प्रियंका गांधी और बांसुरी स्वराज की ‘बैग पॉलिटिक्स’ का मजेदार किस्सा!

प्रियंका गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की सुपुत्री बांसुरी के बीच चल रही बैग पॉलिटिक्स, पहली बार सदन में पहुंची हैं दोनों महिला राजनेता

Priyanka Gandhi and Bansuri Swaraj's 'bag politics'
Priyanka Gandhi and Bansuri Swaraj's 'bag politics'

पहली बार लोकसभा पहुंची दो लैडी पॉलिटिशियन में इन दिनों वॉर चल रही है. वो भी कोई ऐसी वैसी वॉर नहीं, ये है बैग पॉलिटिक्स वॉर, जिसमें दोनों महिला राजनेता हैंड बैग से एक दूसरों को जवाब दे रही हैं. ये हैं वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी और नई दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी की सांसद बांसुरी स्वराज, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की सुपुत्री हैं. दोनों में समानता ये भी है कि दोनों पहली बार लोकसभा के जरिए सदन में पहुंची हैं.

सांसद बांसुरी स्वराज हाल में वन नेशन वन इलेक्शन पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की मीटिंग में पहुंचीं थी. यहां उनके हाथ में एक बैग था, जिस पर लिखा था ‘नेशनल हेराल्ड की लूट’. इस वक्त सोनिया गांधी व राहुल गांधी सहित कई कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर ईडी की जांच चल रही है. दरअसल, 15 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोनिया, राहुल गांधी और सैम पित्रोदा के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. 25 अप्रैल को सुनवाई है. ऐसे में बांसुरी के हैंड बैग ने सभी का ध्यान आकर्षित किया. प्रियंका गांधी भी इस बैठक में मौजूद रहीं थी.

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इस बारे में प्रियंका गांधी का कहना है, ‘मैंने मीटिंग में उनसे इस पर चर्चा की थी. उन्होंने मुस्कुरा दिया. मुझे मजेदार लगा. प्रधानमंत्री के सलाहकार भी उन्हें गलत सुझाव दे रहे हैं. लोग जानते हैं कि गलत हो रहा है.’

प्रियंका ने की थी इसकी शुरूआत

बैग के जरिए विरोध करने को लेकर प्रियंका गांधी भी पीछे नही हैं. वह कई बार अलग-अलग बैग के साथ नजर आ चुकी हैं. 10 दिसंबर को प्रियंका गांधी संसद में पीएम नरेंद्र मोदी और कारोबारी अडाणी के कार्टून बने बैग लेकर पहुंची थीं. वे गौतम अडाणी पर अमेरिका कोर्ट में लगाए गए अभियोग के मुद्दे पर प्रदर्शन में शामिल हुई थीं. इससे पहले 16 दिसंबर को प्रियंका गांधी ‘फिलिस्तीन आजाद होगा’ लिखा बैग लेकर संसद पहुंची थीं. हैंड बैग पर शांति का प्रतीक सफेद कबूतर और तरबूज भी बना था. इसे फिलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक माना जाता है.

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