कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच नाराजगी जाहिर करने लगे हैं डीके!

केंद्रीय गृहमंत्री की उपस्थिति में हुए कार्यक्रम में शामिल होने से कई नेता नाराज, अपनी ही सरकार के नेताओं को करारे जवाब देने से डीके पर लग रहे बीजेपी के साथ सांठगांठ के आरोप

dk shivkumar vs siddharamiya
dk shivkumar vs siddharamiya

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की हल्की सुगबुगाहट अभी से होने लगी है. वजह है – 2023 में कर्नाटक विधानसभा में जीत के बाद सांकेतिक तौर पर ढाई-ढाई साल का सत्ता अधिग्रहण. हालांकि इस बात की अधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है और न ही कोई पुष्टि की गयी है. मगर साल 2025 आते ही कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की जा रही है. वहीं साल के अंत में उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने की हल्की संभावनाएं भी जताई जा रही है. उससे पहले इसी बीच ईशा फाउंडेशन के कार्यक्रम में पहुंचे डीके के विरोध में कांग्रेस के ही नेता सवाल उठाने लगे हैं, जिस पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की है. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उपस्थित थे.

दरअसल, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार 26 फरवरी को ईशा फाउंडेशन की तरफ से कोयंबटूर में आयोजित महाशिवरात्र के कार्यक्रम में गए थे. शाह की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में डीके की उपस्थिति पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सचिव पीवी मोहन ने सवाल उठाया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘शिवकुमार एक ऐसे व्यक्ति के निमंत्रण पर गए जो राहुल गांधी का मजाक उड़ाता है.’

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इस पर पीवी मोहन के आरोपों का जवाब देते हुए शिवकुमार ने कहा है, ‘मैं एक हिंदू हूं. मैं एक हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं और मैं एक हिंदू के रूप में मर जाऊंगा लेकिन मैं सभी धर्मों से प्यार करता हूं और उनका सम्मान करता हूं.’ इतना ही नहीं, उन्होंने योगी सरकार के महाकुंभ में​ किए गए आयोजन की भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि महाकुंभ के बारे में मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा. जिस तरह से उन्होंने इसे आयोजित किया, मैं उसकी सराहना करता हूं. यह कोई छोटा काम नहीं है. यहां-वहां कुछ समस्याएं हो सकती हैं. ट्रेनों के कारण भी समस्याएं हो सकती हैं. मुझे खामियां निकालना पसंद नहीं है. यह बहुत संतोषजनक है.

इन बयानों के बाद कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं में अंदरुनी तकरार शुरू हो गयी है. इन बयानों को डीके की नाराजगी और भारतीय जनता पार्टी के साथ सांठगांठ के तौर पर भी लिया जा रहा है. हालांकि आरोपों का जवाब देते हुए शिवकुमार ने इसे अपने खिलाफ साजिश बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में सभी को साथ लेकर चलने का सिद्धांत है. महात्मा गांधी, नेहरू और इंदिरा गांधी ने भी यही किया है. मैंने सोनिया गांधी को उगादि उत्सव मनाते देखा है. उन्होंने भारतीयता को अपनाया है.

उन्होंने सद्गुरु के कार्यक्रम में जाने को लेकर भी बयान देते हुए कहा कि ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव आए और मुझे (कोयंबटूर में शिवरात्रि समारोह के लिए) आमंत्रित किया. वे मैसूर से हैं. वे एक महान व्यक्ति हैं और मैं उनके ज्ञान और कद की प्रशंसा करता हूं, लेकिन कई लोग उनकी आलोचना करते हैं.

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कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर मांग के बीच डीके शिवकुमार के ये तेवर कांग्रेस नेताओं को अखर भी रहे हैं. हाल में पार्टी के कई नेताओं ने डीके को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी. राज्य के लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात करके प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग की है. वे खुद इस पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. यह बदलाव साल के अंत तक हो सकता है. वहीं डीके ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है.

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की उड़ती तेज हवाओं के बीच डीके शिवकुमार की अपनी ही सरकार के नेताओं पर नाराजगी जाहिर करने के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. सूबे के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इन मुद्दों पर चुप हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी कुछ महीनों में कर्नाटक की राजनीति में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं. बस देखना ये होगा कि डीके शिवकुमार आलाकमान पर कितना दबाव बना पाते हैं.

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