Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में आमेर विधानसभा सीट खास मायने रखती है. यह बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और विधानसभा में वर्तमान उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया का क्षेत्र है. वह यहां से वर्तमान विधायक भी हैं. इस सीट पर कांग्रेस के दो बार हारे हुए उम्मीदवार प्रशांत शर्मा भी मैदान में हैं, जिन पर कांग्रेस ने तीसरी बार दांव लगाया है. प्रशांत शर्मा 2013 और 2018 का चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में इस बार यह चुनाव प्रशांत शर्मा के राजनीतिक जीवन के लिए निर्णायक साबित होगा. इसे लेकर अलग अलग कयास भी लगाए जा रहे हैं.
आमेर विधानसभा पर एक खास बात यह भी है कि इस सीट पर सतीश पूनिया और प्रशांत शर्मा का राजनीतिक करियर एक साथ शुरू हुआ. दोनों के लिए क्षेत्र और जनता नई नहीं है. 2013 में सतीश पूनिया और प्रशांत शर्मा दोनों पहली बार आमने सामने उतरे थे. कमाल की बात ये रही कि दोनों ही अपना अपना चुनाव हारे. 2013 में नेशनल पीपुल्स पार्टी के नवीन पिलानिया विजयी होकर विधानसभा पहुंचे. बाद में वे बसपा में शामिल हो गए. बीजेपी के सतीश पूनिया दूसरे और प्रशांत शर्मा तीसरे नंबर पर रहे.
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2018 में दोनों के बीच फिर से मुकाबला हुआ और यहां सतीश पूनिया ने प्रशांत शर्मा को 13 हजार से अधिक वोटों से हराया था. इस बार फिर से दोनों एक दूसरे से दो दो हाथ करने को तैयार हैं. एक तरफ आमेर पूनिया की नाक का सवाल बन गया है, वहीं प्रशांत शर्मा के सामने अपनी हार की हैट्रिक को रोकने की चुनौती होगी.
आप ने चौंकाया तो बागियों ने खेल बिगाड़ा
आम आदमी पार्टी ने आमेर विधानसभा से पूर्व जिला न्यायाधीश पीएस तोमर को रण में उतार कर सभी को चौंका दिया है. उनकी बेदाग छवि स्थानीय लोगों को आकर्षित कर रही है. इधर, बीजेपी के दो बागियों की बदौलत पार्टी का खेल बिगड़ता दिख रहा है. बीजेपी के ओमप्रकाश सैनी और राजकुमार बागड़ा ने निर्दलीय अपनी ताल ठोकी है. दोनों की मौजूदगी से बीजेपी को निश्चित तौर पर नुकसान होगा. वहीं गंगासहाय शर्मा का टिकट कट जाने से उनके समर्थक नाराज हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना बन रही है. निर्दलीय विनोद जाट भी वोटों का ध्रुवीकरण कर सकते हैं.
पेयजल और कृषि जल है आमेर का बड़ा मुद्दा
आमेर विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा पेयजल और कृषि सिंचाई को लेकन पानी की समस्या है. इसके अलावा परिवहन के साधनों की कमी, सेवापुर डंपिंग यार्ड, कॉलेज छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के लिए सरकारी कॉलेज नहीं होना, उपखंड कार्यालय के पूर्ण रूप से संचालित न होने व ग्रामीण क्षेत्र से दूर होने, पीड्ब्ल्यू, पीएचईडी तथा विद्युत निगम सहायक अभियंता कार्यालय ग्रामीण क्षेत्र की बजाय शहरी क्षेत्र में संचालित होने, जीर्ण शीर्ण ऐतिहासिक बावड़ी व जलाशय, ट्रोमा अस्पताल न होने सहित अनेक समस्याओं से लोग परेशान और नाराज बताए जा रहे हैं. जयपुर से चंदवाजी तक लो फ्लोर बस शुरू करने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है.
इस बार पत्ते नहीं खोल रही यहां की स्थानीय जनता
इस बार स्थानीय जनता का मूड कुछ अलग दिखाई दे रहा है. जनता अबकी बार अपने पत्ते खोलते दिखाई नहीं दे रही है. इस बार पूनिया और शर्मा के साथ साथ अन्य प्रत्याशियों को उनके कार्यों, जनता के बीच मौजूदगी और पिछले 5 साल उनके रवैये के साथ जनता अपने अनुभवों के साथ तोल रही है. अंदरुनी अफवाह ये भी थी कि इस बार पूनिया आमेर से चुनाव लड़ने के मूड में बिलकुल नहीं थे लेकिन आलाकमान के दबाव में उन्हें मैदान में उतरना पड़ा. वहीं शर्मा इस बार जमकर पसीना बहा रहे हैं ताकि उनकी राजनीति परवान चढ़ सके.