इस सीट पर जीत की राह तलाश रही बीजेपी के लिए ‘कमल’ खिला पाएंगे सूर्य?

आप ने खेला सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू पर दांव, कांग्रेस के टिकट पर दो जीत हासिल कर चुके हैं बिट्टू, कांग्रेस पर केवल पिछला प्रदर्शन सुधारने का दवाब, रोचक होने वाला है मुकाबला

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उत्तर पूर्व दिल्ली की तिमारपुर विधानसभा सीट. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को एक बार ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला है. इसके बाद यहां कभी पार्टी वापसी नहीं कर सकी. वहीं आम आदमी पार्टी यहां जीत की हैट्रिक जमा चुकी है. इससे पहले कांग्रेस को भी यहां से तीन बार जीत हासिल हुई है. आप ने चुनाव से ऐन पहले बीजेपी से पार्टी में शामिल हुए सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को उम्मीदवार बनाया है. बिट्टू 2003 और 2008 में कांग्रेस के टिकट पर तिमारपुर से विधायक भी रह चुके हैं. बीजेपी ने उनके सामने सूर्य प्रकाश खत्री को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने लोकेंद्र कल्याण को टिकट दिया है.

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पिछला चुनाव हार गए थे बिट्ट

सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू ने पिछला विधानसभा चुनाव तिमारपुर सीट से ही बीजेपी के टिकट पर लड़ा था. हालांकि वह आप के दिलीप पांडेय से 24144 वोटों से हार गए थे और 38.13 प्रतिशत वोट हासिल कर सके थे. इस बार मैदान में उतरे बीजेपी के सूर्य प्रकाश खत्री के लिए मत प्रतिशत को बढ़ाना बहुत बड़ी चुनौती है. पिछली विधानसभा में आप के दिलीप पांडेय को 57.60 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. यहां चेहरा नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की झाडू चलती है. ऐसे में बिट्टू पर जीत हासिल करना सूर्य प्रकाश के लिए आसान नहीं होगा.

किसका कब रहा कब्जा

तिमारपुर विधानसभा में 1993 में बीजेपी के राजेंद्र गुप्ता चुनाव ने पार्टी के लिए पहली और आखिरी जीत दर्ज की थी. 1998 में कांग्रेस के जगदीश आनंद और 2003 एवं 08 में सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू विजेता रहे. 2013 में आप से हरीश खन्ना और 2015 में पंकज पुष्कर और 2020 में दिलीप पांडेय विधायक रह चुके हैं. इस बार आम आदमी पार्टी ने सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है.

स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी

तिमारपुर वार्ड में पूर्वांचल का बड़ा वोट बैंक है. यह कमोबेश बीजेपी के पक्ष में वोट करने के लिए जाना जाता है जिससे पार्टी को फायदा हो सकता है. हालांकि राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा यहां सीवर, पेयजल सहित अन्य स्थानीय मुद्दे हावी हैं. खत्री जाट जाति से आते हैं और जाट जाति का तिमारपुर में बहुत अधिक वोट नहीं है. वहीं मुखर्जी नगर ब्लॉक में पंजाबी समुदाय की 40 प्रतिशत तक आबादी है. बिट्टू को इनका समर्थन मिलता है तो उनको सीधा फायदा मिल सकता है. मल्कागंज वार्ड में वंचित समुदाय की बड़ी आबादी है, जो आप का अच्छा वोटर माना जाता है. वहीं पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार अमरलता सांगवान को केवल 2.50 प्रतिशत वोट मिले थे. अगर कांग्रेस यहां 10 फीसदी वोट भी हासिल कर पाती है तो मुकाबला और भी रोचक हो जाएगा. अब जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आठ फरवरी को ही पता चल पाएगा.

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