Rajasthan Politics: राजस्थान के झुंझुनूं जिले कांग्रेस के ‘हाथ’ से फिसलते जा रहे हैं. अब लगता है कि यहां का जनाधार भी कांग्रेस के साथ नहीं है. इसका ताजा उदाहरण हाल में संपन्न हुए उपचुनाव में देखने को मिलता है जिसमें कांग्रेस का अभेद गढ़ ‘झुंझुनूं’ ताश के पत्तों की तहर ढह गया. यहां 21 साल बाद ‘कमल’ खिला है. हालांकि लगातार दो दशकों तक भारतीय जनता पार्टी की हार और कांग्रेस की जीत के बीच कुछ राजनीतिक समीकरण बन रहे थे लेकिन अंतत: जीत हर बार कांग्रेस के खाते में गयी, लेकिन इस बार पलड़ा बीजेपी का भारी रहा.
यहां 21 सालों के बाद राजेंद्र भांबू ने न केवल बीजेपी के लिए सूखा खत्म किया, बल्कि 42 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करते हुए झुंझुनूं विधानसभा में अब तक की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी कायम कर दिया. इससे पहले यह रिकॉर्ड कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला के नाम था जिन्होंने 2018 में 40 हजार 565 वोटों से जीत हासिल की थी. कांग्रेस के लिए यह हार एक गहरे झटके से कम नहीं है.
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झुंझुनूं में ओला परिवार का है वर्चस्व
झुंझुनूं में हमेशा से ओला परिवार का वर्चस्व रहा है और इसी दम पर कांग्रेस ने अधिकांश विधानसभा चुनावों में जनता का हाथ हमेशा कांग्रेस के साथ रहा है. 1980 से 1990 और 1993 से 1998 में यहां कांग्रेस के शीशराम ओला ने एकछत्र राज किया है. इससे पहले यहां कांग्रेस की ही सुमित्रा सिंह ने 1962 से 80 तक यहां जीत का परचम लहराया है.
1998 में सुमित्रा ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय और 2003 में बीजेपी के टिकट पर यहां विजयश्री की रणभेरी बजाई. उसके बाद बृजेंद्र सिंह ओला ने 2008 से 2024 तक लगातार जीत दर्ज की है. उनके लोकसभा जाने के बाद यहां से उनके सुपुत्र अमित ओला को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल किया गया लेकिन जीत बीजेपी के खाते में गयी. इस जीत के साथ राजेंद्र भांबू ने 2018 में ओला से मिली हार का बदला भी बखूबी लिया है.
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पूर्व मंत्री ने पहुंचाया कांग्रेस को नुकसान
हर बार की तरह झुंझुनूं में मुकाबला त्रिकोणीय ही रहा था लेकिन इस बार समीकरण बीजेपी के साथ सटीक बैठे. 2013, 2018 और 2023 में बीजेपी के नेता बागी होकर चुनाव लड़ते रहे, लेकिन इस बार कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. इसका फायदा बीजेपी को मिला. बीजेपी ने पिछले चुनावों में हुई भूल को नहीं दोहराया और एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा, जिसका फायदा उन्हें मिला है. इस बार बीजेपी के राजेंद्र भांबू को जहां 90 हजार से अधिक वोट मिले, वहीं कांग्रेस के अमित ओला को महज 47,577 मतों से ही संतोष करना पड़ा.