Jhalawar-Baran Loksabha: राजस्थान की झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र एक हाई प्रोफाइल सीट है. दरअसल, इस वसुंधरा राजे परिवार का गृह क्षेत्र है. यही वजह है कि इस सीट को भारतीय जनता पार्टी का अभेद गढ़ माना जाता है. वैसे तो यह सीट परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आयी. तब से अब तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सुपुत्र दुष्यंत सिंह यहां से सांसद रहे हैं. बीजेपी यहां से अब तक कभी नहीं हारी है. यहां वसुंधरा राजे का भी खास प्रभाव रहा है. परिसीमन से पहले वसुंधरा राजे खुद यहां से 5 बार की सांसद रही हैं. इस सीट पर बीजेपी का पिछले 35 सालों से कब्जा रहा है.
यहां कांग्रेस के कई दांव चलें लेकिन सभी दांव वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह के सामने विफल रहे. कांग्रेस ने गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया को इस किले को फतेह करने की जिम्मेदारी सौंपी है. उर्मिला बारां की जिला प्रमुख भी हैं. इससे पहले उर्मिला 2009 में भी दुष्यंत सिंह को यहीं से चुनौती दे चुकी हैं. 15 साल बाद दोनों चेहरे एक बार फिर से आमने सामने होंगे.
1984 के बाद से कभी जीत नहीं पाई कांग्रेस
2009 के आम चुनाव में झालावाड़-बारां में हुई चुनावी जंग में उर्मिला जैन भाया को हार नसीब हुई थी. उस चुनाव में दुष्यंत सिंह को 4,28,996 वोट मिले जबकि उर्मिला को 3,76,208 मत पड़े. दुष्यंत सिंह ने उन्हें करीबी 52,841 वोटों से हराया था. मूल रूप से बारां निवासी उर्मिला जैन भाया बीते दो दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. उनकी पहचान एक समाजसेवी के रूप में है. उर्मिला के पति प्रमोद जैन भाया तीन बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने 2003 में पहली बार चुनाव लड़ा था और निर्दलीय जीत दर्ज की. एक बार लड़े गए इकलौते लोकसभा चुनाव में उन्हें हार नसीब हुई है.
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दुष्यंत सिंह ने झालावाड़-बारां में 2009, 2014 और 2019 में जीत दर्ज की है. इससे पहले भी वे झालावाड़ से एक बार सांसद रह चुके हैं. वसुंधरा राजे के खास प्रभाव वाली इस सीट पर बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है. खास बात ये है कि इस सीट पर 1984 के बाद से कांग्रेस कभी जीत ही नहीं पाई.
खानपुर में इकलौता कांग्रेस विधायक
चूंकि साधारण श्रेणी वाली यह सीट बीजेपी के लिए एक पूर्ण सुरक्षित सीट है. इस मिथक तोड़ने के लिए कांग्रेस भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है. एक विडंबना ये भी है कि संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली 8 में से 7 सीटों पर बीजेपी के विधायक बैठे हैं. झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र में चार झालावाड़ और चार बारां की विधानसभा आती हैं. अंता, किशनगंज, बारां अटरू, छबड़ा, डेग व मनोहरथाना में बीजेपी विधायक हैं. झालरापाटन से वसुंधरा राजे खुद लंबे समय से विधायक हैं. इकलौता खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर ही कांग्रेस के टिकट पर चुने गए हैं. इसके चलते ही माना जाता है कि यह सीट बीजेपी की अपनी सीट है.
सामाजिक ताना बाना
झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां गुर्जरों का खासा प्रभाव है. गुर्जरों के बाद इस सीट पर एससी/एसटी आते हैं, जिनकी आबादी लगभग 35 फीसदी है. अनुसूचित जाति के कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 335,530 यानी 17.7 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के वोटर लगभग 327,947 यानी 17.3 फीसदी हैं. इस सीट पर जैन और मुस्लिम वोट भी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. मुस्लिम वोटर करीब 165,908 यानी 8.8 फीसदी हैं. झालावाड़-बारां की कुल जनसंख्या की बात करें तो साल 2011 की जनगणना के मुताबिक झालावाड़-बारां की आबादी 26,34,085 है. इसमें 81.64 प्रतिशत हिस्सा शहरी और 18.36 प्रतिशत ग्रामीण है.
पिछले लोकसभा चुनावों का परिणाम
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दुष्यंत सिंह 4.5 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. दुष्यंत ने कांग्रेस के प्रमोद शर्मा को हराया था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में झालावाड़-बारां से बीजेपी के दुष्यंत सिंह ही जीते थे. इस चुनाव में बीजेपी के दुष्यंत सिंह को 6,76,102 और कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को 3,94,556 वोट मिले थे. 2009 में दुष्यंत ने उर्मिला जैन भाया को 52 हजार से अधिक वोटों के अंतर से शिख्स्त दी थी. इस बार दोनों फिर से एक बार आमने सामने हैं.
इस बार के चुनावों में वैसे तो बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत और सुरक्षित मानी जा रही है. गहलोत सरकार के खिलाफ नाराजगी के चलते विधानसभाओं में भी बीजेपी के ही विधायक हैं. प्रमोद जैन भाया का क्षेत्र में प्रभाव और उर्मिला जैन की समाजसेवी वाली छवि उनके पक्ष में जा रही है. लैडिज वोट बैंक भी एक फैक्टर है जो उर्मिला के पक्ष में जा सकता है. हालांकि वसुंधरा राजे के प्रभाव को यहां से हटा पाना काफी मुश्किल लग रहा है.