अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में 32वें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ साफ शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में सुनवाई पूरी करने की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी. राम जन्मभूमि (Ram JanamBhumi) और बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष की दलीले गुरुवार को भी जारी रखने पर सीजेआई ने यह बात कही. दरअसल मुस्लिम पक्ष ने पूर्व में अपनी दलीलें देने के लिए 25 सितम्बर तक का समय मांगा था लेकिन जैसे ही गुरुवार को संविधान पीठ की सुनवाई शुरु हुई, मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 2003 की रिपोर्ट का सारांश लिखने वाले व्यक्ति को लेकर सवाल उठाया. ASI की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद से पहले वहां विशाल ढांचा मौजूद था.

ASI रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर खड़े हुए सवाल

इस पर मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने इस रिपोर्ट पर अंगुली उठाते हुए कहा कि एएसआई की खुदाई में मिले दीवारों के अवशेष ईदगाह के हो सकते हैं. अरोड़ा ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘रिपोर्ट में कहा गया है विवादित स्थल पर हर जगह अवशेष थे. ऐसे में वह अवशेष ईदगाह के हो सकते हैं.’ कुल मिलाकर मीनाक्षी अरोड़ा ने सीधे सीधे भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े कर दिए.

इस पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष तो अब तक ये मानता रहा कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गयी और अब आप कह रही हैं कि उनके नीचे ईदगाह थी. अगर ऐसा था तो आपने याचिका में इसे शामिल क्यों नहीं किया.

अरोड़ा ने जवाब देते हुए कहा कि 1961 में जब उन्होंने मुकदमा दायर किया तो ये मुद्दा नहीं था. ये बात को 1989 में सामने आई, जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गयी थी. अरोड़ा ने कहा कि मेरी जिरह रिपोर्ट पर आधारित है. उन्होंने इसे अपना एक अनुमान मात्र करार दिया. अरोड़ा ने कहा कि खुदाई में मिले अवशेषों के जरिए केवल राम चबूतरे का दावा सहीं नहीं है. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि चूंकि ईदगाह का द्वार हमेशा पश्चिम की तरफ होता है. ऐसे में यहां अवशेषों से पता चलता है कि हिंदू पक्ष का मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद बनाये जाने का दावा गलत हो सकता है.

सुनवाई के लिए समय बिलकुल नहीं मिलेगा: CJI

इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि इस मामले में 18 अक्टूबर के बाद पक्षकारों को जिरह के लिए एक भी दिन अतिरिक्त नहीं मिलेगा. चीफ जस्टिस के नेतृत्व में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर निर्धारित समय तक दलीलें पूरी हो जाती है तो चार सप्ताह में फैसला देना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा. इसके बाद मुस्लिम पक्षकार और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि वे एएसआई की रिपोर्ट का सारांश लिखने वाले व्यक्ति के मुद्दे पर सवाल नहीं करना चाहते. साथ ही उच्च न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए माफी मांगी.  हालांकि मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकीलों की इस दलील पर संविधान पीठ ने संदेह जताया.

इसके बाद सीजेआई ने मुस्लिम पक्षकारों को अगले दो दिनों में अपनी दलीलें पूरी करने को कहा. न्यायमूर्ति गोगाई ने कहा कि आज का दिन मिलाकर हमारे पास साढ़े 10 दिन है. अगर 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी नहीं होती है तो फैसला आने की उम्मीदें कम हो जाएगी. ज्यादातर दलीलें 4 अक्टूबर तक पूरी हो जाएंगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दशहरे की छुट्टियां हो जाएंगी. कोर्ट की सुनवाई 14 अक्टूबर को फिर से शुरू होगी.

मुख्य न्यायाधीश ने सभी पक्षकारों से कहा कि वे 18 अक्टूबर को अंतिम तिथि मानते हुए अपनी बहस समाप्त करने की समय सीमा पुन: तय करते हुए सूचित करें. सीजेआई ने ये भी कहा कि जब कभी भी जरूरत महसूस होगी कोर्ट एक घंटा अतिरिक्त समय तक बैठेने के साथ शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार है. उन्होंने सभी पक्षकारों के वकीलों से सहयोग की अपेक्षा करते हुए कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि बहस निर्धारित समय तक अवश्य पूरी हो जाएगी.

पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, ​मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 18 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

Leave a Reply