पंजाब के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे गुलाबचंद कटारिया ने कार्यकर्ताओं को एक बड़ी नसीयत देते हुए समर्पण और अनुशासन से पार्टी के लिए काम करने को कहा है. कटारिया ने कहा कि आज हम मजे कर रहे हैं. इसके पीछे भंडारी जैसे सैकड़ों लोग खप गए हैं. हमें हेकड़ी नहीं करनी चाहिए. जिन लोगों ने संगठन को जमाया, उनके लक्ष्य, समर्पण, सादगी और समय की पाबंदी जैसे गुणों का ही यह नतीजा है. कटारिया उदयपुर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे सुंदर सिंह भंडारी (1921-2005) की जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
अनुशासन और वक्त की पाबंदी को सर्वोपरी बताते हुए राज्यपाल कटारिया ने भंडारी की जीवनी पर चर्चा करते हुए बताया कि भंडारी बेहद अनुशासनप्रिय थे. किसी भी बैठक में तय समय पर पहुंचते और बैठक शुरू होते ही दरवाजे बंद करवा देते थे. एक बार मुख्यमंत्री के देर से आने पर उन्हें भी प्रवेश नहीं दिया. उनका मानना था कि मुख्यमंत्री और कार्यकर्ता में कोई भेद नहीं होता, सभी को समय का पाबंद होना चाहिए. भंडारी जिस बैठक में होते थे, उसमें अटल बिहारी वाजपेयी भी होते थे लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि एक शब्द भी व्यर्थ बोले.
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कटारिया ने बताया कि सुंदर सिंह भंडारी को रोटी खिलाने वाला तक नहीं मिलता था. कभी मंदिर पर, कभी रेलवे स्टेशन तो कभी दुकान के बाहर तख्ती पर सो जाते थे. इतने संघर्ष के बावजूद वे अपने काम में अडिग रहे और उनका जीवन समर्पित रहा.
भंडारी का रोचक प्रसंग साझा किया
राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने एक रोचक प्रसंग साझा करते हुए बताया कि भंडारी हमेशा रेल के थर्ड क्लास (सामान्य) डिब्बे में यात्रा करते थे. एक बार वे सामान्य श्रेणी से उतरे और उसी ट्रेन के फर्स्ट क्लास से तत्कालीन मुख्यमंत्री सुखाड़िया उतरे. सुखाड़िया ने स्वयं भंडारी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लिया. वैचारिक मतभेदों के बावजूद सुखाड़िया भंडारी के आदर्शों का सम्मान करते थे.