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Loksabha Election: पालीवाल ब्राह्मणों के नाम पर मारवाड़ इलाके में बसा पाली शहर. राजस्थान की औद्योगिक नगरी. यहां का प्रमुख व्यवसाय रंगाई छपाई और सूती वस्त्र, जिसकी डिमांड पूरे देश में है. वैसे यह बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां स्थानीय मुद्दे हमेशा गौण रहे हैं. यह राजस्थान का इकलौता शहर है जहां पानी भी वाटर ट्रेन से आता है. पीने के पानी की समस्या कई दशकों से है लेकिन इसका समाधान अब तक नहीं हुआ. बीजेपी के पीपी चौधरी लगातार दो बार सांसद बनने और केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं करा पाए हैं.

पीपी चौधरी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं महिला वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है. दोनों के बीच घमासान होने का अंदेशा लगाया जा रहा है.

विधानसभा का राजनीतिक परिद्श्य

पाली लोकसभा राजस्थान राज्य की दक्षिण इलाके का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. यह क्षेत्र राजस्थान के सबसे बड़े लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. पाली संसदीय क्षेत्र पाली और जालोर जिलों के कुछ हिस्सों को कवर करता है. इसमें जालौर की तीन और पाली की 5 विधानसभा सीटें शामिल हैं. चूंकि पाली को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में यहां की 6 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के विधायकों का कब्जा है.

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भोपालगढ़ से गीता बरबड़ और पाली से भीमराज भाटी कांग्रेस के विधायक हैं. पाली संसदीय क्षेत्र में अब तक कुल 18 बार आम चुनाव हुए. इनमें से 8 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी जीती है. दो बार निर्दलीय और एक बार जनता पार्टी को जीत नसीब हुई है. बीते कुछ चुनावों में यहां से दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिल रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की पाली सीट पर बीजेपी के पीपी चौधरी ने कांग्रेस के बद्री जाखड़ को 4,81,597 मतों से हराया था.

पाली का जातिगत गणित

वर्तमान में यहां भारतीय जनता पार्टी के पीपी चौधरी सांसद हैं. यहां लगभग 22.54 लाख मतदाता हैं. इनमें 10,33,840 पुरूष और 11,27,805 महिला मतदाता हैं. यह क्षेत्र अनुसूचित जाति-जनजाति बाहुल्य है. इनमें सर्वाधिक मतदाता जाट जाति के हैं. इनकी संख्या करीब 3.50 लाख मानी जाती है. वहीं करीब 2.50 लाख सीरवी, 1.50 लाख राजपूत, 4.50 लाख अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता हैं. इनके अलावा करीब 1.50 लाख मुस्लिम, एक लाख ब्राह्मण, 60 हजार जैन, 50 हजार माली, 80 हजार पटेल चौधरी जनवा, 70 हजार देवासी और 50 हजार रावत समेत अन्य जातियों के मतदाता हैं. यहां राजपूत, जाट, ब्राह्मण, ओबीसी और मुस्लिम मुख्य भूमिका निभाते हैं.

चूंकि पीपी चौधरी लगातार दो बार से सांसद हैं, इसलिए यहां बीजेपी खासी मजबूत है. कांग्रेस महिला उम्मीदवार पर दांव खेलते हुए बीजेपी की जीत की हैट्रिक रोकने की कोशिश में है. वैसे तो इस बार मैदान में अन्य प्रत्याशी भी मैदान में हैं लेकिन असली टक्कर बीजेपी के पीपी चौधरी और कांग्रेस की संगीता बेनीवाल के बीच है. अगर संगीता महिला वोटर्स पर दांव खेल जाती है तो पीपी चौधरी की हार होना तय है.

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