Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव में हॉट सीट बनकर उभरी अजमेर उत्तर इस वक्त चर्चा में बनी हुई है. यहां भारतीय जनता पार्टी का विजयी टोटका ‘सिंधी ही विजेता’ एक बार फिर उम्मीद पर चल रहा है. यहां से बीजेपी से वासुदेव देवनानी लगातार पांचवी बार मैदान में हैं. बीते दो दशक और चार बार के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस या अन्य तीसरे मोर्चे का कोई भी उम्मीदवार उन पर पार नहीं पा सकता है. इसी हिट फॉर्मूले को लेकर बीजेपी ने एक बार फिर से देवनानी पर दांव खेला है. दूसरी ओर इस टोटके को कांग्रेस ने भी जितनी बार अपनाया, विजयश्री का स्वाद चखा लेकिन जब से कांग्रेस ने प्रयोग करते हुए गैर सिंधी चेहरा यहां से उतारा, अपनी सीट गंवाई.
इस बार कांग्रेस ने अपने पुराने और तजुर्बेकार प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता को चुनावी दंगल में उतारा है. उन्हें राजपूत समाज, परंपरागत मुस्लिम एंव एससी वोट बैंक का साथ है. वहीं बीजेपी के बागी निर्दलीय ज्ञान सारस्वत ने पार्टी के सिंधी मिथक को चुनौती दी है. सारस्वत ब्रह्माणों और गैर सिंधीवाद के पक्षधर वोटों को अपनी ताकत बता रहे हैं. इसके चलते अजमेर उत्तर त्रिकोणीय भंवर में फंसती दिख रही है.
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पिछले चार बार से बीजेपी सिरमौर
बीते दो दशकों पर चुनावी नतीजों पर एक नजर डालें तो 2003 के बाद से कांग्रेस यहां जीत की राह खोज रही है. चारों पर वासुदेव देवनानी ने बीजेपी को जीत की दहलीज तक पहुंचाया है. इस दौरान कांग्रेस ने चार अलग अलग चेहरों पर दांव खेला लेकिन परिणाम जस का तस रहा. 2023 में वासुदेव देवानी ने कांग्रेस के नरेन शाहनी भगत को 2440 वोट, 2008 में कांग्रस के श्रीगोपाल बाहेती को 688 वोट, 2013 में कांग्रेस के श्रीगोपाल बाहेती को 20479 वोट और पिछले चुनाव में कांग्रेस के महेंद्र सिंह रलावता को 8630 वोटों के बड़े अंतर से हराया है. 2003 से पहले कांग्रेस ने किशन मोटवानी और नानक राम जगत के सहारे जीत की हैट्रिक लगाई थी. पुराने प्रत्याशी पर दांव खेलकर कांग्रेस ने एक बड़ा रिस्क देवनानी के सामने लिया है. हालांकि बागी उम्मीदवार देवनानी का सिरदर्द बढ़ाते दिख रहे हैं.
बागी मैदान में, पड़ सकता है असर
बीजेपी के बागी ज्ञानचंद सारस्वत पार्षद हैं. सारस्वत के साथ चेहरा परिवर्तन की मांग करने वाले कार्यकर्ता और कुल नेताओं से भीतरघात की आशंका जताई जा रही है. सारस्वत ने निर्दलीय ताल ठोकते हुए ब्रह्ममण समाज के वोट बैंक को एकजुट करने की तैयारी कर ली है जिससे देवनानी को थोड़ी बहुत मुश्किलें हो सकती है. एक अन्य बागी पार्षद कुंदन वैष्णव से भी थोड़ा नुकसान हो सकता है. कांग्रेस में कोई बागी उम्मीदवार नहीं है. कांग्रेस उम्मीदवार रलावता को टिकट से खुलकर नाराजगी तो नजर नहीं आ रही है लेकिन पिछले एक साल से सक्रिय रहे आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के समर्थकों की सक्रियता पर नजर जरूर बनी हुई है.
नियमित पेयजल आपूर्ति सबसे बड़ा मुद्दा
अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 08 हजार 291 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 04 हजार 664 और महिला मतदाता 1 लाख 03 हजार 627 है. पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 6875 है. परिसीमन से पहले और अब तक यहां केवल सिंधी चेहरा ही विधायक रहा है. पहले यह सीट अजमेर पश्चिम नाम से थी लेकिन अब यह क्षेत्र अजमेर उत्तर के नाम से जाना जाता है.
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सिंधी बाहुल्य सीट पर यहां सिंधी, मुस्लिम, राजपूत, वैश्य, ब्रह्मण, एससी और एसटी बड़े निर्णायक हैं. कई दशक से पानी यहां की सबसे बड़ी डिमांड और सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है. क्षेत्र में बीसलपुर परियोजना में अजमेर को सम्मिलित करके नियमित पेयजल आपूर्ति, अवैध खनन एवं अतिक्रमण, रोजगार और तकनीकी महाविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थान मुख्य मांगों में शामिल है. अजमेर को शिक्षा नगरी के तौर पर सिरमौर बनाने और पर्यटन को उड़ान देने का मुद्दा भी है. देखना रोचक रहेगा कि दो दशकों में इन मांगों को पूरा न कर पाने के बावजूद यहां के मतदाता जातिगत राजनीति से उपर उठ पाते हैं या नहीं.