दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए अग्नि परीक्षा, अकेला पड़ा ‘हाथ’

राजनीतिक विश्लेषक दिल्ली में न आम आदमी पार्टी और न ही बीजेपी की सरकारें बना रहे हैं, बल्कि कांग्रेस की सरकार बनाने की घोषणा कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस का चुनाव से पीछे हटना मुश्किल ही नहीं असंभव लगता है..

delhi assembly elections 2025
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अगले माह होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार तेज हो चला है. करीब करीब सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी की जा चुकी है. पिछले दो बार से एक तरफा जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी का इस बार भी विपक्ष पर झाडू फेरने की तैयारी चल रही है. वहीं बीजेपी और कांग्रेस के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. बीजेपी 2015 का प्रदर्शन दोहराने की जुगत में है लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली विसचु में कांग्रेस पार्टी सबसे अलग थलग दिख रही है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर होने की आशंका जताई जा रही है, परंतु वा​स्तविक परिस्थितियां इस बात की गवाह बनने का माद्दा नहीं रख पा रही हैं.

दरअसल, मौजूदा हालात में आम आदमी पार्टी ही अभी तक सर्वेसवा बनते दिखाई दे रही है. हालांकि दिल्ली की नई शराब नीति आरोपों में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित कई प्रमुख नेता जेलों की हवा खा चुके हैं. ऐसे में यही एक मुद्दा है जिसे बीजेपी जनता के बीच भुनाने का प्रयास कर रही है. अन्य सभी पहलूओं पर बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों ही मात खाती नजर आ रही है.

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दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक को लीड करने वाली कांग्रेस इस समय दिल्ली में अकेली पड़ गई है. महाराष्ट्र में गठबंधन को जो हालात हुई है, उसके बाद सभी ‘हाथ’ का साथ छोड़ झाडू के साथ सफाई में लगते दिख रहे हैं. इंडिया ब्लॉक में शामिल समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के साथ अब हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी आम आदमी पार्टी को समर्थन दे दिया है. इस समय कांग्रेस पूरी तरह से अकेली है और अकेले दम पर बीजेपी और आप के अरमानों पर ‘झाडू’ फेरने की फिराक में है.

ये भी एक हकीकत है कि कांग्रेस ​अब तक महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से उबर नहीं पायी है. पिछले दो चुनावों में तो कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया है. कमोबेश यही स्थिति दिल्ली के बीते संसदीय चुनावों में भी बरकरार है. फिर भी अब कांग्रेस पूर्ण रूप से प्रयास करे तो एकआत सीट पर तो जोर लगा ही सकती है. अगर इकलौती सीट भी पार्टी के खाते में समाहित होती है तो भी कांग्रेस की हित ही होगी. फिलहाल मुकाबला त्रिकोणीय बताया जा रहा है और चुनावी समीकरणों में भी कांग्रेस टक्कर में है, लेकिन कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के खिलाफ खड़ा होना बीजेपी के हित में ही है. इस वोट कटवा स्थिति में हर हाल में फायदा ‘कमल’ को ही होने वाला है.

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन अरविंद केजरीवाल के साथ है. इससे केजरीवाल गदगद हैं लेकिन सपा, बसा, तृणमूल का वैसे भी दिल्ली में कोई अस्तित्व नहीं. कांग्रेस तो पिछले दशकों में दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही है. ऐसे में जिन पार्टियों का दिल्ली में कोई वजूद नहीं, यदि वे इंडिया गठबंधन के नाम पर आम आदमी पार्टी का साथ देती है तो कोई फायदा नहीं. राजनीतिक विश्लेषक दिल्ली में न आम आदमी पार्टी और न ही बीजेपी की सरकारें बना रहे हैं, बल्कि कांग्रेस की सरकार बनाने की घोषणा कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस का चुनाव से पीछे हटना मुश्किल ही नहीं असंभव लगता है. अब जमीनी हकीकत क्या है, ये तो वक्त ही तय करेगा लेकिन कांग्रेस अगर पूर्ण कोशिश में दिल्ली पर फोकस करने पर लगाए तो संभावित परिणामों में फेर बदल करने में कामयाब हो सकती है.

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