रोचक: घरोंदा उजड़ा तो मजदूर ने लिया चुनाव लड़ने का फैसला, मांगकर जमा कराई जमानती राशि

अहमदाबाद के गांधीनगर उत्तर से निर्दलीय चुनाव लड़ा रहा एक उम्मीदवार चर्चा में, बस्ती बचाने की लड़ रहा लड़ाई, एक-एक रुपए के सिक्कों में जमा कराई चुनाव के लिए जमानती राशि, बीजेपी और अमित शाह का गढ़ मानी जाती है यह सीट

gujarat assembly elections
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GujaratAssenblyElections. गुजरात विधानसभा चुनाव अब गिनती के दिन बचे हैं और 7 दिन बाद पहले चरण के लिए मतदान होना है. इस बार गुजरात विस चुनावों में एक जुग्गी झोपड़ी में रहने वाला युवा काफी चर्चा में है जिसने चुनाव के लिए जमानती राशि भी लोगों से पैसे जुटाकर जमा कराई है. मजेदार बात ये है कि इस घटनाक्रम से वहां के अधिकारी भी एक बार तो चौंक गए क्योंकि ये राशि एक एक रुपए के सिक्के के रुप में थी जिसे थैलियों में भरकर चुनाव कार्यालय ले जाया गया. इस युवा उम्मीदवार का नाम है महेंद्र पाटणी, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं. यही नहीं महेंद्र पाटणी के चुनावी मैदान में उतरने की कहानी भी बड़ी दिलकश और मजेदार है.

आपको बताते हैं महेंद्र पाटणी अहमदाबाद की गांधीनगर उत्तर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में है. महेंद्र दिहाड़ी पर काम करने वाला एक मजदूर है. दरअसल, तीन साल पहले गांधीनगर में 521 झोपड़ियों को तोड़ दिया गया था, ताकि वहां एक होटल बनाया जा सके. इससे पहले भी 2010 में इसी इलाके की झोपड़ पट्टियों को तोड़कर वहां दांडी कुटीर म्युजियम बनाया गया था. महेंद्र उजाड़ी गई झुग्गी बस्ती में रहने वालों में से एक है. अब वहां के निर्वासित लोगों ने महेंद्र पाटणी को अपना नेतृत्व करने और चुनाव लड़ने की बात कही है, ताकि वे वहां के लोगों की आवाज को उठा सके.

चुनाव लड़ने के बारे में महेंद्र पाटणी की जुबानी, ‘मैं निर्दलीय चुनाव लड़ रहा हूं. मैं मजदूर परिवार से हूं और मजदूरी करके घर चलाता हूं. वहां 521 झोपड़ियां थी, जिसे एक बड़ा होटल बनाने के लिए उजाड़ दिया गया. जिनके घर उजड़े, उनमें से ज्यादातर बेरोजगार हो गए. हम जिस नई जगह शिफ्ट किए गए, वहां न बिजली की व्यवस्था है और न ही पानी की. 10-12 साल पहले भी हमारी बस्ती को उजाड़ दिया गया था और वहां पर म्युजियम बनाया गया. अब वहां के लोगों ने मुझे अपना नेतृत्व कर चुनाव लड़ने को कहा है.’

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आपको बता दें कि इन झोपड़ियों में रहने वालों की स्थिति काफी खराब है और दिहाड़ी मजदूरी मिलने पर ही इनके घर का चुल्हा जलता है. जब महेंद्र ने लोगों के कहने पर चुनाव लड़ने का फैसला किया तो जमानती राशि जमा कराने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में इसी कच्ची बस्ती के लोगों ने उनके लिए एक-एक रुपए करके चंदा इकट्ठा किया और महेंद्र पाटणी अपनी चुनावी जमानती राशि भर पाए.

महेंद्र पाटणी अपने लोगों का आभार जताते हैं और अपने इलाके में प्रचार कार्यों में व्यस्त हैं. बस्ती के लोग ही उनके प्रचार में मदद कर रहे हैं और उन्हें काफी समर्थन मिल रहा है. गांधीनगर उत्तर से वर्तमान में बीजेपी के ठाकोर शंभुजी चेलाजी विधायक हैं, जिन्होंने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के गोविंदजी हीराजी सोलंकी को 11,538 वोटों के अंतर से हराया था.

2 लाख 53 हजार 688 मतदाताओं वाली इस गांधीनगर उत्तर विधानसभा सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी के मुकेश पटेल, बीजेपी की रीटाबेन और कांग्रेस के विरेंद्र सिंह वाघेला चुनावी मैदान में हैं. अमित शाह इसी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं जिन्होंने 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवार डॉ.सीजे चावड़ा को 5,57,014 वोटों के मार्जिन से एक तरफा जीत दर्ज की थी.

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हालांकि अहमदाबाद की गांधीनगर उत्तर विधानसभा सीट शुरू से बीजेपी समर्थित विधानसभा सीट है लेकिन यहां अन्य तीनों से ज्यादा महेंद्र पाटणी मीडिया के अट्रेक्शन बने हुए हैं. हालांकि उनका समर्थन केवल जुग्गी बस्ती तक है लेकिन बाहर भी वे प्रचार कर रहे हैं. अब वे अपनी पहुंच कितने मतदाताओं तक बना पाते हैं या अन्य तीन उम्मीदवारों को कितनी टक्कर दे पाते हैं, ये देखना रोचक रहने वाला है. हालांकि लोगों की हमदर्दी उन्हें जरूर मिल रही है.

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