दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान केस अब फिर से चर्चा में है. दिशा की मौत 8 जून, 2020 को मुंबई के मलाड इलाके की 14वीं मंजिल से गिरने से हुई थी. तब पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था. अब दिशा के पिता सतीश सालियान ने आरोप लगाया कि दिशा की गैंगरेप के बाद हत्या की गई थी लेकिन राजनीतिक दबाव में मामले को दबा दिया गया. यह मामला भी अब कोर्ट में जा चुका है. बीजेपी सांसद नारायण राणे ने इस मामले को राजनीतिक दिया जाना कबूल किया है.
अब इस सबके बीच सबसे गौर करने वाली बात ये है कि बिहार विधानसभा चुनाव से केवल चार महीने पहले इस मामले को तूल दिया जा रहा है, जबकि पिछले 5 सालों से यह मामला किसी बंद टोकरी में समाया हुआ था. सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या बीजेपी दिशा सालियान मामले को बिहार विस चुनाव में भुनाने का प्रयास कर रही है.
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दिशा मामले में आ रहा आदित्य-उद्धव का नाम
दिशा सालियान केस में बीजेपी सांसद नारायण राणे ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ने दिशा सालियान केस में उनके बेटे आदित्य ठाकरे का नाम न लेने का अनुरोध किया था. नारायण राणे ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने दो बार मुझसे बात की और अनुरोध किया कि मैं उनके बेटे आदित्य का नाम इस केस में न घसीटूं. राणे ने अब तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर एफआईआर दर्ज कर आदित्य ठाकरे को गिरफ्तार करने की मांग की है.
बिहार चुनाव आते ही मुद्दा उछाला जा रहा
शरद पवार समर्थित एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पांच साल पहले भी बिहार चुनाव के समय सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर राजनीति की थी. अब फिर 4 महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव हैं. इसको लेकर भाजपा ने दोबारा राजनीति शुरू कर दी है. वहीं शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा कि मैंने पूरे मामले की पुलिस जांच देखी है, यह हत्या नहीं एक दुर्घटना थी. उसके पिता ने घटना के पांच साल बाद याचिका दायर की है. भाजपा-शिवसेना की औरंगजेब पर राजनीति करने की कोशिश फेल हो गई. औरंगजेब के मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ने के लिए वे दिशा सालियान मामले को हवा दे रहे हैं.