16वीं से 18वीं सदी के किरदार अब लगने लगा है कि जिंदा हो रहे हैं और अगर ऐसा न हो तो भी जिस तरह से उन पर गंभीर चर्चा हो रही है, उसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि ये कल की ही बात हो. हालांकि इन चर्चाओं को चर्चा की जगह विवाद कहा जाए तो बेहतर होगा. इंदिरा गांधी, छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी, औरंगजेब और अब राणा सांगा, भारतीय राजनीति के पटल पर ये सभी किरदार जीवंत होते दिखाई दे रहे हैं. ताजा मामला मेवाड़ के शासक रहे राणा सांगा से जुड़ा है, जहां समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद द्वारा उन पर की गई टिपपणी से न केवल सियासी माहौल गर्माया हुआ है, बल्कि उसकी गूंज राजस्थान तक भी पहुंची है.
हुआ कुछ यूं कि समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने 16वीं सदी के राजपूत शासक एवं महाराणा प्रताप के दादा राणा सांगा पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी. इसे लेकर प्रदेश के सदन में भी भारी विवाद हुआ. बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने सूचना के माध्यम से टिप्पणी के लिए कार्रवाई की मांग की. इस पर जब कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि राज्यसभा सदस्य सुमन की टिप्पणी पर सदन में कोई चर्चा नहीं हो सकती, तो सत्ता पक्ष के विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई जिसे लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी.
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भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सवाल उठाया कि राणा सांगा के प्रति अनादर पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती. सत्ताधारी पक्ष के सदस्यों ने पूछा कि क्या कांग्रेस राणा सांगा को लेकर का गई ‘अपमानजनक टिप्पणी’ का समर्थन कर रही है. कृपलानी ने कांग्रेस पर तीखा निशाना साधते हुए कहा, ‘आपके रुख से यह साफ हो गया है कि आप रामजी लाल सुमन के साथ हैं. कांग्रेस ने खुद को बेनकाब कर लिया है. आप मुगलों का साथ दे रहे हैं.’ वहीं सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि कांग्रेस सुमन के साथ खड़ी है, जिन्होंने राणा सांगा का अपमान किया है.
किस विवादित टिप्पणी पर मचा बवाल
दरअसल, बीते शुक्रवार को राज्यसभा में सपा सांसद रामजी सुमन ने राणा को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, ‘भाजपा के लोगों का तकियाकलाम हो गया है कि इनमें बाबर का डीएनए है. हर जगह वे लोग इस बात को दोहराते हैं. हिन्दुस्तान का मुसलमान बाबर को नहीं मोहम्मद साहब को अपना आदर्श मानता है. मैं जानना चाहता हूं कि बाबर को कौन लाया था. इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लेकर आए थे. मुसलमान बाबर की लेकिन तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो.’
कौन थे राणा सांगा
महाराणा संग्राम सिंह यानि राणा सांगा राजस्थान के उदयपुर में राजपूत वंश के राजा और राणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र थे. उनका शासनकाल 1509 से 1528 तक था. राणा रायमल की मृत्यु के बाद राणा सांगा को राजा बनाया गया था. अपने छोटे से शासन काल में उन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ के साम्राज्य का विस्तार किया. उन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ सभी राजपूतों को संगठित किया था और मुगल बादशाहों के आक्रमण से अपने राज्य की रक्षा की थी. वे अपने समय के सबसे शक्तिशाली राजा हुआ करते थे. युद्ध में लगे 80 घाव की उनकी कथाएं काफी प्रचलित हैं. मुगल बादशाह बाबर से खानवा का युद्ध लड़ते हुए उनकी मौत हुई थी. बताया जाता है कि उनके ही सरदारों द्वारा सांगा को जहर देकर मारा गया था.