BJP in Gujarat Assembly. गुजरात में विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने जो इतिहास रचा है, वह किसी करिश्में से कम नहीं है. अब इसे मोदी मैजिक कहें या फिर भूपेंद्रभाई पटेल का जलवा, जिन्हें विपक्ष में 77 सीटों पर बैठी कांग्रेस को घुटनों पर ला दिया. 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में पूरा विपक्ष केवल 23 सीटों पर सिमट गया. बीजेपी के 156 विधायक जीत कर सदन में पहुंचे जबकि तीन बागी निर्दलीयों ने बीजेपी को समर्थन देकर उनकी संख्या 159 पर पहुंचा दी. वहीं कांग्रेस के खाते में 17, सपा के पास एक और आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं सोमवार को भूपेंद्रभाई पटेल लगातार दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. अभी तक सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन भविष्य के संदेश मिल रहे हैं कि गुजरात विधानसभा में इस बार बीजेपी बिना विपक्ष के शासन चला सकती है. असल में इस बात की शुरुआत भी हो चुकी है.
हालांकि, इस संभावित अवसर की शुरुआत निर्दलीय जीतकर आए विधायकों ने की है. यहां वगोडिया से विजयी उम्मीदवार धर्मेंद्र वाघेला, बयाड़ से धवलसिह जला और धनेड़ा विस से विजय प्रत्याशी मावजी भाई देसाई तीनों निर्दलीय उम्मीदवार हैं और बीजेपी को बहुमत मिलने ही इन तीनों ने बिना किसी शर्त बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया. इन तीनों के साथ आने के बाद बीजेपी के समर्थित विधायकों की संख्या 159 हो गई है. अब विपक्ष में केवल 23 विधायक शेष हैं. कांग्रेस 17 विधायकों के साथ प्रमुख विपक्षी पार्टी है. आप और समाजवार्दी पार्टी के पास क्रमश: 5 एवं एक सीट है.
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अब आते हैं असल मुद्दे पर कि गुजरात में जब विपक्ष है तो विपक्ष की कुर्सियां खाली कैसे होंगी? दरअसल, आम आदमी पार्टी ने गुजरात में थोड़ी सी सियासी जमीन तलाश अपना नेशनल पार्टी होने का तमगा हासिल कर लिया है. यहां पार्टी को 12.9 प्रतिशत वोट शेयर मिला है. यह कांग्रेस को मिले वोट शेयर से थोड़ा सा ही कम है. इनमें अलावा, आप पार्टी ने प्रदेश की 27 सीटों पर नंबर दो रहकर बीजेपी को मामूली ही सही लेकिन असल टक्कर जरूर दी है. लेकिन बीजेपी को ये बात गले नहीं उतर रही कि एक नई नवेली पार्टी उनके गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो रही है. अब यहीं से गुजरात की असल रणनीति का खेल शुरू हो रहा है.
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वहीं गुजरात में आप एंड टीम की बात करें तो यहां जमजोधपुर से हेमंंतभाई अहीर, विसवादार से भूपल बयाणी, गरियाधर से सुधीर वगानी, बोतड से उमेशभाई मकवाना और देदियापाड़ा से चेतरभाई बसवा आप पार्टी से विधायक चुने गए हैं. लेकिन विशेष राजनीतिक सूत्रों की मानें तो आप पार्टी में टूट हो सकती है और ये पांचों विधायक अपना निजी लाभ देखते हुए बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हालांकि यहां बीजेपी ने कोई चाल नहीं चली है क्योंकि अपना स्वार्थ देखते हुए ये सभी विधायक बिना शर्त ही बीजेपी की ओट में समाने का मानस बना चुके हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी गुजरात में अपनी उपस्थिति बरकरार रखने के लिए टूट को रोकने का रास्ता तलाश रही है.
आपको बता दें कि ऐसी अफवाहों का दौर जारी है कि आप के पांचों विधायक गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की विचारधारा से प्रभावित होकर बीजेपी की शरण में जाने का मन बना रहे हैं. विसवादार से आप विधायक भूपल बयाणी ने तो खुले तौर पर कहा है कि वे रूपाणी एवं मोदी के फैन हैं और रूपाणी उन्हें अपना बेटा मानते हैं. बयाणी ने तो ये भी कहा है कि वे मोदी और विजय रूपाणी के साथ काम करना चाहते हैं. यानी कुल मिलाकर बयाणी ने बीजेपी में जाने के सीधे सीधे संकेत दे दिए हैं. ऐसे में उनके साथ साथ अन्य आप विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
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इसमें कोई शक नहीं कि बीते कुछ सालों में बीजेपी की रणनीति तोड़फोड़ के इर्दगिर्द ही घूम रही है. कर्नाटक और मध्यप्रदेश के बाद गोवा में भी कांग्रेस विधायकों को तोड़ा गया है. राजस्थान में भी एक बार ऐसा करने की नाकाम कोशिश हो चुकी है. अब अंदेशा लगाया जा रहा है कि आगामी छह महीने या एक साल में बची कुची कांग्रेस को गुजरात से साफ करने का काम शुरू हो जाएगा. आप पार्टी को गुजरात से साफ करने की कवायद से इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल खुद इन पांचों विधायकों को बात करने दिल्ली बुलाना चाह रहे हैं.
बता दें कि आम आदमी पार्टी के पांचों विधायकों का बीजेपी में शामिल होना तय माना जा रहा है. वहीं सपा का केवल एक विधायक है जिसे कभी भी पार्टी में शामिल किया जा सकता है. कांग्रेस के नेता हमेशा से बिखरे हुए रहे हैं, ऐसे में उन्हें तोड़ना बेहद आसान है. यहां कांग्रेस में भी कोई बड़ा चेहरा जीतकर सदन में नहीं पहुंच पाया है. ऐसे में जल्दी ही ये खबर आ सकती है कि कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस के विधायकों की इतनी भी संख्या गुजरात में बड़ी नहीं है कि यहां दल बदल का कानून लागू हो सके. वहीं अब अगर आप, सपा और कांग्रेस के लगभग सभी विधायकों को बीजेपी खरीद ले तो इतिहास के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए शायद गुजरात पहला ऐसा राज्य होगा जिसमें विपक्ष होगा ही नहीं और गुजरात में बीजेपी बिना विपक्ष के अगले पांच साल सत्ता पर आरूढ़ रहेगी. ऐसे में कहा जाएगा कि गुजरात में मोदी है तो बिना विपक्ष वाली सत्ता भी मुमकिन है.