Politalks.News/Delhi/AhmedPatel. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने आज सुबह अपनी अंतिम सांस ली. वे 71 साल के थे. अहमद पटेल गांधी परिवार के सबसे करीबी और कांग्रेस में हमेशा संगठन के आदमी माने जाते थे. अहमद पटेल के दोस्त, विरोधी और सहकर्मी उन्हें अहमद भाई कह कर पुकारते थे लेकिन वे हमेशा सत्ता और प्रचार से खुद को दूर रखना ही पसंद करते थे. उनकी शख्सियत इसी बात से दिख जाती है कि गांधी परिवार के तीन वंश के साथ अहमद पटेल वफादार बनकर रहे लेकिन अपने दोनों बच्चों को उन्होंने राजनीति से दूर रखा. यहां तक की अपनी चार दशक की राजनीति में कभी किसी मंत्री पद पर काम नहीं किया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी ने विरासत संभाली और 1984 चुनाव के बाद अहमद को मंत्री पद देना चाहा, लेकिन अहमद ने फिर पार्टी को चुना और राजीव गांधी के रहते यूथ कांग्रेस का नेशनल नेटवर्क तैयार किया.
गुजरात से ताल्लुक रखने वाले अहमद पटेल तीन बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा के सांसद रहे. 1977 में इमरजेंसी के गुस्से को मात देकर अहमद पटेल 26 साल की उम्र में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. उस वक्त अहमद पटेल उन मुट्ठीभर लोगों में एक थे, जो संसद पहुंचे थे. अहमद पटेल 1993 से गुजरात से राज्यसभा सांसद थे. अगस्त, 2018 में अहमद पटेल को कांग्रेस का कोषाध्याक्ष नियुक्त किया गया था.
वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और संभवतः प्रणब मुखर्जी के बाद यूपीए के 2004 से 2014 के शासनकाल में अहमद पटेल सबसे ताकतवर नेता रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से जब कांग्रेस ताश के महल की तरह दिखने लगी, तब भी अहमद पटेल मज़बूती से खड़े रहे. यहां तक की गुजरात विस चुनाव में कांग्रेस को मजबूत करने का श्रेय अहमद पटेल को जाता है. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के निर्माण में अहम भूमिका निभाई और धुर विरोधी शिवसेना को भी साथ लाने में कामयाब रहे.
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अहमद पटेल को कांग्रेस का ‘शर्मीला’ सेनापति और पार्टी का चाणक्य कहा जाता है जिनके हाथ में संगठन का रिमोट रहता था. उन्हें पर्दे की पीछे की राजनीति करने के लिए जाना जाता था. कहा जाता है कि लो-प्रोफाइल और साइलेंट मोड पर रहने वाले अहमद पटेल के दिमाग में क्या चल रहा है, ये गांधी परिवार के अलावा किसी को नहीं पता होता था. 2004 से 2014 तक केंद्र की सत्ता में कांग्रेस के रहते हुए अहमद पटेल की राजनीतिक ताकत सभी ने देखी है.
अहमद पटेल कांग्रेस परिवार के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे. सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल खुद एक राजनीतिक परिवार से आते थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को इससे दूर ही रखा. गांधी परिवार के साथ-साथ उन्हें कांग्रेस का ‘संकट मोचक’ नेता माना जाता था. कहा जाता है कि अहमद पटेल की वजह से सोनिया गांधी भारतीय राजनीति में खुद को स्थापित कर पाईं. राजीव गांधी की हत्या के बाद इतनी बड़ी पार्टी संभाल पाईं, नरसिम्हा राव जैसे नेताओं से रिश्ते बिगड़ने के बावजूद बनी रहीं. सोनिया के इस सफर के पीछे अहमद पटेल का बड़ा हाथ रहा है.
मोहम्मद इशकजी पटेल और हवाबेन मोहम्मद भाई के घर 21 अगस्त, 1949 में पैदा हुए अहमद पटेल के पिता भी कांग्रेस में थे. पिता भरूच तालुका पंचायत सदस्य थे और क्षेत्र के नामी नेता थे. अहमद पटेल को राजनीतिक करियर बनाने में पिता से बहुत मदद मिली. 1976 में गुजरात से भरूच में स्थानीय निकाय में किस्मत आजमाने के साथ ही उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और जल्द ही वह इंदिरा गांधी के करीबी बन गए. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव 1984 में लोकसभा की 400 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आए तो उस समय अहमद पटेल सांसद होने के अलावा पार्टी के संयुक्त सचिव बनाए गए. बाद में उन्हें कांग्रेस का महासचिव भी बनाया गया. बाद में वह राजीव गांधी के बेहद करीबी और खास रहे.
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अहमद पटेल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निकटत्तम मित्रों में से एक थे. उनके जाने का अशोक गहलोत को बेहद दुखी हैं. अपना दुख ट्वीटर पर साझा करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने अहमद पटेल के जाने को व्यक्तिगत क्षति बताया. सीएम गहलोत ने कहा कि आज मैंने अपना एक करीबी दोस्त और विश्वसनीय साथी खोया है जिनकी कमी कोई भी पूरा नहीं कर पायेगा.
Apart from political association, I am deeply saddened by the passing away of my close friend Ahmed bhai. His untimely demise is a personal loss to me. Today I have lost a close friend and a trusted partner. No one will be able to fill the void left by Ahmed bhai.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 25, 2020
सीएम गहलोत ने कहा कि अहमद पटेल ने पूरा जीवन कांग्रेस पाटी के लिये समर्पित कर दिया और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव के रूप में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों को निभाने का एक इतिहास बनाया. उन्होंने चार दशकों से भी ज्यादा समय तक अपने राजनीतिक जीवन में सत्ता से दूर रहकर भी हमेशा कांग्रेस संगठन को एकजुट रखने में अपनी प्रतिबद्धता रखी. अहमद भाई का अचानक जाना आज के समय पूरी राजनीतिक बिरादरी एवं राष्ट्र के लिये भी एक बड़ा आघात है.
The sudden demise of Ahmed Bhai is a great loss to entire political community & nation at this time. In today's situation, Congress party will miss his presence even more deeply.May God give his family members,all loved ones the strength to bear this loss and may his soul RIP.
5/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 25, 2020
अहमद पटेल के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी सहित सभी राजनीति दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने शोक संदेश में कहा कि अहमद पटेल के निधन से दुखी हूं. अपने तेज दिमाग के लिए जानी जाने वाली कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने में उनकी भूमिका हमेशा याद की जाएगी. वहीं राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी का एक स्तंभ बताया. सोनिया गांधी ने इस दुखद अवसर पर कहा कि उन्होंने अपना एक सच्चा सहयोगी और दोस्त खो दिया है.