आम आदमी पार्टी के कद्दावर एवं वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं और दिल्ली की शकूरबस्ती विधानसभा सीट से एक बार फिर अपना भाग्य आजमा रहे हैं. दिल्ली के उत्तरी पश्चिमी इलाके में बसा यह क्षेत्र पिछले तीन विधानसभा चुनाव में सत्येंद्र जैन का गढ़ रहा है. उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2014, 2015 और 2020 में जीत की हैट्रिक लगाई है और चौथी बार फिर से मैदान में हैं. भ्रष्टाचार के आरोप में उन्होंने लंबा समय जेल में निकाला है लेकिन इसके बाद भी उनका दावा इस सीट पर काफी मजबूत है. भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने प्रदेश मंदिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. करनैल सिंह बीजेपी से काफी समय से जुड़े हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज, कामकाज एवं हिंदुत्व के सहारे चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं.
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विभाजित है यहां का वोटर
शकूरबस्ती में झुग्गी बस्तियों और सोसाइटी के रहने वाले लोगों की मिली-जुली आबादी है. मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास के लोग यहां पर रहते हैं. एक ओर सोसाइटी के लोग मोदी के कामकाज के तरीके से प्रभावित हैं, वहीं झुग्गी बस्तियों के लोग केजरीवाल की योजनाओं से खुश नजर आते हैं. पेयजल की समस्या यहां लंबे समय हैं और सरकारी नुमाइंदों को कई बार इस समस्या से अवगत करा चुका है लेकिन सुधार नहीं हो सका.
दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प
वैसे तो शकूरबस्ती विधानसभा पर कांग्रेस उम्मीदवार भी मौजूद है लेकिन असल फाइल सत्येंद्र सिंह बनाम बीजेपी के करनैल सिंह के बीच है. लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे सत्येद्र सिंह काफी समय तक जेल में रहे. उस समय वे दिल्ली सरकार के मंत्री थे. उनके जेल जाने के बाद बीजेपी ने बहुत बड़ा मुद्दा बनाया. सत्येन्द्र जैन का जेल से बाहर आने के बाद 25 करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाएं शकूर बस्ती के लिए जारी करवाने का दावा ठोक रहे हैं. दोनों उम्मीदवार अपनी अपनी जी का दावा कर रहे हैं लेकिन आप सरकार की यह सीट रही इस बार हिंदुत्व के चुनौती के रास्ते पर हैं और यहां पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है.