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Rajasthan Politics: कोटा-बूंदी लोकसभा सीट इस बार अपने एक अनोखे मुकाबले के चलते हॉट बनी हुई है. यहां दो दोस्त एक दूसरे के सामने चुनावी मैदान में है. बीजेपी के दो बार के सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एक तीसरी बार मैदान में हैं. यहां पर उन्हें पुराने साथी और भारतीय जनता पार्टी से दो बार विधायक रहे प्रहलाद गुंजल से भिड़ना है. गुंजल  कोटा संभाग के गुर्जर समुदाय के दिग्गज नेता हैं जो इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. प्रहलाल गुंजल पिछले विधानसभा चुनाव में शांति धारीवाल से करीबी मुकाबले में हार गए थे.

प्रहलाद गुंजल कोटा उत्तर से दो बार विधायक रहे हैं. उन्हें वसुंधरा राजे के खास और करीबी नेताओं में से एक माना जाता है. उनकी छवि बेदाग नेता के तौर पर जानी जाती है. गुर्जरों में मजबूत पकड़ होने की वजह से ओम बिरला के सामने चुनौती काफी कठिन मानी जा रही है.

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हैट्रिक जमाने पर है बिरला की नजर

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला लगातार तीसरी बार कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. बिरला ने 2014 में पहली बार यहां से चुनाव लड़ा और मोदी लहर में जीतकर लोकसभा पहुंचे. दूसरी बार जीतकर बिरला स्पीकर बन गए. लोकसभा चुनाव 2019 में 59.1 प्रतिशत वोट प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2,78,512 मतों के अंतर से पराजित किया था. ओम बिरला 2014 के आम चुनाव में भी यहां से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे. इस बार बिरला की नजर जीत की हैट्रिक जमाने पर है.

8 विस सीटों पर बराबर का मुकाबला

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल आठ विधानसभा सीटें शामिल हैं. इनमें बीजेपी और कांग्रेस के चार-चार विधायक हैं. केशवरायपाटन, बूंदी, पिपाड़ा व कोटा उत्तर विधानसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में हैं. शेष सांगौड़, कोटा दक्षिण, लाड़पुरा एवं राजगंज मंडी विधानसभा सीटें बीजेपी के पास है. यहां शांति धारीवाल एक बड़ा नाम है जो कोटा उत्तर से विधायक हैं. धारीवाल कोटा से सांसद भी रह चुके हैं. कोटा को सजाने संवारने में धारीवाल का काफी बड़ा हाथ है. ऐसे में प्रहलाद गुंजल को बड़ा समर्थन मिल सकता है. हालांकि दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव कई बार देखा गया है.

कोटा का सियासी गणित

कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में 20.62 लाख मतदाता निवास करते हैं. इनमें 10.61 लाख पुरूष और 10.01 लाख महिला मतदाता हैं. यहां ओम बिरला एक बड़ा नाम है. उनकी छवि बेदाग और सॉफ्ट नेचर नेता की मानी जाती है. ओम बिरला वर्तमान में लोकसभा स्पीकर भी है. बिरला पीएम मोदी और आरएसएस के करीबी भी माने जाते हैं. ऐसे में ओम बिरला का दावा यहां काफी मजबूत है. वहीं प्रहलाद गुंजल को इस बार कांग्रेस का सहारा है. हालांकि उनके दल बदलने से उनके समर्थकों में भी गफलत है. हालांकि यहां मुकाबला काफी टक्कर का है. यहां दो करीबी दोस्तों के बीच मुकाबला काफी रोचक होने वाला है.

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