महाराष्ट्र (Maharastra) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच शुरू कर दी है, जिसमें NCP प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar), उनके भतीजे अजित पवार, राकांपा नेता ईश्वरलाल जैन, शिवाजीराव नलावडे, कांग्रेस नेता मदन पाटिल, दिलीपराव देशमुख, शिवसेना नेता आनंदराव अडसुल सहित 75 लोगों के नाम हैं. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज की थी. उसी के आधार पर ईडी ने सोमवार को इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज करते हुए प्रारंभिक जांच शुरू की है.

यह मामला 2007 से 2011 के दौरान महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव (एमएससी) बैंक में हुए करीब 1000 करोड़ रुपए के घोटाले से संबंधित है. इसकी जांच राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने करवाई थी, जिसकी रिपोर्ट मेसर्स जोशी एंड नाइक एसोसिएट्स ने तैयार की थी. इसमें खुलासा किया गया हैं एमएससी बैंक से अनियमित तरीके से कई लोगों को कर्ज दिए गए थे, जो नहीं चुकाए गए, इसलिए सरकार को करीब 1000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. 2001 से 2017 तक विभिन्न नेता इस बैंक के निदेशकों में शामिल रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहीं भी शरद पवार के नाम का उल्लेख नहीं है.

ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि शिकायतकर्ता सुरेन्द्र अरोड़ा ने मुंबई पुलिस को दिए एक पूरक बयान में कहा है कि इतना बड़ा घोटाला शरद पवार के इशारे के बगैर नहीं हो सकता. ईडी को मुंबई पुलिस की एफआईआर के आधार पर जांच करनी है, इसलिए उसमें दर्ज बयान के आधार पर ईडी कार्रवाई कर रहा है. घोटाले के समय शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय में आम तौर पर सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार कर कार्रवाई शुरू करता है. इस मामले में मुंबई पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हो रही है.

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन से विपक्ष के कांग्रेस-राकांपा गठबंधन का मुकाबला होगा. महाराष्ट्र में विपक्ष इतना कमजोर भी नहीं है. शरद पवार महाराष्ट्र के बड़े नेता हैं. मुंबई पूरे देश की आर्थिक राजधानी है. अर्थव्यवस्था की स्थिति महाराष्ट्र की राजनीति को भी प्रभावित करती है. और महीने भर बाद अगली सरकार बनने वाली है. देश की आर्थिक स्थिति सबको पता है. आर्थिक मंदी के लेकर केंद्र की मोदी सरकार निशाने पर है और भाजपा पिछले दस साल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर पिछले तमाम चुनाव जीतती आई है.

महाराष्ट्र में शरद पवार सबसे बड़े नेता हैं और भाजपा के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस उनके सामने बच्चे दिखाई देते हैं. भाजपा की सरकार शिवसेना के सहयोग से चल रही है और शरद पवार के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना बड़ी पार्टी है. शरद पवार पहले कांग्रेस में थे. बाद में सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) बना ली थी. बाद में कांग्रेस को उनकी पार्टी से तालमेल करना पड़ा. 2014 में कांग्रेस-राकांपा का गठबंधन टूट गया था. दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिसका लाभ भाजपा को मिला. इस बार दोनों कांग्रेस-राकांपा फिर एकसाथ आ गई है, जो भाजपा-शिवसेना गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती है.

एमएससी बैंक घोटाले में ईडी की जांच शुरू होने के बाद शरद पवार, अजित पवार सहित राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना नेताओं के नाम मीडिया में आने से महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मची हुई है. आरोप लगाया जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई हो रही है. पूछताछ, जांच आदि का जो भी नतीजा निकले, उससे पहले राजनीतिक नुकसान तो हो ही जाएगा. इसलिए मीडिया में खबरें आने के बाद तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में राकांपा कार्यकर्ता सड़क पर आ गए हैं.

शरद पवार के गढ़ बारामती में बुधवार को पूरी तरह बंद रहा. एक भी दुकानदार ने दुकान नहीं खोली. सारी शिक्षण संस्थाएं बंद रहीं. शरद पवार के समर्थन में केंद्र सरकार के खिलाफ हजारों लोगों का जुलूस निकला और जमकर नारेबाजी हुई. इसके अलावा पुणे, मुंबई, नासिक, मराठवाड़ा सहित राज्य के विभिन्न शहरों में राकांपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किए. कई जगह ईडी के पुतले जलाए गए. इस तरह राज्य में भाजपा के खिलाफ अचानक माहौल बनने लगा है.

पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा – “एमएससी बैंक के जिस घोटाले की जांच हो रही है, उससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हमने एक पैसे की भी धांधली नहीं की है. बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को जांच के आदेश दिए थे, जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें मेरे और कुछ अन्य लोगों के नाम लिखे गए थे. जांच के दौरान किसी ने पुलिस को बताया कि बैंक में करीब 25,000 करोड़ रुपए के घोटाले की आशंका है. इसमें कहीं भी शरद पवार का नाम नहीं है. जिस बैंक के घोटाले की बात हो रही है, शरद पवार कभी भी उसके निदेशक नहीं रहे. जहां तक मेरी जानकारी है, उस बैंक में कुल जमा पूंजी 13,000 करोड़ रुपए थी. ऐसे में 25,000 करोड़ रुपए का घोटाला कैसे हो हो सकता है. अगर उस बैंक में 25,000 करोड़ रुपए का घोटाला होता, तो वह 300 करोड़ रुपए का लाभ नहीं दिखा सकती थी.“

शरद पवार के भतीजे के पुत्र रोहित पवार ने कहा कि यह भाजपा की राजनीतिक बदले की भावना की कार्रवाई है. ईडी की जांच से यह साबित हो गया कि चुनाव में भाजपा के पास विरोधियों को बदनाम करने के अलावा और कोई प्रमुख मुद्दा नहीं है. वह अपने लंबे-चौड़े वादों को पूरा करने में नाकाम रही है, इसलिए वह जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना चाहती है. इसलिए वह शरद पवार को बदनाम करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.
अहमदनगर में राकांपा की युवा शाखा की प्रमुख संध्या सोनवणे ने कहा कि पवार साहब ने चुनाव पूर्व पूरे राज्य का दौरा किया था, उसमें जनता का अच्छा समर्थन मिला था. उसकी रिपोर्ट से भाजपा परेशान है. पवार साहब की लोकप्रियता से परेशान होकर भाजपा ये हथकंडे अपना रही है. आने वाले चुनाव में महाराष्ट्र की जनता इसका माकूल जवाब देगी.

ईडी की जांच में नाम आने के बाद शरद पवार ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा- हम मराठी लोग हैं. शिवाजी के बताए रास्ते पर चलते हैं. हम कभी भी दिल्ली के बादशाह के आगे नहीं झुक सकते. उन्होंने कहा, जिस बैंक का घोटाला है, उस बैंक से हमारी पार्ट का संबंध नहीं है. सभी पार्टियों के लोग उस बैंक के बोर्ड में रह चुके हैं, जिसनें भाजपा भी शामिल है.

पवार ने ईडी की जांच शुरू होने के समय पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, चुनाव की घोषणा हो चुकी है, दो दिन बाद नामांकन दाखिल होने वाले हैं. ऐसे में लोग समझते हैं कि इसी समय ईडी की जांच क्यों शुरू हुई है? उन्होंने कहा कि वह खुद ईडी के दफ्तर में जाकर अपना पक्ष रखेंगे. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कभी कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं हुआ. सिर्फ एक बार 1980 में एक प्रदर्शन के सिलसिले में नाम आया था. अगर मेरे खिलाफ कोई शिकायत आती है तो मैं जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करूंगा.

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने कहा कि शरद पवार के खिलाफ ईडी की जांच से राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. जहां भी सौ करोड़ से रुपए से ज्यादा के आर्थिक घोटाले के मामले सामने आते हैं, तो उसकी एफआईआर के आधार पर ईडी जांच करता है. यह मामला भी अलग नहीं है. मूल शिकायत की एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की है. यह ईडी की प्रारंभिक जांच है और इससे राज्य सरकार का कोई भी संबंध नहीं है. बदले की भावना से कार्रवाई किए जाने के आरोप पर फड़नवीस ने कहा कि हम तो वैसे ही चुनाव जीतने वाले हैं. अगर हमारी स्थिति ठीक नहीं होती तो भी हम इस तरह की कार्रवाई नहीं करते.

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