बीजेपी को 240 सीटों पर समेटने वाला इंडिया अलायंस अब खत्म होने की कगार पर है!

कांग्रेस इस बात को न माने, लेकिन सच यही है कि यह अलायंस सिर्फ लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए बनाया गया था. अगर यह टूटता है तो कांग्रेस पर इसका इम्पैक्ट बहुत बुरा हो सकता है..

india alliance meeting in delhi
india alliance meeting in delhi

विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन, जिसने आम चुनावों में 400 का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी को महज 240 सीटों पर समेट दिया. क्या अब इस गठबंधन के खत्म होने का वक्त आ गया है? कुछ मनमुटाव, कुछ टकराव के साथ साथ पहले कांग्रेस का अति आत्मविश्वास और उसके बाद चार राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन, ये कुछ वजह हैं जिनकी वजह से अब यह गठबंधन शायद मृतप्राय हो चुका है. ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की तो पहले से ही कैट फाइट चल रही है. ममता ने कांग्रेस को बंगाल में आम चुनाव के दौरान सीटें देने से मना कर दिया था. ऐसे में कांग्रेस ने सभी सीटों पर सीपीआईएम के साथ मिलकर उम्मीदवार उतारे थे. यहीं से दोनों के बीच खटास आ गयी.

वहीं दिल्ली में गठबंधन करने वाली आप और कांग्रेस हरियाणा में एक दूसरे के खिलाफ चुनावी जंग में उतरे. यूपी में एक साथ चुनाव लड़ने वाली सपा ने महाराष्ट्र में कांग्रेस का साथ छोड़ चुकी है. अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी गठबंधन से हटने के संकेत दे दिए हैं. यही वजह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अलग थलग नजर आ रही है.

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दरअसल, इंडिया गठबंधन को नरेंद्र मोदी और बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए खड़ा किया गया था. बाद में इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ निहीत होते गए और संगठन कमजोर होता गया. राज्यों के चुनावों में भी इस गठबंधन का बट्ठा बैठ गया. अब तो गठबंधन को लीड करने पर भी लड़ाई शुरू हो गयी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कहा कि इंडिया गठबंधन मैंने बनाया है और आगे जरूरत पड़ी तो मैं इसे लीड भी करूंगी. लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की कोई बैठक न होना भी इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह बनेगी. एक बड़ी वजह नीतीश कुमार भी हैं. वो इस गठबंधन के सूत्रधारों में से एक थे, लेकिन पाला बदलकर एनडीए के साथ चले जाने से गठब्ंधन पहले दोराहे पर ही कमजोर हो गया. अब नीतीश कुमार एनडीए की बैसाखी बनकर सरकार में खड़े हैं.

हालांकि जो लोग ये कहते हैं कि इंडिया गठब्ंधन शुरूआत से ही कमजोर स्थिति में था, तो यह सरासर गलत है. बीजेपी का दावा था कि वह 2019 के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करेगी और 400 सीटें जीतेगी. 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीती थीं. 5 जून को जब चुनावी नतीजे आए, तो बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई. वहीं कांग्रेस 52 से 99 सीटों पर पहुंच गई. इसके पीछे सबसे बड़ा रोल INDIA अलायंस का था.

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अब लोकसभा के बाद देश में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए. यहां कुल 554 विधानसभा सीटें हैं लेकिन कांग्रेस इनमें से सिर्फ 75 सीटें यानी करीब 13% सीटें ही जीत सकी. हरियाणा और महाराष्ट्र में तो कांग्रेस बुरी तरह से हारी है. झारखंड और जम्मू कश्मीर में भी स्थिति खराब है लेकिन संयुक्त सरकार में होने की वजह से कांग्रेस हल्की सी प्लस में है. अब महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन से अलग होकर निकाय चुनाव में उतरने जा रही है. ऐसे में यहां भी गठबंधन टूटने की कमोबेश स्थिति में आ चुका है.

कांग्रेस इस बात को न माने, लेकिन सच यही है कि यह अलायंस सिर्फ लोकसभा चुनाव में NDA को हराने के लिए बनाया गया था. कांग्रेस पर इसका इम्पैक्ट बहुत बुरा हो सकता है. जिस अलायंस के दम पर कांग्रेस चर्चा में रहने लगी थी, उसके टूटने के बाद कांग्रेस की हालत पहले जैसी हो जाएगी. 2027 में यूपी चुनाव आने वाले हैं. इसमें जीत के लिए कांग्रेस को अलायंस का हिस्सा बने रहना बेहद जरूरी है. अगर अलायंस टूटता है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा. लोकसभा चुनाव में अलायंस ने बीजेपी को सीधी टक्कर दी थी. दरअसल, बीजेपी इतनी ताकतवर और मजबूत पार्टी बन चुकी है कि कोई भी पार्टी अकेले अपने दम पर उसे टक्कर नहीं दे सकती. ऐसे में अलायंस के टूटने से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होगा. अभी तो हालात ये है कि कांग्रेस चाहकर भी इस गठबंधन को टूटने से नहीं बचा पा रही है. अब देखना ये होगा कि राहुल गांधी या ​मल्लिकार्जुन खरगे या प्रियंका गांधी किस तरह से इंडिया ब्लॉक को टूटने से बचा पाते हैं.

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