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Alwar Loksabha: दिल्ली एनसीआर से सटा राजस्थान का अलवर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक हॉट सीट बन गया है. पिछले आम चुनाव में बाबा बालकनाथ की जीत के बाद उम्मीद थी कि अब यहां बीजेपी का एकाधिपत्य स्थापित हो सकता है. हालांकि बाबा बालकनाथ को इस बार विधानसभा चुनावों में उतार बीजेपी ने सभी को चौंका दिया. अलवर सीट से इस बार मोदी सरकार में मंत्री भूपेंद्र यादव को मैदान में उतारा है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव अब तक राज्यसभा सांसद रहे हैं। वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने भी यादव चेहरे पर खेलते हुए ललित यादव को टिकट दिया है. दो यादव चेहरों में यादव वोट बैंक का बंटना तय है लेकिन अलवर की 8 में से 5 विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए भूपेंद्र यादव की चिंता जायज लग रही है.

पिछले एक दशक से महंतों का राज

अलवर की लोकसभा सीट पर पिछले एक दशक से बीजेपी और महंतों का आधिपत्य रहा है. 2014 में महंत चांदनाथ यहां से बीजेपी के टिकट पर जीते. उन्होंने कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को तकरीबन तीन लाख वोटों से हराया. चुनावों से एक साल पहले उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में 2018 में कांग्रेस के करण सिंह यादव जीत कर संसद पहुंचे. उन्होंने बीजेपी के जसवंत सिंह यादव को हराया. 2019 में महंत बाबा बालकनाथ योगी ने यहां से एक तरफा जीत दर्ज की. बालकनाथ योगी ने 3,29,971 मतों के भारी अंतर से कांग्रेस के जितेंद्र भंवर को हराया था. इससे पहले 2004 में करण सिंह यादव और 2009 आम चुनाव में जितेंद्र सिंह ने यह सीट कांग्रेस को दिलाई थी. 1952 से लेकर अब तक अलवर सीट से 11 कांग्रेसी सांसद निकले हैं. बीजेपी सांसदों की संख्या चार है.

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8 में से पांच सीटों पर कांग्रेसी विधायक

अलवर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. तिजारा, बहरोड़ व अलवर शहरी सीटों पर बीजेपी के विधायक ​काबिज हैं. अन्य किशनगढ़बास, मुंडावर, अलवर ग्रामीण (एससी), रामगढ़ व राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ सहित 5 सीटों पर कांग्रेस के विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीतकर सदन में पहुंचे हैं. ऐसा तब हुआ है जब प्रदेश में बीजेपी की लहर चल रही थी. इस लिहाज से कांग्रेस यहां काफी मजबूत है.

अलवर का जातिगत गणित

अलवर को राजस्थान का ‘सिंह द्वार’ कहा जाता है. इस अनारक्षित सीट पर यादव मतदाताओं का दबदबा रहा है.  अलवर में मतदाओं की संख्या 20,87,032 ​है. इनमें 10,99,214 पुरूष और 9,87,797 महिला मतदाता हैं. यहां एससी 17.73 फीसदी और एसटी 5.78 फीसदी मतदाता संख्या हार जीत का गणित तय करती है. इन्हें मुख्य तौर पर कांग्रेस का समर्थक माना जाता है. हालांकि पिछले कुल आम चुनावों में मोदी लहर का असर देखा जा रहा है.

क्या कहता है अलवर का सियासी समीकरण

2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बाबा बालकनाथ का टिकट बदल केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को थमाया है. कांग्रेस ने ललित यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. दोनों में करीबी घमासान होने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है. सीट पर कांग्रेस के पांच विधायक जमकर पसीना बहा रहे हैं. हालांकि पिछले आम चुनाव में अलवर से जीते बाबा बालकनाथ इस समय तिजारा से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं 1999 में अलवर से सांसद रह चुके जसवंत सिंह यादव बहरोड़ से विधायक हैं. इन दोनों की इस इलाके में अच्छी खासी पकड़ है जो ललित यादव को भारी पड़ सकती है. वैसे भूपेंद्र यादव मोदी के भरोसे ही मैदान में हैं और ललित यादव अपने पारंपरिक वोटर्स के दम पर उन्हें करीबी टक्कर देते हुए नजर आ रहे हैं.

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