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Rajasthan Politics: लोकसभा चुनाव में राजस्थान विधानसभा के पूर्व स्पीकर डॉ.सीपी जोशी के मैदान में उतरने के बाद प्रदेश की भीलवाड़ा संसदीय सीट हॉट हो गयी है. जोशी 2009 में भीलवाड़ा से सांसद और तत्कालीन मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. पहले इस सीट पर डॉ.दामोदर गुर्जर को उतारा गया था लेकिन बाद में ब्रह्ममण समुदाय की नाराजगी को देखते हुए चित परिचित चेहरे के रूप में सीपी जोशी पर दांव खेला गया. सीपी जोशी के सामने बीजेपी ने दामोदर अग्रवाल को उतारा है, जो अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं. यहां सीपी जोशी के कद के सामने मोदी के नाम पर चुनावी मैदान में उतरे दामोदर अग्रवाल का मुकाबला बेहद रोचक रहने वाला है.

कौन हैं दामोदर अग्रवाल

भारतीय जनता पार्टी के चुनावी उम्मीदवार दामोदर अग्रवाल का यह पहला चुनाव है. उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद तीन साल तक ब्यावर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक के रूप में काम किया है. अग्रवाल इस चुनाव में संघ की पृष्ठभूमि के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. दामोदर अग्रवाल पीएम मोदी के 10 काल के शासनकाल और 2047 तक विकसित भारत की कल्पना के साथ भीलवाड़ा के विकास के मुद्दे के आधार पर वोट मांग रहे हैं.

पांच में से चार चुनावों में बीजेपी सिरमौर

अनारक्षित सीट वाला भीलवाड़ा कभी भी किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा है. यहां से कांग्रेस और बीजेपी के अलावा भी कई सांसद निकले हैं. पिछले पांच आम चुनावों की बात करें तो यहां चार बार बीजेपी का कब्जा रहा है. 1999 एवं 2004 में बीजेपी के वीपी सिंह बदनोर और 2024 एवं 2019 में पार्टी के ही सुभाष बहेरिया जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. बहेरिया ने 2014 में कांग्रेस के अशोक चांदना को 2.46 लाख और 2019 में रामपाल शर्मा को 6.11 लाख वोटों से करारी शिखस्त दी थी.

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बहेरिया 1996 में भी भीलवाड़ा से सांसद रह चुके हैं. बीजेपी ने इस बार बहेरिया की जगह दामोदर अग्रवाल को मौका दिया है. वहीं 2009 में सीपी जोशी ने बीजेपी का तीन बार का तिलस्प तोड़कर कांग्रेस को जीत दिलाई थी.

जातिगत आंकड़ों का गणित

सामान्य श्रेणी की इस सीट पर कुल 18,99,813 वोटर्स हैं. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 3,05,870 है. अनुसूचित जनजाति के मतदाता 1,25,388 तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1,64,644 है. यहां के 82 फीसदी यानी 15,65,446 मतदाता ग्रामीण वोटर्स हैं जबकि शेष 3,34,367 यानी 18 फीसदी वोटर शहरी हैं. पिछले साल यहां 64.5 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

क्या है विधानसभा का गणित

‘छोटा नागपुर’ के नाम से फेमस भीलवाड़ा शहर सहित भीलवाड़ा जिले के सात और बूंदी जिले की हिंडोली विधानसभा क्षेत्र से बने इस लोकसभा क्षेत्र में हिंडोली से अशोक चांदना कांग्रेस के एकमात्र विधायक हैं. अन्य ​आसींद, मंडल, सहारा, शाहपुरा, जहाजपुर व मांडलगढ़ सहित 6 सीटों पर बीजेपी और भीलवाड़ा विस सीट से आरएसएस समर्थक निर्दलीय विधायक मौजूद हैं. इस तरह से देखा जाए तो यहां कांग्रेस इस बार काफी कमजोर नजर आ रही है. चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में सीपी जोशी को नाथद्वारा से हार का सामना भी करना पड़ा था. ऐसे में सीपी जोशी ब्रह्ममण और गुर्जर वोट बैंक के सहारे अपनी नैया पार लगाने में लगे हुए हैं.

भीलवाड़ा से सीपी जोशी ही क्यों

सीपी जोशी 2009 से 2014 तक इसी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में भीलवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस दौरान मनमोहन कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं. उस समय जोशी ने भीलवाड़ा के पीने के पानी की गंभीर समस्या को चंबल नदी से पानी लाकर पूरा किया था. वहीं जोशी का यह भी कहना है कि आजादी के बाद कांग्रेस ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया था पर वह किसी कोर्ट के फैसले के कारण नहीं था. आज राम मंदिर का निर्माण तो कोर्ट के फैसले के कारण हुआ है और केवल मंदिर निर्माण से देश की समस्याओं का हल नहीं हो सकता है. ऐसे में सीपी जोशी चंबल के पानी और सड़कों के विकास के नाम पर जोशी चुनावी मैदान में उतरे हैं.

राजस्थान में सीपी जोशी कांग्रेस की ओर से ब्रह्ममणों का सबसे बड़ा चेहरा हैं. ब्राह्मणों की नाराजगी से संभावित डैमेज को कंट्रोल करने की कोशिश में ही टिकट बदल जोशी को मैदान में उतारा है. इन परिस्थितियों में कांग्रेस के डॉक्टर सीपी जोशी के विकास के मॉडल को या भाजपा के दामोदर अग्रवाल के मोदी फैक्टर को यहां की जनता पसंद करती है या आने वाला समय ही बताएगा. हालांकि पहली बार चुनावी जंग में उतर रहे दामोदर अग्रवाल और सीपी जोशी के बीच मुकाबला काफी रोचक रहने वाला है.

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