क्या दिल्ली में आप का अति आत्मविश्वास ले डूबा केजरीवाल को या कांग्रेस ने लगा दी सेंध?

क्या दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन न करना बना हार का सबब या भ्रष्टाचार के आरोपों ने फेरी आम आदमी पार्टी के अरमानों पर झाडू, क्या रही हार की प्रमुख वजह..?

arvind kejriwal
arvind kejriwal

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि एक समय पार्टी की एक तरफा जीत का अंदेशा लगाया जा रहा था लेकिन एग्जिट पोल के बाद परिणाम अधिक चौंकाने वाले साबित हुए. बीजेपी को 48 सीटें हासिल हुई जबकि पिछले चुनावों में 63 सीटें प्राप्त करने वाली केजरीवाल एंड कंपनी केवल 22 सीटों पर सिमट गयी. कांग्रेस लगातार तीसरी बार खाली हाथ रह गयी. राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि अंतिम 10 दिनों में राजनीति ने ऐसी पलटी खायी कि केजरीवाल चारों खाने चित हो गए. यहां तक कि उनके पार्टी के तीन बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को हार का मुख देखना पड़ा. अब ये पार्टी का अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा या कांग्रेस ने उनके वोट बैंक में सेंध लगा दी, ये मंथन योग्य बात है.

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दरअसल अरविंद केजरीवाल ईमानदारी और भ्रष्टाचार निरोधी नी​तियों के दम पर सत्ता में आए थे. इसी दम पर उन्होंने दो बार पूर्ण बहुमत सरकार भी बनायी. इसी के भरोसे उन्होंने डेवलपमेंट का दिल्ली मॉडल तैयार किया और इसी का वादा करके पंजाब में सरकार बनाई, लेकिन अन्ना आंदोलन से बनी क्लीन इमेज शराब घोटाले की वजह से बर्बाद हो गई. विगत एक दशक से लगातार बहुमत वाली सरकार चला रही आप इस बार केवल 22 सीटों पर सिमट गयी. इसी के बाद 27 सालों बाद दिल वालों की दिल्ल्ली पर बीजेपी की सत्ता चलेगी.

भ्रष्टाचार के आरोपों ने डुबाई आप की नैया

एक्सपर्ट्स की माने तो शराब घोटाले के आरोप, बड़े नेताओं के जेल जाने और एंटी इनकम्बेंसी की वजह से आप को बड़ा नुकसान हुआ. वहीं पार्टी के नेता जीत के लिए ओवर कॉन्फिडेंट थे, ये भी उन्हें भारी पड़ा. अरविंद केजरीवाल ने वोटिंग से पहले दावा किया था कि आम आदमी पार्टी को 55 सीटें मिल रही हैं. अगर माताएं-बहनें जोर का धक्का लगाएं, तो पार्टी को 60 सीटें भी मिल सकती हैं. हालांकि ऐसा हो न सका.

एक्सपर्टस के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोप और बड़े नेताओं का जेल जाना पार्टी के लिए नुकसान का सबब बना गया. इससे उनकी ईमानदारी वाली इमेज पर दाग लगा. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 17 नवंबर, 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की और अगस्त 2022 में ईडी और सीबीआई ने केस दर्ज किए. मई 2022 में कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिए गए. इसके बाद शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह अरेस्ट हो गए. मनीष सिसोदिया करीब 17 महीने और केजरीवाल 6 महीने जेल में रहे. एक के बाद एक बड़े लीडर्स की गिरफ्तारी से लोगों का भरोसा टूटा और नतीजा पार्टी की हार के रूप में सामने आया.

वादा खिलाफी और काम न करने की ईमेज बनी

2015 में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को लंदन जैसा बनाने और यमुना को टेम्स जैसा साफ बनाने का वादा किया था. बीती 27 जनवरी को उन्होंने यमुना की सफाई न हो पाने पर माफी मांगी और कहा कि कोरोना और जेल जाने की वजह से मैं सफाई, पानी और अच्छी सड़कों का काम नहीं कर पाया. अगर फिर मौका मिला, तो ये वादे पूरे करूंगा. वहीं ग्राउंड लेवल पर लोग सबसे ज्यादा शिकायतें खराब सड़कों की कर रहे हैं. इधर, पार्टी के लीडर्स काम न होने की बात कर पहले LG नजीब जंग और फिर वीके सक्सेना से खींचतान में उलझे रहे.

अधिकांश सीटों पर मार्जिन हजार से कम, वजह कांग्रेस

इसमें कोई संदेह नहीं कि करीब करीब सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर रही. अधिकांश सीटों पर हार जीत का मार्जिन हजार से कम रहा. वहीं करीब 13 सीटों पर तो मार्जिन 500 वोटों से भी कम रहा. जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया केवल 365 वोटों से हारे. एक सीट पर तो मार्जिन 70 वोटों से भी कम रहा. यहां कांग्रेस उनकी जीत में रोड़ बन गयी. नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल करीब 3200 वोटों से हारे लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार 27 हजार से अधिक वोट हासिल कर गए. अगर कांग्रेस और आप के वोट मिला दिए जाएं तो करीब करीब हर सीट पर आप बीजेपी पर भारी पड़ रही है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो राजस्थान, हरियाणा और गोवा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट काटे और अब दिल्ली में कांग्रेस ने उनके वोट काटकर अरविंद केजरीवाल को करारा जवाब दिया है. यही वजह रही कि बीजेपी ने भी अपने सारे वार आम आदमी पार्टी पर किए, न कि कांग्रेस पर. ऐसे में कहना गलत न होगा कि आम आदमी पार्टी बीजेपी ने नहीं, बल्कि अपने आप से हारी. रही सही कसर कांग्रेस ने उनके वोट काटकर पूरी कर दी. अब देखना ये होगा कि जनता के दिल से उतर चुकी आप के कितने फैसलों को बीजेपी जारी रख पाती है.

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