केरल के तिरुवनन्तपुरम से लोक सभा सांसद शशि थरूर इन दिनों अपने व्यवहार को लेकर राष्ट्रीय राजनीति में छाए हुए हैं. वजह – कांग्रेस एवं राहुल गांधी के प्रति उनकी नाराजगी. पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात को सही ठहराना और एलडीएफ सरकार के तहत औद्योगिक विकास की सराहना कर उनका पार्टी के एजेंडे से अलग हटकर काम करना भी एक अलग संकेत दे रहा है. अब राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि शशि थरूर कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के साथ जा सकते हैं.
अब शायद शशि थरूर के व्यक्तित्व को समझना कांग्रेस के लिए भी आसान नहीं है. कांग्रेस एक कट्टर विपक्ष की तरह केंद्र सरकार और पीएम मोदी दोनों के हर कदम पर सवालिया निशान खड़ा करती है. फिर चाहें वह आस्था का प्रतीक राम मंदिर हो या ट्रंप से विभिन्न मुद्दों को लेकर मुलाकात. प्रत्येक कदम पर कांग्रेस ने या तो विरोध किया है या फिर अपने को इन सब से दूर रखा है. वहीं शशि थरूर ने हर एक गतिविधि पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. पीएम मोदी की तारीफ के बाद शशि थरूर ने अब राहुल गांधी को ही निशाने पर लिया है. अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस और शशि थरूर का तालमेल नहीं बैठ रहा है.
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कांग्रेस हाईकमान भी थरूर के प्रति नरमी बरतने के मूड में नहीं है. यह बात तो तय है कि शशि थरूर कांग्रेस से और कांग्रेस शशि थरूर से नाराज हैं. तभी तो शशि थरूर और कांग्रेस के बीच तकरार अब जगजाहिर होने लगी है. अब थरूर के तेवर से लग रहा है कि वह कुछ बड़ा धमाका करने वाले हैं.
दरअसल, शशि थरूर की नाराजगी अभी से नहीं है बल्कि आम चुनाव के बाद से है, जब राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष चुना गया था. अधीर रंजन चौधरी की हार के बाद वरिष्ठता के आधार पर नेता विपक्ष के मुखिया की कुर्सी शशि थरूर को मिलनी चाहिए थी. इस बात का मलाल थरूर कई बार जाहिर भी कर चुके हैं. अब कांग्रेस की विचारधारा से अलग चलने की सजा देते हुए शशि थरूर को ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस से हटा दिया है, जिसका इसका गठन थरूर द्वारा ही किया गया था.
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राहुल गांधी से मुलाकात के वक्त भी शशि थरूर ने इस संबंध में अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने इस बात का भी विरोध किया कि अहम बहसों के दौरान उन्हें संसद में किनारे किया जा रहा है और मौके नहीं दिए जा रहे हैं. थरूर ने राहुल गांधी से पार्टी में अपनी भूमिका स्पष्ट करने को भी कहा. शशि थरूर ने यहां तक कह दिया कि वह संसद में पार्टी का नेतृत्व संभालने में भी सक्षम हैं. यह बात कहीं न कहीं राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने जैसी ही है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने उनकी किसी भी शिकायत या सुझाव पर कोई ध्यान नहीं दिया.
अब जिस तरह से कांग्रेस शशि थरूर के लिए नरमी नहीं बरत रहा है, उसी तरह से शशि थरूर भी झुकने के मूड में नहीं लग रहे हैं. कांग्रेस और शशि थरूर का तालमेल नहीं बैठ रहा है, यह अब जग जाहिर होने लगा है. ऐसा भी लगने लगा है कि शशि थरूर के मन में भी कोई सियासी खिचड़ी पक रही है. अब वेट एंड वॉच की स्थिति आ गयी है. अब देखना ये होगा कि शशि थरूर कोई बड़ा निर्णय ले पाते हैं या फिर नहीं.