Loksabha Election: जूनागढ़ और जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध बीकानेर अब राजनीति के सियासी दंगल में सुलग रहा है. भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल यहां लगातार पांचवीं बार ‘कमल’ खिलाने का सपना संजो रहे हैं. मेघवाल खुद जीत की हैट्रिक लगा रहे हैं. बीजेपी पिछले दो दशकों से बीकानेर का गढ़ बनी हुई है. अर्जुनराम मेघवाल की साफ, बेदाग छवि, पीएम नरेंद्र मोदी से नजदीकी और पार्टी में बढे़ कद से उनको फायदा होता दिख रहा है. उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने उनके सामने राजस्थान सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल को उतारा है. हालांकि चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में गोविंदराम मेघवाल खाजूवाला सीट से चुनाव हार बैठे थे लेकिन अर्जुनराम मेघवाल को बराबर की टक्कर देने के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं.
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हीमैन धर्मेंद्र भी लड़ चुके हैं चुनाव
बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र भी बीकानेर से सांसद रह चुके हैं. 2004-2009 में बीजेपी के टिकट पर धर्मेंद्र बीकानेर से सांसद थे. उसके बाद से लगातार तीन बार अर्जुनराम मेघवाल यहां से जीतते आ रहे हैं. पिछले आम चुनाव में अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस के मदन गोपाल मेघवाल को दो लाख 64 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. अर्जुनराम मेघवाल को 657743 तो मदन गोपाल को 393662 वोट मिली. 2014 में अर्जुनराम मेघवाल ने कांग्रेस के शंकर पन्नू को 3,08,079 वोटों से, वहीं 2009 में कांग्रेस के रेवत राम पंवार को 19,575 वोटों से शिख्स्त दी थी.
बीकानेर का जातिगत गणित
बीकानेर एससी वर्ग के आरक्षित सीट है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में 18 लाख 49 हजार से ज्यादा मतदाता थे. इनमें से 978122 पुरुष मतदाता और 873490 महिला वोटर थे. इस बार वोटर्स की संख्या 19 लाख के करीब है. इस इलाके में दलित मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. इसके अलावा गुर्जर, ब्राह्राण, ठाकुर समेत अन्य जातियां भी हैं. हालांकि दोनों दलों ने मेघवाल चेहरों पर दांव खेलकर वोटों का ध्रुवीकरण तो कर ही दिया है.
बीकानेर का सियासी गणित
वर्तमान में यहां बीजेपी मजबूत दिख रही है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी को लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं विधानसभा चुनावों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने यहां अपने बागी जाट नेताओं को अपने साथ मिला लिया है. बीजेपी के अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल सहित कुल 9 प्रत्याशी मैदान में है. हालांकि एक बसपा सहित अन्य 6 निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए दिख रहे हैं. गहलोत सरकार में मंत्री रहे बी.डी.कल्ला को यहां से विधानसभा चुनावों में हार मिली है. इसको देखते हुए मामला बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है. इस बीच अगर गोविंदराम मेघवाल गुर्जर वोट बैंक को अपनी तरफ कर लेते हैं तो मुकाबला कांटे का हो सकता है.