rajasthan politics
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Lokesh Sharma PC on Phone Taping: राजस्थान में दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने प्रदेश के चर्चित फोन टैपिंग, पेपर लीक, 25 सितंबर की घटना को लेकर बड़े खुलासे किए. लोकेश शर्मा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि जो कृत्य मैंने किया ही नहीं, उससे जुड़े मामले में पिछले 3 साल से मैं दिल्ली क्राइम ब्रांच में पूछताछ की प्रताड़ना झेल रहा हूं. मुझे उस समय यह भरोसा दिलाया गया था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे, लेकिन आज उन्होंने इस केस को लेकर बात करना तक बंद कर दिया और पूरी तरह इस घटनाक्रम से किनारा कर लिया. मैं तत्कालीन मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी के रूप में जिस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा था, उसके तहत आज तक मैंने वही किया, जो मुझे निर्देश दिए गए. जब भी मुझसे फोन टैपिंग से जुड़े ऑडियो को लेकर मीडिया या जांच एजेंसी द्वारा पूछा गया, तो मैंने यही कहा कि ये ऑडियो क्लिप मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से मिले, लेकिन वास्तविकता यह नहीं है.

लोकेश शर्मा ने फोन टेपिंग प्रकरण पर खुलासा करते हुए बताया कि 16 जुलाई 2020 को कुछ ऑडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जो कि मैंने अपने मोबाइल नंबर से मीडिया के साथ साझा की थीं. इन ऑडियो क्लिप्स में कथित रूप से विधायकों की खरीद-फरोख्त के माध्यम से तत्कालीन राज्य सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी. घटना की वास्तविकता यह है कि 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट आए थे क्योंकि गहलोत समर्थक विधायकों को बाड़ेबंदी के दौरान इसी होटल में रखा गया था और लगभग दोनों समय गहलोत होटल आते थे और बातचीत करते थे. 16 जुलाई 2020 को गहलोत होटल फेयरमोंट से करीब साढ़े 4 बजे निकल गए. उनके जाने के एक घंटे बाद उनके पीएसओ रामनिवास का मुझे फोन आया और मुझे तुरंत मुख्यमंत्री आवास पहुंचने के लिए कहा गया. मैं होटल से निकलकर तुरंत मुख्यमंत्री आवास पहुंचा. जैसे ही मैं मुख्यमंत्री आवास पहुंचा, गहलोत ने मुझे एक पेनड्राइव और ये टाइप किया हुआ पेपर दिया. इस पेन ड्राइव में वे तीनों ऑडियो क्लिप थीं, जिन्हें मैंने आप सभी के माध्यम से जनता तक पहुंचाया. उन ऑडियो क्लिप्स के साथ मैंने ये पेपर भी आप सभी को भेजा था. इस ऑडियो क्लिप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिवंगत विधायक स्व. भंवरलाल शर्मा और किसी संजय जैन नाम के व्यक्ति के बीच की बातचीत होने का हवाला दिया गया था. इस पेनड्राइव में सेव ऑडियो क्लिप और पेपर को मीडिया को साझा करने के लिए मुझे कहा गया. क्योंकि पेन ड्राइव से सीधे ही ऑडियो क्लिप साझा नहीं किए जा सकते थे. इसलिए मैंने घर आकर मेरे लैपटॉप में ऑडियो क्लिप लेकर उन्हें अपने फोन में लिया और उसके जरिए ऑडियो क्लिप मीडिया के साथ साझा किए. लोकेश शर्मा ने कहा कि ये ऑडियो क्लिप मुझे सोशल मीडिया से नहीं मिली थीं, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुझे इस पेन ड्राइव के जरिए दी थीं. ऑडियो क्लिप वायरल होते ही इनके आधार पर संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए.

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लोकेश शर्मा ने आगे कहा कि इन ऑडियो क्लिप के जरिए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को फंसाने का प्रयास किया गया और यह कहा गया कि शेखावत और सचिन पायलट मिलकर तत्कालीन राज्य सरकार को गिराना चाहते हैं. उनकी ऐसी मंशा थी कि इस पूरे प्रकरण के पीछे भाजपा का हाथ है, जबकि वास्तविकता यह नहीं थी. सचिन पायलट ने उस समय यह कहा था कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही थी, इसलिए हमने समर्थक विधायकों को एकजुट किया. उन तमाम विधायकों के फोन सर्विलांस पर लिए गए जो सचिन पायलट के साथ उस पूरे घटनाक्रम में मौजूद रहे, इनमें सचिन पायलट भी शामिल थे. यही नहीं, कुछ ऐसे विधायक जो गहलोत के समर्थन में बाड़ेबंदी में बंद थे, उनके मोबाइल फोन भी सर्विलांस पर लिए गए थे. इन सभी विधायकों की लगातार ट्रैकिंग करते हुए इनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी. वहीं शर्मा ने आगे कहा कि ऑडियो मीडिया में सर्कुलेट किए जाने के बाद भी जब मीडिया में इसकी खबर नहीं चली, तो गहलोत ने मुझे इस दौरान भी 2 बार व्हॉट्सएप कॉल कर यह पूछा कि अभी तक इन ऑडियो कॉल को लेकर कोई खबर क्यों नहीं चली है. इस पर मैंने कहा कि अभी ऑडियो मीडिया को भेजे हैं, इसलिए थोड़ा समय लगेगा. इसके बाद जब इन ऑडियो टेप को लेकर मीडिया में खबर आई, तब जाकर मुझे इस बात की जानकारी हुई कि आखिर इन ऑडियो टेप में क्या है, अन्यथा मुझे यह भी जानकारी नहीं थी कि जिन ऑडियो क्लिप्स को मुझे मीडिया को साझा करने के लिए कहा गया है, उन ऑडियो क्लिप्स में आखिर क्या है. मैंने केवल वही किया जो मुझे निर्देश दिए गए थे. यही नहीं मुझसे मेरी डिवाइस को भी नष्ट करवा दिया गया.

लोकेश शर्मा ने कहा कि मुझसे फोन नष्ट करने की पुष्टि कर लेने के बाद भी शायद वे इसे लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे. इसलिए 26 नवंबर 2021 को इसी ऑफिस में, जहां आप सभी लोग बैठे हैं, मेरे इसी ऑफिस में गहलोत ने एसओजी की रेड डलवाई. जब उन्हें मोबाइल नहीं मिला, तब जाकर उन्हें संतुष्टि हुई कि हां, उस मोबाइल को नष्ट कर दिया गया है. ये गहलोत की वास्तविकता है. फोन टैपिंग जो की गई, वो कानूनन सही थी, या गैर-कानूनी थी, लेकिन ये स्पष्ट है कि फोन इंटरसेप्शन गहलोत के द्वारा करवाया गया और उन्हीं इंटरसेप्टेड क्लिप्स को पेनड्राइव के जरिए मुझे मीडिया को भेजने के लिए दिया गया. फोन टेपिंग को लेकर मेरे खिलाफ दर्ज मामले में जब मुझे दिल्ली क्राइम ब्रांच की ओर से पूछताछ के लिए बुलाया जाता था, तो केंद्रीय मंत्री शेखावत पर दबाव बनाने के लिए, राजनीतिक फायदा लेने के लिए उनकी छवि को धूमिल करने के लिए संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी मामले से जुड़े लोगों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया जाता था और उनके वीडियो रिकॉर्ड कर शेखावत की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया, ताकि उनपर व्यक्तिगत आरोप लगाए जा सकें.

लोकेश शर्मा ने इसके साथ ही पेपर लीक प्रकरण को लेकर प्रदेश की मौजूदा भजनलाल सरकार की कार्यशैली की सराहना की. वहीं रीट पेपर लीक प्रकरण को याद दिलाते हुए बताया कि गहलोत सरकार ने उस समय युवाओं की हितैषी सरकार होने का दिखावा किया, लेकिन पेपर लीक में पूरे सिस्टम की मिलीभगत थी और ये वो लोग थे जो कि इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए बने हुए हैं. जब पेपर लीक प्रकरण में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जारोली की इसमें संलिप्तता पाई गई, तो पूरी सरकार इसी पशोपेश में थी कि उन्हें बर्खास्त कैसे किया जाए, इसे लेकर भी काफी चिंतन-मनन किया गया और आखिर में उन पर की गई कार्रवाई के लिए बर्खास्त शब्द का प्रयोग किया गया. जो मुख्यमंत्री प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ इस तरह से खिलवाड़ करे और दोषियों की जानकारी होने के बाद भी उन्हें अपना आदमी कहकर बचाने का काम करे, ऐसे मुख्यमंत्री के लिए क्या कहा जाना चाहिए, ये प्रदेश की जनता खुद तय करे. लोकेश शर्मा ने वर्तमान सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वे पेपर लीक प्रकरण की तह तक जाकर सभी दोषियों को सजा दिलाने का काम करें और इसकी जांच के लिए आज पेश किए गए सबूत अगर राज्य सरकार मांगती है, तो मैं इन सबूतों को राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दूंगा.

लोकेश शर्मा ने आगे कहा कि कोरोना काल में जब जनता की जान बचाने की प्राथमिकता थी, उस काल में भी उपकरणों की खरीद-फरोख्त के नाम पर जमकर घोटाला किया गया. इसी तरह राजस्थान ग्रामीण और शहरी ओलंपिक, महिलाओं को मुफ्त मोबाइल वितरण जैसी योजनाओं के नाम पर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में करोड़ों रुपए के घोटाले हुए, जिनकी जांच भी मौजूदा राज्य सरकार को करनी चाहिए.

वहीं लोकेश शर्मा ने 25 सितंबर 2022 के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का जो आलाकमान अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए भी तैयार था, गहलोत ने उस आलाकमान को भी धोखा देने का काम किया. आलाकमान के दूत के रूप में जब मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन जब प्रदेश में आए थे, उस एजेंडे को भी एक सोची-समझी साजिश के तहत लागू नहीं होने दिया गया. उस समय गहलोत तनोट माता के दर्शन करने गए हुए थे. वहां दर्शन के कुछ समय बाद उन्होंने मुझे फोन कर कहा कि यह खबर चलवाओ कि जितने भी विधायक तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के घर इकट्ठे हुए थे, उनकी एक ही मांग है कि चाहे हममें से किसी को भी मुख्यमंत्री बना दो, लेकिन सचिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बनने चाहिए. इस तरह गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान को भी धोखे में रखा. गहलोत हमेशा यही दोहराते रहे कि आलाकमान जो चाहेगा, लेकिन असल में उस दिन वो नहीं हुआ, जो कांग्रेस आलाकमान चाहता था. वहीं विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी आलाकमान को धोखे में रखा, जबकि सभी सर्वे और फीडबैक में एक ही बात सामने आ रही थी कि मौजूदा विधायकों में से करीब 25-30 लोगों के टिकट कटने चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं होने दिया. इसके बाद प्रदेश के जितने भी नेताओं ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी, उन सभी ने एक ही व्यक्ति का नाम लिया और वह अशोक गहलोत का नाम था. गहलोत अपनी पार्टी में किसी और को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं.

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