Rajasthan Politics: राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में चित्तौड़गढ़ ऐतिहासिक मेवाड़ क्षेत्र की सामान्य सीट है, जो चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाई गई है. इस सीट पर राजपूतों और ब्राह्मणों का खासा प्रभाव है. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी इस सीट पर लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं और तीसरी बार भी ताल ठोक रहे हैं. पिछले बार सीपी जोशी ने यहीं पर कांग्रेस के 5.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था, जो सर्वाधिक अंतर वाली सीटों में शुमार थी. जोशी जहां जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब हैं. पूर्व मंत्री और 1998 में चित्तौड़गढ़ से सांसद रह चुके उदयलाल आंजना कांग्रेस की तरफ से जोशी के विजयी रथ को रोकने की तैयारी में हैं. अब रोचक होने वाला है कि एंट्रीबेसी बीजेपी लहर के बीच क्या सीपी जोशी चित्तौड़ के दुर्ग को अजेय रख पाते हैं या नहीं.
जैसा कि चित्तौड़गढ़ से पिछले दो बार से कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया है लेकिन इस बार यहां के नतीजे चौंकाने वाले आ सकते हैं. वैसे तो चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र चंद्रभान आक्या, गुलाबचंद कटारिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के प्रभाव वाली सीट है. सामान्य तौर पर देखा जाए तो यहां बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है क्योंकि सीपी जोशी लगातार दो बार के सांसद रह चुके हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर बीजेपी के विधायक बैठे हैं लेकिन यहां बीजेपी में एंटी लॉबी का बहुत बड़ा असर देखने को मिल सकता है.
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पिछले विधानसभा चुनाव में मावली विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पुष्करलाल डांगी जीते थे. उन्हें 77686 वोट मिले, जबकि बीजेपी के कृष्ण गोपाल पालीवार को 76129 वोट मिले. इसी सीट पर बीजेपी के बागी और आरएलपी के कुलदीप सिंह चूंडावत भी मैदान में थे जिनको 32521 वोट मिले. चूंडावत एंटी जोशी खेमें में हैं. इसके अलावा यहां भारत आदिवासी पार्टी के समर्थकों की तादाद भी हजारों में है, जो इस बार कांग्रेस को सपोर्ट कर रही है.
वहीं वसुंधरा खेमे के रणवीर सिंह भिंडर ने बागी होकर वल्लभनगर से चुनाव लड़ा था. उन्हें करीब 47 हजार वोट मिले थे. हालांकि उनकी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में वापसी हो चुकी है लेकिन बीजेपी के विधायक उदयलाल डांगी और भिंडर के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं. इधर, कपासन विधानसभा होने को तो बीजेपी के पास है लेकिन यहां आरएलपी का खास असर है. यहां मुस्लिम और धाकड़ वोट बैंक भारी संख्या है जो कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा है. वहीं बड़ी सादड़ी विधानसभा पर भारतीय आदिवासी पार्टी का असर देखने को मिल रहा है. इस इलाके में पायलट समर्थकों की तादात भी काफी अच्छी है.
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जातिगत समीकरण की बात करें तो चित्तौड़गढ़ में कुल मतदाताओं की संख्या 18,18,147 है. इनमें 9,28,572 पुरुष और 8,89,575 महिला वोटर हैं. कुल आबादी का 13 फीसदी अनुसूचित जाति और 23.42 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. यहां की कुल जनसंख्या का 85 प्रतिशत ग्रामीण और 15 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. हालांकि बीजेपी का खेमा इस सीट पर काफी मजबूत लग रहा है लेकिन हाल में मुस्लिमों के विरूद्ध भाषण से मुस्लिम समुदाय के पीएम मोदी के प्रति नाराजगी जाहिर की जा रही है. ऐसे में अगर मुस्लिम समुदाय के लोगों को कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक के साथ पायलट के समर्थकों का एकमुश्त समर्थन हासिल हो गया तो कांग्रेस के उदयलाल आंजना बीजपेी के सीपी जोशी को बराबर की टक्कर दे सकते हैं.