ये निकला कि इस बार 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में बीजेपी के पास रिकॉर्ड 156 सीटें हैं. 3 निर्दलीय भी साथ में हैं और 5 आप विधायक साथ आने को आतुर हैं.
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जन आक्रोश रैली एक तरह से गुजरात फार्मूले को राजस्थान में लागू करने की शुरुआत है, जिसके तहत पहले बूथ इकाई तक के कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने का काम हो रहा है. बूथ बूथ गांव गांव जाकर किया गया यही जनसंपर्क बीजेपी को आगामी चुनावों में वो गति देगा, जिसे पकड़ा पाना शायद कांग्रेस के लिए दूर की कोड़ी साबित हो.