आखिर राकांपा (NCP) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) को प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में नहीं जाने का फैसला करना पड़ा. महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जैसे ही राकांपा प्रमुख शरद पवार से पूछताछ करने के संकेत दिए, वैसे ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव (Maharastra Assembly Election) से ठीक पहले राकांपा ने शरद पवार के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार के विरोध की जमीन तैयार कर ली. मंगलवार को पवार से ED की पूछताछ की संभावना की खबर मीडिया में आई थी, उसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति ने नया मोड़ ले लिया और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

बैंक घोटाला मामले में शरद पवार शुक्रवार दोपहर 2 बजे ईडी दफ्तर जाने वाले थे, मगर पुलिस-प्रशासन के अनुरोध पर उन्होंने ईडी दफ्तर नहीं जाने का फैसला किया. मुंबई में अपने घर से बाहर निकल पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा, ‘कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मैंने प्रवर्तन निदेशालय नहीं जाने का फैसला लिया है. मैंने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि मैं नहीं चाहता कि कानून व्यवस्था खराब हो. मैं एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं. मेरा बैंक घोटाला से कोई लेना-देना नहीं है. मैं ईडी दफ्तर यही बताने जाने वाला था कि मैं इसमें कहीं से भी शामिल नहीं हूं.’

इससे पहले शुक्रवार को मुंबई पुलिस कमीश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर रांकपा अध्यक्ष शरद पवार से अनुरोध करने उनके घर गए थे. उऩका कहना था कि कई जगहों पर निषेधज्ञा लागू है, इसलिए वे ईडी दफ्तर पूछताछ के लिए न जाएं. इससे पहले ईडी ने भी शरद पवार को ईमेल भेजकर उन्हें दफ्तर में न आऩे की बात कही थी. ईडी ने शरद पवार को एक ईमेल भेजा था, जिसमें कहा गया कि आज उनसे पूछताछ की जरूरत नहीं है लेकिन शरद पवार ED कार्यालय जाने की बात पर अड़े हुए थे.

एमसीबी घोटाले में शरद पवार का नाम लेना भाजपा को पड़ेगा भारी

एमसीबी घोटाले में शरद पवार का नाम लेना अब महाराष्ट्र में भाजपा के लिए कठिन साबित होगा. बता दें, मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय ने शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार को महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड में कई करोड़ के घोटाले के मामले में नामजद किया था. शरद पवार ने इस तरह की खबर आते ही बुधवार को मुंबई पहुंचकर प्रेस कांफ्रेंस में सफाई देने की बजाय शुक्रवार को 2 बजे खुद ईडी के दफ्तर में पहुंचकर अपना पक्ष रखने की घोषणा की थी. इसके अगले दिन गुरुवार को दिनभर विभिन्न शहरों में राकांपा कार्यकर्ताओं का ईडी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया. पवार के गढ़ बारामती में मुकम्मल बंद रहा.

शरद पवार की ईडी के दफ्तर में हाजिर होने की घोषणा के बाद ईडी के मुंबई स्थित कार्यालय के आसपास बड़ी संख्या में राकांपा कार्यकर्ता जुटने लगे थे. परिस्थिति को देखकर ईडी ने ट्वीट किया कि पवार को शुक्रवार को ईडी के सामने हाजिर होने की जरूरत नहीं है, लेकिन शरद पवार ने माहौल बना दिया. इसके बाद राकांपा कार्यकर्ता आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने के लिए एकजुट हो गए.

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इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस की पूरी कोशिश रही कि ईडी के खिलाफ माहौल बना रहे राकांपा कार्यकर्ताओं के हंगामे को रोका जाए. इसलिए पवार के ईडी के दफ्तर पहुंचने से पहले ही मुंबई के पुलिस कमिश्नर पवार से मिलने पहुंच गए थे. इस तरह केंद्र सरकार के अधीन चल रहे ईडी के अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा है वे क्या करें. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस पहले ही कह चुके हैं कि ईडी की कार्रवाई से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है. लेकिन फड़नवीस के सिर्फ यह कह देने से महाराष्ट्र का राजनीतिक वातावरण ठंडा होने वाला नहीं है. इससे कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को और मजबूती मिल गई है. ऐसे में कांग्रेस भी पवार के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का विरोध ही करेगी.

शरद पवार को घेरने का दांव पड़ा उल्टा

मुख्यमंत्री फड़नवीस पूरे राज्य का दौरा करने के बाद भाजपा के जीतने का दम भर चुके हैं. ईडी की जांच में शरद पवार का नाम उछलने से केंद्र में बैठे भाजपा के रणनीतिकारों ने सोचा होगा कि इससे महाराष्ट्र में भाजपा की संभावनाएं और मजबूत होंगी और राकांपा कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा. लेकिन अब उलटा हो रहा है. राकांपा का ग्राफ अचानक बढ़ गया है. भाजपा कार्यकर्ता बचाव की मुद्रा में आ गए हैं. भाजपा के सामने अब बड़ी समस्या यह है कि पवार को कैसे रोका जाए.

पी. चिदम्बरम या डीके शिवकुमार की तरह अगर पुलिस शरद पवार को गिरफ्तार करेगी, हिरासत में लेगी तो इससे भाजपा को चुनावी फायदा बिलकुल नहीं मिलने वाला है. उलटे पवार के पक्ष में लोगों की सहानुभूति बढ़ेगी, क्योंकि जिस मामले की जांच में शरद पवार का नाम लिया गया है, उससे उनका कोई संबंध किसी भी तरह साबित नहीं किया जा सकता. उनके भतीजे अजित पवार के खिलाफ अवश्य एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन शरद पवार का नाम पहली बार सामने आया है. अगर यह भाजपा का राजनीतिक दाव है तो फिलहाल यह उलटा पड़ गया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मौके पर भाजपा को फायदा नुकसान ज्यादा है.

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