महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों के 4 दिन बार आखिरकार सियासी कयासों पर विराम लग गया. एकनाथ शिंदे ने सरेंडर करते हुए बीजेपी के लिए सीएम पद को स्वीकार कर लिया. अब देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना करीब करीब तय है. इससे पहले शिंदे ने सीएम पद से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन अंदरुनी तौर पर सत्ता की कुर्सी पर आसीन होने की ललक बनी हुई थी. शिवसेना नेता भी इस बात को तूल दे रहे थे कि राज्य का सीएम तो एकनाथ शिंदे को ही बनाया जाना चाहिए. हालांकि आलाकमान के दखल के बाद इस आपाधापी का समापन हो गया.
सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सीएम पद की फिर से लालसा रखने वाले एकनाथ शिंदे के सुर एकदम से बदल गए. यहां तक की उन्हें यह कहना पड़ गया कि मैंने कभी भी अपने आप को मुख्यमंत्री नहीं समझा. महाराष्ट्र में 288 में से बीजेपी को 132 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है. बीजेपी, शिवसेना व एनसीपी वाली महायुति को 234 सीटों पर प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ. शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटें मिली. पिछली बार हुए विधानसभा चुनावों के बाद जब शिवसेना उद्धव ठाकरे से अलग हुई थी, तब शिंदे के पास 38 विधायक थे. 102 सीटें होने के बावजूद बीजेपी ने एकनाथ शिंद को सीएम की कुर्सी दे दी.
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ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस वक्त बीजेपी के पास सत्ता हासिल करने के लिए इसके सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं था. अगर बीजेपी एकनाथ शिंदे से हाथ नहीं मिलाती तो कोई भी सरकार नहीं बना पाता. उस वक्त या तो राष्ट्रपति शासन या फिर दोबारा विस चुनाव होते. ऐसे में बीजेपी ने एकनाथ शिंदे से हाथ मिलाकर सरकार बना ली और मुख्यमंत्री पद के अलावा सभी अन्य बड़े विभाग अपने पास कर लिए. सत्ता की बागड़ौर की निगरानी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के न चाहने के बावजूद उन्हें डिप्टी सीएम का पद दे दिया गया.
अब परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं. बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उनके पास 132 सीटें हैं जबकि बहुमत के लिए 145 सीटों की आवश्यकता होगी. ऐसे में अगर एकनाथ शिंदे बीजेपी का साथ छोड़कर चले भी जाते हैं तो भी भारतीय जनता पार्टी अजित पवार के साथ मिलकर आसानी से सुरक्षित सरकार का गठन कर सकती है. यानी एकनाथ शिंदे एवं शिवसेना सत्ता में रहने हुए अन्य फायदे भी खो देगी. चूंकि बीजेपी अकेले बहुमत से केवल 13 सीटें दूर है, ऐसे में शिंदे को तो सीएम पद मिलने से रहा. शिंदे ने चुपचाप अपना हठ छोड़ सरकार में भागीदार बनना कबूल कर लिया.
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अब शिंदे ने बीजेपी वाणी बोलते हुए कहा, ‘मैंने मोदीजी-शाहजी को फोन किया. मैंने उनसे कहा कि आपका जो भी फैसला होगा, हमें स्वीकार है. भाजपा की बैठक में आपका कैंडिडेट चुना जाएगा, वो भी हमें स्वीकार है. हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं है. आप सरकार बनाने को लेकर जो फैसला लेना चाहते हैं, ले लीजिए. शिवसेना और मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं है.’
खैर, अब सब कुछ स्पष्ट हो गया है. 28 नवंबर को महायुति के तीनों दलों के नेताओं की दिल्ली में बैठक होगी. संभव है कल फडणवीस के नाम पर मुख्यमंत्री की मुहर लग जाए. अजित पवार का एक बार फिर महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बनना तय है. अब देखना ये होगा कि राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे का कद नई सरकार में क्या होगा. क्या उन्हें गृहमंत्री या वित्त मंत्री जैसा मलाईदार वाला पद दिया जाएगा या देवेंद्र फडणवीस की तरह डिप्टी सीएम पद से ही संतोष कराया जाने वाला है.