आखिर देशभर में क्यों हो रहा वक्फ संशोधन बिल का विरोध, SC में पिटीशन तक लगी?

लोकसभा-राज्यसभा से पारित हो चुके वक्फ संशोधन बिल का कानून बनना तय लेकिन देशभर की सड़कों पर हो रहा विरोध प्रदर्शन, हालांकि बिहार चुनाव से पहले क्रियान्वयन होना मुश्किल..

naresh meena
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वक्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पूर्ण बहुमत से पारित हो चुका है. अब इसे राष्ट्रपति को भेजा जाना है और उनकी सहमति के बाद यह कानून बन जाएगा. हालांकि शुरूआत से ही इस बिल का देशभर में विरोध हो रहा है. मुस्लिम समुदाय के अलावा कांग्रेस सहित विपक्षी दल भी इसके विरोध में उतर आए हैं. कई मुस्लिम संगठन तो बिल के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. शनिवार को ही आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है जबकि शुक्रवार को बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अलग अलग पिटीशन फाइल की है. कांग्रेस और तमिलनाडु की DMK ने भी याचिका लगाने की बात कही जा रही है.

 

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कुछ राज्यों में विरोधीभासी सड़कों पर भी उतर आए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. वक्फ संशोधन बिल के संसद से पास होने के खिलाफ देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, असम में विरोध प्रदर्शन किया गया. आखिर ऐसा क्या है इस बिल में कि देशभर में इसका विरोध हो रहा है. आइए जानते हैं पूरा गणित..

वक्फ संशोधन बिल : नए व पुराने में बड़े अंतर

  1. पुराना कानून में सेक्शन 40 में रीजन टु बिलीव के तहत, अगर वक्फ बोर्ड किसी प्रोपर्टी पर दावा करता है तो उस प्रोपर्टी का मालिक सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल में ही अपील कर सकता है जबकि नए बिल के अनुसार प्रोपर्टी का मालिक ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या अन्य उपरी कोर्ट में भी अपील कर सकेगा.
  1. वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी माना जाता है. उसे चुनौती नहीं दी जा सकती, जबकि वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी.
  1. किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका उपयोग इस्लामिक कार्यों के लिए हो तो वह संपत्ति वक्फ की हो जाती है, जबकि जब तक किसी ने प्रोपर्टी को वक्फ को दान न की हो, वह वक्फ की संपत्ति नहीं होगी. भले ही उस प्रोपर्टी पर मस्जिद बनी हो.
  1. वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्म के लोगों की नियुक्ति नहीं हो सकती, जबकि वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं और अन्य धर्म के दो सदस्यों की नियुक्ति हो सकेगी.

वक्फ संशोधन बिल: विरोध की असल वजह

  • संपत्ति पर दावा: पुराने कानून में वक्फ के एक दावे के बाद संपत्ति बोर्ड की हो जाती थी जबकि नए बिल में ऐसा नहीं है. यही विरोध की अहम वजह है. देश में रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड की है और इनमें से कई विवादित भी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के दावों को सीमित करेगा.
  • वक्फ ट्रिब्यूनल: अब तक वक्फ से जुड़े विवादों को केवल वक्फ ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकती थी और वह फैसला अंतिम होता था. इसमें कुछ एक को छोड़कर सभी फैसले वक्फ के हक में ही दिए जाते रहे हैं. अब इस फैसलों को हाईकोर्ट के साथ अन्य उपरी अदालतों में भी चुनौती दिए जाने का प्रावधान है. विपक्ष का कहना है कि इससे न्याय प्रक्रिया में देरी होगी? जबकि असल वजह कुछ और है.
  • महिला नियुक्ति: नए बिल में वक्फ बोर्ड में दो महिला सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है जबकि पुराने कानून में ऐसा नहीं है. कुछ समूहों का मानना है कि इससे वक्फ का परंपरागत ढांचा बदल जाएगा.
  • संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन: नए बिल में वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मजिस्ट्रेट के आफिस में किया जाना है. सरकार के बढ़ते नियंत्रण और वक्फ बोर्ड का संपत्तियों में देखलअंदाजी में आती कमी मुस्लिम समुदाय में विरोध की वजह बनती जा रही है.

समर्थित पार्टियों में भी बढ़ रहा विरोध

एनडीए की समर्थन पार्टी नीतीश कुमार की जदयू में भी वक्फ संशोधन बिल का समर्थन देने पर विरोधाभास की स्थिति पनप रही है. जदयू के वक्फ बिल संशोधन बिल का समर्थन देने से नाराज सात मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. चंद्रबाबू नायूड की पार्टी में भी कुछ इसी तरह का माहौल है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बिल के विरोध में एक बड़ा बयान देते हुए कहा, ‘मुस्लिमों को तंग करने के लिए आप (बीजेपी) हर चीज में हाथ डाल रहे हैं. अयोध्या के राम मंदिर में किसी मु​स्लिम को लिया क्या..वहां तो आपने मेरे जैसे हिंदू दलित तक को नहीं लिया. जिसकी लाठी उसकी भैंस ये हर वक्त ठीक नहीं.’ खड़गे ने केंद्र पर माइनॉरिटीज के हकों को छीनने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

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पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी वक्फ संशोधन बिल का विरोध जताया है. पार्टी सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि वक्फ विधेयक पारित करके RSS-भाजपा शासन ने अपनी मुस्लिम विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी मंशा की पुष्टि की है. आज भारत क्रूर बहुसंख्यकवाद के एक अंधेरे युग में चला गया है, जहां अल्पसंख्यक हितों को दरवाजा दिखा दिया गया.

अब आगे क्या

वक्फ संशोधन बिल का कानून बनना तय है. विशिष्ठ समुदाय द्वारा स्थापित नीतियों में कटौती और फेरबदल के चलते विरोध का बढ़ना भी स्वभाविक है. पिछले कुछ कानूनों को देखते हुए बिहार चुनावों तक इनका क्रियान्वयन होना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन आगामी आम चुनाव की तैयारियों को देखते हुए ‘अयोध्या के राम मंदिर’ की तरह वक्फ से जुड़े कानून को भारतीय जनता पार्टी का एक ब्रह्मास्त्र जरूरी माना जा सकता है.

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