बीजेपी के कद्दावर नेता ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद अब जाकर उनका दर्द छलका है. आहूजा ने स्वयं को दलित वर्ग का सबसे बड़ा मसीहा बताया और कहा कि मैं दलित का जन्मजात समर्थक रहा हूं आगे भी रहूंगा. उन्होंने ये भी कहा कि मैं कांग्रेस के उन नेताओं का विरोध करता हूं जो सनातन विरोधी हैं. बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा को अलवर की शालीमार सोसाइटी के राम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष राजस्थान टीकाराम जूली के जाने के बाद गंगाजल का छिड़काव कराने पर पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया था. इस मामले में गुरुवार को भी अलवर में दलित समाज ने अंबेडकर सर्किल से मिनी सचिवालय तक रैली निकाली और एडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए हुए ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ जाति उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करके सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई.
इधर, बीजेपी से निलंबित होने के बाद ज्ञानदेव आहूजा ने कहा, ‘मैं दलित समर्थक रहा हूं. मैं अपहरण कर मेवात ले जाई गईं दलितों की 27 लड़कियों को वापस लेकर आया था. मैं दलित का जन्मजात समर्थक रहा हूं. दलित परिवार पर हमला हुआ उसके साथ खड़ा रहा मैं दलित का सबसे बड़ा मसीहा हूं और रहूंगा.’
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पूर्व बीजेपी नेता ने आगे कहा कि मैं किसी जाति विशेष के खिलाफ आप शब्द नहीं बोले हैं. मैं जूली के जन्मदिन पर माला पहनाने गया था जबकि मुझे पार्टी के नेताओं ने मना किया था. मैं टीकाराम जूली का सम्मान करता हूं. मैं कांग्रेस की मानसिकता के खिलाफ हूं. मैं कांग्रेस के उन नेताओं का विरोध करता हूं जो सनातन विरोधी हैं.
दलित समाज ने घटना को बताया अपमान
अलवर की शालीमार सोसाइटी के राम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष राजस्थान टीकाराम जूली के जाने के बाद बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा द्वारा मंदिर के शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करवाया. इससे पूरे देश में सियासी बवाल हो गया. कांग्रेस ने भी इस मुद्दे जमकर उछाला और अपने नेता का अपमान बताया. वहीं दलित समाज ने भी इसे दलितों का अपमान बताते हुए प्रदेश भर में प्रदर्शन करते हुए ज्ञानदेव आहूजा का अनेकों स्थानों पर पुतला फूंका.
बीजेपी ने थमाया आहूजा को निलंबन नोटिस
इस मामले पर बवाल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निलंबित करते हुए जवाब मांगा था. पार्टी के प्रदेश महामंत्री और सांसद दामोदर अग्रवाल ने दिए नोटिस में लिखा, ‘आपने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करते समय यह प्रतिज्ञा की थी कि मैं किसी भी रूप में है इस पर श्वेता को नहीं मानता ना ही उसे व्यवहार में लाता हूं मैं जाति लिंग और अजब के आधार पर किसी तरह के भेद में विश्वास नहीं करता इसी प्रतिज्ञा तक के आधार पर आपकी प्राथमिक सदस्यता स्वीकार की गई थी राम मंदिर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के पूजा अर्चना और दर्शन करने का विरोध करते हुए आपने उसे मंदिर का गंगाजल से छिड़काव किया आपके इस कृत्य से पार्टी की छवि धूमिल हुई है, जिसके लिए आपको पार्टी से निलंबित किया जाता है.’
इस घटना पर राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदन राठौड़ ने सफाई देते हुए कहा कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं. साथ ही पार्टी ने ज्ञानदेव आहूजा को नोटिस जारी करते हुए तीन दिन में जवाब मांगा है और उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है.
बीजेपी के फायरब्रांड नेता रहे हैं ज्ञानदेव आहूजा
राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले ज्ञानदेव आहूजा अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से वर्ष 2013 से 2018 तक विधायक रह चुके हैं. उन्हें बीजेपी का फायरब्रांड नेता माना जाता है. आहूजा अपने विवादित बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहे हैं. वे सिंधी समाज से ताल्लुक रखते हैं और कई बार उनके बयान राजनीतिक गलियारों में विवाद का विषय बने हैं. वर्ष 2017 में भी उन्होंने गायों की तस्करी और वध के मामलों पर विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने ऐसे लोगों को मार डालने की बात कही थी. उन्होंने वायनाड में आए भूस्खलन को गौहत्या से जोड़कर भी बयान दिया था. 2018 में अपना टिकट काटे जाने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था. बाद में पार्टी के समझाने पर उन्होंने इरादा बदला और इसका इनाम देते हुए उन्हें प्रदेश का उपाध्यक्ष बना दिया गया था. आहूजा को बीजेपी के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माना जाता है.