Tuesday, January 21, 2025
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राजे के गढ़ में पिछले चार बार से विजयश्री को तरस रही कांग्रेस क्या बदल पाएगी रवायत?

1998 के बाद से जीत को तरसती कांग्रेस चला रही हर बार नया प्रत्याशी उतारने का रिवाज, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अभेद किले 'झालरापाटन' में सेंध लगाने की कोशिश हर बार नाकाम, इस बार राजपूत चेहरे पर दांव

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राजस्थान में गहलोत सरकार इस बार रिवाज बदलने का दावा ठोक रही है. प्रदेश में हर साल सरकार बदलने का ट्रेंड है और कांग्रेस इस ट्रेंड को बदलने की कोशिश कर रही है. हालांकि झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत का ट्रेंड तोड़ पाना कांग्रेस के लिए टेड़ी खीर साबित हो रहा है. झालरापटन वसुंधरा राजे का गढ़ है और इस सीट पर कांग्रेस हर बार नया प्रत्याशी उतारने का रिवाज भी नहीं बदल पायी है. यहां लगातार चार बार चुनाव हार चुकी कांग्रेस ने झालरापाटन से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सामने फिर से नया चेहरा पिड़ावा के पूर्व प्रधान रामलाल चौहान को मैदान में उतारा है.

इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1998 में जीत मिली थी. उसके बाद कांग्रेस ने दो बार महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला लेकिन इनमें से कोई भी राजे के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो सका है.

रामलाल चौहान पर टिकी कांग्रेस की नजरें

वैसे तो यहां से वसुंधरा राजे हमेशा एक तरफा दंगल जीतते हुए आ रही हैं. राजे 5वीं बार झालरापाटन से चुनावी मैदान में है. वहीं रामलाल चौहान पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. 64 वर्षीय राजलाल सोंधवाड़ी राजपूत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. साथ ही वर्तमान पीसीसी सदस्य और इससे पहले पिड़ावा प्रधान, जिला परिषद के सदस्य और तीन बार पंचायत समिति के सदस्य रह चुके हैं. यहां कांग्रेस प्रत्याशी लगातार जनसभा करते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि वसुंधरा राजे यहां तीन बार आ चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: मोदी भरोसे वैतरणी पार करने में प्रहलाद गुंजल का रोड़ा बनी धारीवाल की ‘विकास धारा’

औद्योगिक विकास ठप, कुछ सपने अधूरे

झालरापाटन के चुनावी मुद्दों की बात करें तो यहां औद्योगिक विकास की जरूरत है. यहां एक भी बड़ा उद्योग स्थापित नहीं है और जो थे वो बंद हो गए. कोटा स्टोन भी बंद होने की कगार पर है. उद्योग धंधे बंद होने से स्थानीय युवाओं में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. झालावाड़ में बरसों से एयरपोर्ट की कवायत चल रही है लेकिन राजे का गढ़ होने के बावजूद यह सपना अभी तक अधूरा है. शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता की कमी भी बताई जा रही है. यहां कॉलेज और इंस्टीट्यूट तो खुल गए हैं लेकिन शिक्षकों की कमी यहां प्राय: देखी जा रही है. स्कूलों में भी संसाधनों का अभाव है.

वसुंधरा राजे बनाम रामलाल चौहान

प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने जनता के बीच ईआरसीपी का कार्य पूरा कराने, बेरोजगारी दूर करने की पहल करने, प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक नहीं होने देने, विकास कार्य शुरू करने और कर्जमाफी करने सहित कई वादें किए हैं. वहीं कांग्रेस की ओर से काली सिंध से पूरे क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराने, क्षेत्र में रोजगार के लिए उद्योगों की स्थापना, स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर करने, गांव-ढाणियों में सड़कों का निर्माण और संतरा प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना करने के वायदे जनता से किए गए हैं.

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