raj thackeray and amit thackeray in maharashtra politics
raj thackeray and amit thackeray in maharashtra politics

महाराष्ट्र में जो राजनीति चल रही है, वो अभी तक समझ से परे है. यहां दो बड़े संगठन महायुति और महाविकास अघाड़ी एक दूसरे के सामने खड़े हैं लेकिन इनमें जो तीन तीन प्रमुख पार्टियां हैं, वो कई सीटों पर अपनों के ही विरूद्ध ताल ठोक रही है. प्रदेश की करीब आधा दर्जन सीटों पर ऐसा देखा जा रहा है कि एक ही सीट पर गठबंधन के साथ साथ व्यक्तिगत पार्टी के उम्मीदवार भी खड़े किए हैं. रणनीति कुछ भी हो लेकिन ऐसा एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए तो बिलकुल भी नहीं​ किया गया है. इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने भी महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी के मुखिया राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को मौन समर्थन दिया है.

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पहली बार चुनावी आगाज कर रहे अमित ठाकरे माहिम विधानसभा सीट से मनसे के टिकट पर उतरे हैं. इसी सीट पर महायुति की ओर से शिवसेना के वर्तमान विधायक सदानंद सरवणकर भी मैदान में हैं. चूंकि अमित पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए राज ठाकरे पूरी कोशिश में हैं कि द्वितीय पीढ़ी की कमान संभाल रहे अमित ठाकरे के राजनीति करियर की ठंडी शुरूआत न हो. इसके लिए उन्होंने दिल्ली के कई चक्कर भी लगाए हैं. हालांकि शिवसेना के विरोध के चलते बीजेपी चाहकर भी खुले तौर पर मनसे के लिए समर्थन नहीं जुटा सकी. हालांकि कट्टर हिंदूत्व विचारधारा वाले राज ठाकरे के लिए बीजेपी की मौन स्वीकृति की अफवाहों से इनकार भी नहीं किया जा सकता है.

हालांकि माहिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे शिवसेना विधायक सदानंद सरवणकर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह सहयोगी बीजेपी द्वारा अमित ठाकरे को समर्थन देने के बावजूद चुनाव मैदान से नहीं हटेंगे. चूंकि शिवसेना और बीजेपी एक छत के नीचे चुनाव लड़ रहे हैं तो खुलकर बीजेपी भी अमित ठाकरे को समर्थन नहीं कर सकती लेकिन अंदरूनी जानकारी यही है कि बीजेपी अंदरुनी तौर पर शिवसेना नहीं बल्कि अमित ठाकरे का समर्थन कर रही है. यहां मनसे के अमित ठाकरे बनाम शिवसेना के सदानंद सरवणकर बनाम उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के महेश सावंत मैदान में हैं. यानी इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है.

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एक तरफ से देखा जाए तो अमित ठाकरे को समर्थन देकर बीजेपी अपनी सहयोगी शिवसेना से मुंह मोड़ रही है. अजित पवार की एनसीपी को भी बीजेपी कई बार सख्ती से हिदायत दे चुकी है, जिनका ‘बंटोगे तो कटोगे’ पर कैट फाइट चल रही है. चूंकि महाराष्ट्र में विस चुनाव चल रहे हैं, इसलिए सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी का ध्यान सीएम की कुर्सी पर है. वहीं एकनाथ शिंदे पहले से ही मुख्यमंत्री हैं. उनका ध्यान भी सीएम बनने पर टिका है. ऐसे में बीजेपी चाहेगी कि महायुति गठबंबधन तो बना रहे लेकिन शिवसेना और अजित पवार पहले से ज्यादा कमजोर हो जाएं. राज ठाकरे एक मराठी मानुष हैं और मराठी समुदाय एवं मराठी इलाकों में उनकी पकड़ शिवसेना से भी मजबूत है. ऐसे में बीजेपी उनको नाराज नहीं करना चाहेगी.

राज ठाकरे में शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की छवि स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है. 2013 में जब राज ठाकरे शिवसेना से अलग हुए थे तो उन्होंने महाराष्ट्र न​वनिर्माण पार्टी का गठन किया था. रिमोट राजनीति के बावजूद पहली ही बार में उन्होंने 13 सीटों पर विजय पताका फहरायी थी. हालांकि पिछले चुनाव में यह संख्या गिरकर दो पर आ गयी. इस बार राज ठाकरे फिर से अपनी जमीन तैयार करने में लगे हैं. इसके लिए उन्हें बीजेपी के साथ की जरूरत है जो केवल मौन तरीके से ही मिल सकता है.

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महाराष्ट्र की राजनीति में पहले ही राजनीतिक दलों में काफी टूट फूट हो चुकी है. शिवसेना और एनसीपी विभाजित होकर दो-दो भागों में बंट चुकी है. धुर विरोधी उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ और अजित पवार बीजेपी के साथ हो चले हैं. अजित पवार के स्वभाव से सभी भली भांति वाकिफ हैं. ऐसे में यदि अजित नाराज होकर कभी महायुति का साथ छोड़ भी दें तो राज ठाकरे के रूप में बीजेपी को नया एवं मजबूत साथी मिल सकता है. ऐसे में कहा यही जा रहा है कि राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को मौन समर्थन देकर बीजेपी ने एक दूर की कोड़ी फेंकी है जिसके लिए एक आत सीट पर समझौता तो किया ही जा सकता है.

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