क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रही है ‘दीदी’?

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हूंकार भरते हुए कहा, 'अगर कोई चुनौती देगा तो मुझे पता है कैसे देना है जवाब..' जेल जाने की बात भी कही

mamata banerjee
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की केंद्र सरकार से तनातनी जगजाहिर है. अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर अपना दुख तो जाहिर किया है लेकिन हालातों को पूर्ण रूप से निष्पादित करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि अगर कोई मुझे चुनौती देगा तो मुझे पता है कि कैसे जवाब देना है. दीदी ने ये भी कहा कि कोई मुझे सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने के लिए भी तैयार हूं. ऐसा बोलने पर मुझे चाहे जेल ही क्यों न हो जाए लेकिन लोगों का सम्मान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द करने के कलकता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल 2024 के एक फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें सरकारी स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था. साथ ही चयन प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान लगाए थे. इस फैसले पर दुख जाहिर करते हुए करते हुए ममता बनजी ने कहा कि किसी भी पात्र उम्मीदवार की नौकरी नहीं जाएगी. पार्टी सुप्रीमो नौकरी गंवाने वाले एसएससी उम्मीदवारों से जल्द ही मुलाकात भी करेंगी.

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राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ‘स्कूली नौकरियों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले से बंधी हुई हूं, लेकिन हालात से पूरी तरह सावधानी और निष्पक्षता से निपटा जाए, इसके लिए तत्परता से कदम उठा रही हूं. मैं पात्र उम्मीदवारों को स्कूल की नौकरी गंवाने नहीं दूंगी.’ उन्होंने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़ी हूं और उनका सम्मान वापिस दिलाने की हर संभव प्रयास करूंगी. 

आरोपों पर ममता का पलटवार

राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस चीफ ने कहा, ‘मेरा नाम ऐसी बात में घसीटा जा रहा है जिसके बारे में मुझे कोई आभास नहीं है. हमारे पास कुछ अलग योजनाएं हैं ताकि योग्य उम्मीदवार बेरोजगार न हों या उनकी सेवा में कोई रुकावट न आए. स्कूली नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े होने के लिए यदि कोई मुझे सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं.’

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने नियुक्तियों को रद्द करने वाले मामले में सुनाए अपने फैसले में कहा, ‘हमारे विचार से, यह ऐसा मामला है जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण रही है, जिसे सुधारा नहीं जा सकता. बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी के साथ-साथ माम को छिपाने के प्रयासों ने चयन प्रक्रिया को इतना नुकसान पहुंचाया गया है कि इसमें सुधार नहीं किया जा सकता.’

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर दाखिल 127 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘चयन की विश्वसनीयता और वैधता कम हो गई है, और तदनुसार, हमें इसे (उच्च न्यायालय के आदेश को) कुछ संशोधनों के साथ बरकरार रखना होगा.’

फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने ये भी कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं, उन्हें अब तक अर्जित वेतन और अन्य भत्ते वापस करने की जरूरत नहीं है. शीर्ष अदालत ने मानवीय आधार पर एक दिव्यांग कर्मचारी को भी छूट देते हुए कहा कि वह नौकरी में बनी रहेंगी.

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