इस समय देशभर में एक ही चर्चा है – वक्फ (संशोधन) बिल, जो अब देश का कानून बन चुका है. बीती शाम भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर करते ही वक्फ बिल ने कानून की शक्ल ले ली. अब केंद्र इसके लिए जल्दी ही एक नया नोटिफिकेशन जारी करेगा. वक्फ पर नया कानून बनते ही देश में एक नई बहस ने जन्म ले लिया है. वो है – अब भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निशाने पर अगला कौन? कुछ राज्य जहां अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा है, वहां अब इस बार का डर बैठ सा गया है कि कहीं अगला टार्गेट ईसाई धर्म से जुड़े लोग और कैथोलिक चर्चों न बन जाएं. केरल के मुख्यमंत्री ने इस बारे में अपनी चिंता जताई है.
केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कैथोलिक चर्चों को निशाना बनाए जाने की भी आशंका जताते हुए कहा कि वक्फ बिल अल्पसंख्यकों को टारगेट करने और चरणबद्ध तरीके से उन्हें खत्म करने के प्लान का हिस्सा लगता है. उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ के एक लेख पर चिंता जाहिर की है जिसमें चर्च की संपत्ति का जिक्र है.
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सीएम विजयन ने कहा, ‘ऑर्गनाइजर के लेख से समझा जाना चाहिए कि वक्फ बिल पास होने के बाद अब संघ कैथोलिक चर्च को निशाना बना रहा है. यह नकारात्मक संकेत देता है और RSS की मानसिकता दिखाता है. लेख में संघ की धर्म-विरोधी बहुसंख्यक सांप्रदायिक भावना दिखती है.’ वहीं वक्फ बिल पर विजयन ने कहा कि यह मुस्लिम अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है. इसके विरोध में लोकतांत्रिक और सेक्युलर आंदोलन किया जाना चाहिए.
राहुल गांधी ने भी दिया मिलता जुलता बयान
इस लेख पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी विजयन से मिलता जुलता बयान दिया है. राहुल गांधी ने ऑर्गनाइजर के आर्टिकल पर कहा, ‘ मैंने पहले ही कहा था कि वक्फ बिल अभी मुसलमानों पर हमला है, लेकिन आगे अन्य समुदायों को निशाना बनाया जाएगा. आरएसएस बिना वक्त गंवाए अब ईसाइयों को निशाना बना रहा है. ऐसे हमलों से सिर्फ संविधान ही हमें बचा सकता है.’
क्या लिखा था लेख में
मिली जानकारी के अनुसार, ‘हू हैज मोर लैंड इन इंडिया? द कैथोलिक चर्च वर्सेज वक्फ बोर्ड डिबेट’ शीर्षक से छपे इस लेख में दावा किया गया था कि भारत में कैथोलिक संस्थाओं के पास 7 करोड़ हेक्टेयर जमीन है. भारत सरकार के बाद देश में सबसे ज्यादा जमीन उनके पास है. लेख में एक बड़ा आरोप ये भी लगाया गया है कि कैथोलिक संस्थाओं के अधीन अधिकतर जमीन ब्रिटिश शासन के दौरान इंडियन चर्च एक्ट 1927 के तहत अधिग्रहित की गई थी. इसमें 1965 के सरकारी आदेश के हवाले से लिखा गया था कि औपनिवेशिक काल के दौरान पट्टे पर दी गई जमीन अब चर्च की संपत्ति नहीं मानी जाएगी. हालांकि आपत्तियों के चलते ऑर्गेनाइजर ने यह लेख अपनी वेबसाइट से हटा लिया है.
अब देखना ये है कि वक्फ पर बढ़ते विरोध के बाद क्या कैथोलिक चर्च से जुड़े लोग क्या कदम उठाते हैं. वैसे वक्फ बिल के कानून बनते ही बौखलाहट तो शुरू हो ही गयी है.