Jan Aakrosh Yatra of BJP. राजस्थान में ज्यों ज्यों मरूभूमि की ठंड बढ़ती जा रही है, त्यों त्यों ही सियासी पारा भी उबल रहा है. वो इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट सहित पूरी कांग्रेस राहुल गांधी की राजस्थान में जारी भारत जोड़ो यात्रा को जबरदस्त सफल बनाने और चुनावी जीत के लिए भुनाने में जुटे हैं, तो वहीं दूसरी ओर, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां सहित अन्य भाजपा नेता राज्यभर में जन आक्रोश रैलीयों के जरिए गहलोत सरकार पर जमकर भड़ास निकालते हुए घेरने में जुटे हैं. इसमें कोई शक नहीं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तपन को ठंडी करने के लिए बीजेपी ने जन आक्रोश रैली निकालने का फैसला लिया है. कांग्रेस की यात्रा की समाप्ति के साथ ही बीजेपी की यात्रा भी अपने अंतिम पथ पर पहुंच जाएगी. लेकिन ये क्या, शुरू से ही बिखरी बिखरी सी चल रही भाजपा की जनाक्रोश यात्रा में कहीं बीजेपी नेताओं पर पर जनता का ही आक्रोश भड़कता दिख रहा है तो कहीं कहीं भाजपा के नेता आपस में ही एक दूसरे पर आक्रोश निकालते नजर आ रहे हैं.
हालांकि बीजेपी द्वारा इस अभियान को कांग्रेस की गहलोत सरकार के चार साल के कुशासन के खिलाफ जनता के आक्रोश को बाहर लाने की कोशिश करार दिया जा रहा है, लेकिन हकीकत तो ये है कि इसी यात्रा में बीजेपी के नेताओं एवं विधायकों को जनता के आक्रोश का ही सामना करना पड़ रहा है. ताजा उदाहरण नागौर जिले की मकराना विधानसभा के चावण्डिया गांव की है, जहां बीजेपी विधायक रूपाराम मुरावतिया को जनाक्रोश यात्रा के दौरान अपने ही क्षेत्र में लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा. उनके तीन वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जहां गेलासर गांव में नरेगा श्रमिकों ने समय पर मजदूरी न मिलने को लेकर हंगामा किया. इस पर काफी प्रयास करने के बाद भी समझाइश न होने पर विधायक साहब हाथ जोड़कर वहां से निकल लिए.
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हालांकि यहां से विधायक महोदय तो निकल गए लेकिन स्थानीय लोगों को ये कहते हुए सुना गया कि आप 4 साल में पहली बार आए हो. विकास के नाम पर भजन कीर्तन हुआ है, अब ये रथ लेकर पहुंचे हो.
वहीं चावण्डिया गांव में विकास कार्य न होने और विगत 4 सालों में अब जाकर शक्ल दिखाने के आरोप लगाते हुए लोगों ने हंगामा कर दिया. इस पर मुरावतिया ने उन्हें कहा कि अगर आप लोगों को लग रहा है कि मैंने कोई काम नहीं कराया है तो अगली बार जंचे तो वोट देना, लेकिन धमकाओ मत. उनकी अगुवाई में जब रैली बरवाली गांव पहुंची तो यहां भी स्थानीय लोगों ने विकास कार्य न होने को लेकर जमकर हंगामा किया. वैसे तो विधायक साहब की हालात इन हंगामों के बाद पतली हो गई थी लेकिन उन्होंने भी वहीं घिसा पिटा बयान मीडिया में दे दिया कि ये सब कांग्रेस ने साजिश के तहत कराया है.
खैर, अब बात करें बीजेपी नेताओं के आपस में निकल रहे आक्रोश की तो ताजा घटनाक्रम अलवर जिले से सामने आया है जहां जनाक्रोश यात्रा में बीजेपी की दो महिला नेताओं में जमकर मारपीट हुई. घटना की एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसके मुताबिक दोनों नेताओं ने जमकर एक दूसरे पर थप्पड़ बरसाए. हालांकि कुछ देर बाद वहां मौजूद लोगों को बीच बचाव कर मामला शांत करना पड़ा.
दरअसल,10 दिसंबर को थानागाजी के सालेटा में जनाक्रोश यात्रा पहुंची थी जहां महिला मोर्चा संयोजक प्रियंका शर्मा और पूर्व जिला मंत्री रूबिया उपाध्याय के बीच रथ में बैठने को लेकर विवाद छिड़ गया. रूबिया का कहना था कि वह सीनियर है ऐसे में प्रियंका शर्मा भड़क गई और कहा कि तेरी औकात दो कौड़ी की भी नहीं है. इसके बाद रूबिया आग बबूला हो गई और थप्पड़ जड़ दिया. वहीं इसके बाद दोनों आपस में उलझती चली गई और एक-दूसरे पर थप्पड़ बरसाती रही. वहीं कुछ देर बाद वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने मामला ठंडा करवाया.
वहीं थप्पड़बाजी से पहले थानागाजी के सालेटा में ही रैली को लेकर सभा में पूर्व कैबिनेट मंत्री हेम सिंह भड़ाना की मौजूदगी में एक मीटिंग चल रही थी जहां महंत प्रकाश दास के बीच में बोलने पर मंडल अध्यक्ष श्रवण सिंह ने उन्हें बाहर जाने का कह दिया जिसके बाद दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं हो गई.
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हाल ही में जयपुर शहर के किशनपोल विधानसभा क्षेत्र जन आक्रोश यात्रा के दौरान कुछ ऐसा ही नजारा दिखाई दिया था. जब यात्रा में राजसमंद दीया कुमारी को भाषण के बाद बोलने के लिए माइक को लेकर पूर्व विधायक और पूर्व उपमहापौर ही उलझ गए. पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता और पूर्व डिप्टी मेयर मनीष पारीक के बीच चल रहा आपसी आक्रोश बाहर आ गया. दरअसल, जन आक्रोश यात्रा में राजसमंद सांसद दीया कुमारी का सम्बोधन पूरा हुआ, तो पूर्व डिप्टीमेयर मनीष पारीक से उनसे माइक ले लिया. इतने में ही पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता ने भी माइक पकड़ लिया. फिर दोनों में माइक को लेकर कुछ देर तक खींचतान चलती रही, जिसे देख वहां हर कोई हतप्रभ रह गया. हालांकि बाद में मनीष पारीक ने माइक छोड़ दिया और मोहन लाल गुप्ता ने अपना भाषण दिया.
गौरतलब है कि जन आक्रोश रैली की शुरूआत काफी धीमी हुई थी और कई कई जगहों पर तो 100 लोग तक रैली में नहीं पहुंच पाए थे. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की शुरूआती सभा में तो खाली कुर्सियों का वीडियो तक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिस पर आलाकमान भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुका है. यात्रा के रथों पर लगने वाले पोस्टर और बैनर पर वसुंधरा राजे का फोटो न होने पर काफी वबाल पहले ही हो चुका है. हालांकि अब धीरे धीरे जन आक्रोश रैली ने अपनी रफ्तार पकड़ रही है. हालांकि कई जगहों पर बीजेपी नेताओं को स्थानीयजन के विरोध का सामना जरूर करना पड़ रहा है लेकिन बूथ बूथ गांव गांव जाकर किया गया यही जनसंपर्क बीजेपी को आगामी चुनावों में वो गति देगा, जिसे पकड़ा पाना शायद कांग्रेस के लिए दूर की कोड़ी साबित होगा.