क्या जंगपुरा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच फंस गए हैं मनीष सिसोदिया?

तीन बार विधायक रह चुके हैं बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह, कांग्रेस ने दिल्ली के मेयर रह चुके फरहाद सूरी पर खेला दांव, आप के मौजूदा विधायक के प्रति आमजन की नाराजगी भी चिंता का सबब..

Manish Sisodia Jagpura Seat
टिहरी में बोले सिसोदिया

दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी है, जहां भारतीय जनता पार्टी को कभी जीत हासिल नहीं हो पायी है. हालांकि इस बार उनका दाव आप आदमी पार्टी पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. जंगपुरा से इस बार आप की ओर से मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं. सिसोदिया पटपड़गंज से विधायक रहते हुए दिल्ली शराब नीति की वजह से लंबे समय तक जेल में थे. हालांकि आरोप साबित नहीं हो पाए और जमानत पर बाहर चल रहे हैं. पटपड़गंज में खतरा देख उन्हें जंगपुरा से मौका दिया गया है. सीट का इतिहास कुछ ऐसा है कि यहां अब तक 7 चुनाव हुए हैं, जिनमें से तीन बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को चार बार जीत हासिल हुई है. 2013, 2015, 2020 में आप जीत की हैट्रिक जमा चुकी है लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी तरविंदर सिंह मारवाह की उम्मीदवारी से सिसोदिया फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं.

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तीन बार के विधायक रहे हैं मारवाह

तरविंदर सिंह मारवाह कांग्रेस की ओर से तीन बार जंगपुरा से विधायक रहे हैं. उन्होंने 1998, 2003 और 2008 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता. उसके बाद लगातार तीन बार उन्हें आप के हाथों हार का सामना भी करना पड़ा. मारवाह ने जुलाई 2022 में कांग्रेस नेतृत्व पर पुराने पार्टी सदस्यों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और हाथ का साथ छोड़ बीजेपी की शरण ली, जिसका इनाम उन्हें टिकट के रूप में मिला. जंगपुरा में तरविंदर सिंह एक जाना पहचाना नाम है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. वहीं मनीष सिसोदिया की पहचान दिल्ली की स्कूलों के सुधारक के तौर पर है.

आप विधायक से नाराजगी

आप के दो बार के विधायक प्रवीण कुमार के प्रति लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. नाराजगी की वजह सफाई, टूटी सड़कें, जाम सीवरेज और अन्य स्थानीय मुद्दे हैं जिनकी क्रियान्वति नहीं हो पा रही है. जल विहार इलाके की झुग्गियों में हालात काफी बुरे बताए जा रहे हैं. वहीं मनीष सिसोदिया अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं. लोगों में उनके प्रति छवि काफी अच्छी है, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है. कांग्रेस ने यहां से दिल्ली के मेयर रह चुके फरहाद सूरी को टिकट दिया है. वे दरियागंज से 4 बार पार्षद रह चुके हैं. हालांकि उनका दावा सिसोदिया और मारवाह के मुकाबले काफी हल्का माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने काफी सोच विचार कर सूरी पर दाव खेला है. यहां के निजामुद्दीन इलाके सहित अन्य जगहों पर मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.

कांटे की हो सकती है टक्कर

तरविंदर सिंह मारवाह भले ही काफी अनुभवी राजनेता हैं लेकिन उनके बीजेपी में जाने से लोग नाखुश हैं. वहीं मनीष सिसोदिया भी सरकार में चार बार विधायक एवं दो बार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. केजरीवाल पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि सरकार बनने पर सिसोदिया एक बार फिर उप मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे. इन हालातों में जंगपुरा में आम जनता की समस्याओं का निदान होना तय है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों के सुधार का पूरा श्रेय सीधे तौर पर सिसोदिया को ही जाता है. ऐसे में सिसोदिया का पलड़ा यहां कांग्रेस के फरहाद सूरी और बीजेपी के मारवाह पर भारी पड़ता दिख रहा है.

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