Rajasthan Politics: भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान की 25 सीटों पर पिछली बार से सभी सीटों पर कब्जा जमाया था. इस बार बीजेपी सभी सीटों पर हैट्रिक का दावा कर रही है. हालांकि कुछ सीटों पर बीजेपी सियासी समीकरण फिट नहीं बैठ रहा है. इन्हीं में से एक करौली-धौलपुर लोकसभा सीट है जहां बीजेपी कुछ कमजोर नजर आ रही है. 2008 परिसीमन के दौरान गठित हुई इस सीट पर 2009 में कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा जीतकर सांसद बने. उसके बाद से 2014 और 2019 में मनोज राजोरिया ने यहां से जीत दर्ज की. इस बार बीजेपी ने सियासी समीकरण साधते हुए इंदु देवी जाटव पर दांव खेला है जबकि कांग्रेस ने भजनलाल जाटव को यहां से उतारा है. यहां बीजेपी का समीकरण थोड़ा बिगड़ा हुआ है.
पीएम मोदी की हुई एंट्री
करौली-धौलपुर सीट पर बीजेपी की स्थिति क्या है, इस बात का पता ऐसे चल सकता है कि यहां पीएम मोदी को खुद किला फतेह करने के लिए उतरना पड़ा है. पीएम मोदी यहां रैली कर चुके हैं. उसके बाद सीएम भजनलाल शर्मा भी अपने प्रत्याशी इंदु देवी जाटव के लिए वोट मांगते हुए जमकर पसीना बहा रहे हैं. भजनलाल शर्मा ने भी यहां एक जनसभा की थी लेकिन यहां की खाली कुर्सियों ने बीजेपी की कलाई खोलकर रख दी.
यह भी पढ़ें: क्या चित्तौड़ के दुर्ग को अजेय रख पाएंगे बीजेपी के सीपी जोशी?
वहीं मुख्यमंत्री शर्मा के मंच पर बसपा विधायक जसवंत सिंह गुर्जर की एंट्री हुई. स्पष्ट है कि जाटव वोटर्स को साधने के लिए जसवंत सिंह गुर्जर की एंट्री यहां करायी गयी है. वही बड़ी के पूर्व विधायक एवं बीजेपी नेता गिर्राज सिंह मलिंगा मुख्यमंत्री की सभा में शामिल नहीं हुए है जिससे जिले की राजनीति में सियाशी चर्चाओं का बाजार गर्म देखा जा रहा है. मलिंगा के नहीं होने से साफ हो गया है कि राजपूत समाज ने अपनी नाराजगी दिखा दी है. जिले की राजनीति में आ रहे राजनीतिक भूचाल से निश्चित तौर पर करौली धौलपुर संसदीय सीट पर असर पड़ सकता है.
विधानसभा सीटों का गणित
धौलपुर और करौली की चार-चार विधानसभा सीटों को जोड़कर यह संसदीय क्षेत्र बनाया गया है. करौली-धौलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. यहां कांग्रेस काफी मजबूत है. करौली और सपोटरा (ST) को छोड़ सभी जगहों पर बीजेपी का पत्ता साफ है. यहां से दर्शन सिंह गुर्जर ओर हंसराज मीना बीजेपी विधायक हैं. बसेरि, धौलपुर, राजाखेड़ा, टोड़ाभीम (ST) और हिंडौन (SC) में कांग्रेस विधायकों का कब्जा है. बरी से बसपा के जसवंत सिंह गुर्जर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. जसवंत सिंह फिलहाल बीजेपी की ओट में हैं और इंदु देवी जाटव के पक्ष में समर्थन मांग रहे हैं.
जातिगत एवं सियासी समीकरण
करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर राजनीति स्थानीय मुद्दों से ज्यादा जातिगत होती है. यह सीट एससी समुदाय के लिए आरक्षित है. सबसे ज्यादा वोट बैंक जाटव समाज जो करीब सवा तीन लाख से ज्यादा है. इसके बाद मीणा समाज का है जो 1.5 लाख से ज्यादा है. यहां 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट है जबकि 80 हजार राजपूत वोट बैंक है. इसके अलावा ब्राह्मण, लोदी और बघेल समाज का वोट है. जाटव वोटर्स बसपा के पाले में है. इसी सोच के चलते बसपा विधायक को बीजेपी अपने पाले में ले आयी है.
मीणा समाज और मुस्लिम समाज का वोट बैंक पारंपरिक रूप से कांग्रेस पाले के लिए जाना जाता है. ब्राह्मण, लोदी और बघेल समाज बीजेपी पाले में हैं. राजपूत समाज गुजरात के पगड़ी कांड के बाद से नाराज दिख रहा है जबकि कुशवाहा-माली समाज का वोट 50-50 प्रतिशत बंटा हुआ दिख रहा है. जिस तरह से विधानसभाओं में कांग्रेस विधायकों की पकड़ है, ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है यह आंकड़े बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.