शिवसेना ने जिसे जन्म दिया उसी मां को निगलने का काम कर रही है ये औलाद, लेकिन ऐसा होगा नहीं- ठाकरे

एक तूफान आने का हो रहा है आभास लेकिन हाल ही में आए तूफ़ान में 'सड़े हुए पत्ते झड़ गए और जिन्हें वृक्ष से सब कुछ मिला, सभी रस मिले और जब वे तरोताजा हो गए तो वृक्ष से सबकुछ लेने के बाद वे झड़कर गिर गए, उसके बाद ये पत्ते अब ये दिखाने का कर रहे हैं प्रयास कि यह देखिए वृक्ष कैसे हो गया है उजड़ा-निर्जीव, और अगले ही दिन माली आता है और पतझड़ से गिरे पत्तों को टोकरी में भरकर ले जाता है, अब निश्चित ही नए अंकुर फूटेंगे- उद्धव ठाकरे

'शिवसेना के बाप के नाम पर वोट मांगना करो बंद'
'शिवसेना के बाप के नाम पर वोट मांगना करो बंद'

Politalks.News/UddhavThackeray/Saamana.बालासाहेब ने सामान्य व्यक्ति को असामान्य बना दिया और अब एक बार फिर सामान्य से, असामान्य हस्तियां बनाने का समय आ गया है, ये साधारण लोग थे, यह मेरी गलती है कि मैंने उन्हें ताकत दी लेकिन उस ताकत से उन्होंने न केवल उलट हमला किया, बल्कि राजनीति में जिस मां ने जन्म दिया, उस मां को, मतलब शिवसेना को निगलने के लिए यह औलाद निकली है, पर इतनी ताकत उनमें है नहीं… क्योंकि मां आखिर मां होती है,’ ये कहना है शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का. महाराष्ट्र में आए सियासी संग्राम के बाद से उद्धव ठाकरे पर शिवसेना को बचाने की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई है. इसी बीच सत्ता जाने के बाद सामना को दिए अपने इंटरव्यू में ठाकरे ने बागी शिवसेना नेताओं पर जमकर निशाना साधा. ठाकरे ने कहा कि, ‘सरकार चली गई, मुख्यमंत्री पद गया, इसका अफसोस नहीं है, पर मेरे ही लोग दगाबाज निकले.’

महाराष्ट्र में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेनापक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ‘सामना’ को दिए एक इंटरव्यू में विरोधियों पर जमकर निशाना साधा. सामना को दिए इंटरव्यू में महाराष्ट्र की सरकार क्यों गिराई गई, कैसे  गिराई गई? यहां से लेकर शिवसेना के भविष्य तक के हर प्रश्न का उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिया है. यहीं नहीं ठाकरे ने अनेक रहस्यों से भी पर्दा उठाया है. सामना को दिए अपने इंटरव्यू में जब उनसे पुछा गया कि सामने इतनी साड़ी परेशानियां हैं लेकिन आप फिर भी बिलकुल शांत हैं? तो ठाकरे ने कहा कि, ‘यह इतना ज्यादा पेचीदा नहीं है, आप भी जानते हैं, मेरी मां और शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे से मिला यह एक रसायन है. मां शांतता, सौम्यता, संयम और सहजता की प्रतिक थी तो बालासाहेब के वर्णन की आवश्यकता ही नहीं है. बालासाहेब क्या थे, यह महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरा देश जानता है. वो जो रसायन था वो मुझमे थोड़ा बहुत है यही कारण है कि मैं ऐसे रह पाता हूँ.’

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शिवसेना से बागी हुए नेताओं पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘एक तूफान आने का आभास हो रहा है. इस तूफान में सूखी पत्तियां-करकट उड़ते ही हैं और वहीं सूखे पत्ते-करकट इस वक्त उड़ रहे हैं. यह सूखे पत्ते-करकट एक बार जमीन पर आ जाएं तो असली दृश्य लोगों के सामने निश्चित ही आ जाएगा.’ वहीं जब उनसे सवाल पुछा गया कि मतलब अब सड़े हुए पत्ते झड़कर गिर रहे हैं. तो ठाकरे ने कहा कि, ‘हां, सड़े हुए पत्ते झड़ रहे हैं. जिन्हें वृक्ष से सब कुछ मिला, सभी रस मिले इसीलिए वे तरोताजा थे. वे पत्ते वृक्ष से सारा कुछ लेने के बाद भी झड़कर गिर रहे हैं. वे पत्ते अब ये दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि यह देखिए वृक्ष कैसे उजड़ा-निर्जीव हो गया है. परंतु अगले ही दिन माली आता है और पतझड़ से गिरे पत्तों को टोकरी में भरकर ले जाता है. निश्चित ही अब नए अंकुर फूटने लगे हैं.’

एकनाथ शिंदे का बिना नाम लिए उद्धव ठाकरे ने निशाना साधा और बताया कि किस तरह जब वे बीमार थे तब उनके साथ विश्वासघात की पटकथा लिखी गई थी. सामना को दिए अपने इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘जब मैं बीमार तो और कुछ कह सुन पाने या किसी भी बात के को लेकर प्रतिक्रिया दे पाने में अक्षम था उस समय मेरे कानों तक खबर पहुंच रही थी कि मैं जल्द ठीक हो जाऊं, इसके लिए कुछ लोग अभिषेक कर रहे हैं. तो कुछ लोग ये चाह रहे थे कि मैं इसी तरह रहूं, इस चाह में भगवान को हर तरह से मना रहे थे. भगवान को मनानेवाले वे लोग आज पार्टी डुबोने निकले हैं. जिस समय अपनी पार्टी को संवारने की जरूरत थी, मैं पक्षप्रमुख, कुटुंब प्रमुख हूं, परंतु ऑपरेशन के बाद मैं हिल नहीं पा रहा था, उस दौरान उनकी हरकतें जोर-शोर से चल रही थीं. यह पीड़ादायी सत्य आजीवन मेरे साथ रहेगा. जब मैंने आपको पार्टी संभालने की जिम्मेदारी दी थी, नंबर दो का पद दिया था, पार्टी संभालने के लिए पूरा विश्वास किया था, उस विश्वास का तुमने घात किया. मेरे अस्पताल में रहने के दौरान मेरी हलचल बंद थी. तब तुम्हारे हाल-चाल जोर में थे और वे भी पार्टी के विरोध में.’

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उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि, ‘हम शिवसेना को ‘प्रोफेशनली’ नहीं चलाते, बल्कि हम पार्टी को एक परिवार की तरह देखते आए हैं और बालासाहेब ने हमें यही सिखाया है. आज कुछ लोग ये कहकर अफवाह उड़ा रहे हैं कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया है लेकिन उनसे मुझे यही सवाल पूछना है कि वर्ष 2014 में भाजपा ने जब युति तोड़ी थी, तब हमने क्या छोड़ा था?… कुछ भी नहीं छोड़ा था. आज भी हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है. एक वक़्त था जब शिवसेना विपक्ष में बैठी थी और कयास लगाए जा रहे थे कि शिवसेना अब खत्म हो जाएगी. लेकिन शिवसेना उस समय अकेले लड़ी और 63 विधायक चुनकर आए.’ शिंदे को चैलेंज देते हुए ठाकरे ने कहा, ‘मेरे पिता की तस्वीरें पोस्ट न करें और उनके नाम पर वोट न मांगें. राजनीति ही करनी है तो अपने दम पर करें.’

उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘बालासाहेब ने सामान्य व्यक्ति को असामान्य बना दिया, यही शिवसेना की ताकत है. अब फिर एक बार सामान्य से, असामान्य हस्तियां बनाने का समय आ गया है. इसीलिए मैं अपने समस्त शिवसैनिकों से, माताओं-बहनों से और भाइयों से विनती करता हूं कि चलो, फिर से उठो… अब फिर एक बार सामान्य को असामान्य बनाएं… मैं एक बार फिर यह कहूंगा कि यह मेरी गलती है कि मैंने उन्हें ताकत दी. लेकिन उस ताकत से उन्होंने न केवल उलट हमला किया, बल्कि राजनीति में जिस मां ने जन्म दिया, उस मां को निगलने का काम किया है उस औलाद ने. राजनीति में जिसने इनको जन्म दिया, उस मां को निगलने निकले इन लोगों में इतनी ताकत नहीं कि वे ऐसा कर सके क्योंकि मां आखिर मां होती है.’

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एकनाथ शिंदे को सीएम बनाए जाने पर क्या बवाल नहीं होता? इस सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘तब कुछ और बड़ा होता. उन्होंने कहा कि इनकी तो राक्षसी प्रवृत्ति है. लालच ही खत्म नहीं हो रहा है. सीएम बनने के बाद इन्हें अब शिवसेना प्रमुख का भी पद पाने का लालच है. उन्होंने कहा कि फिलहाल जो चल रहा है, वह राक्षसी महत्वाकांक्षा है. पहले घर से न निकलने के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘ऐसा नहीं है. महा विकास अघाड़ी के काम से लोग बेहद खुश थे. उन्होंने कहा कि, ‘मेरे काम की वजह से ही मुझे देश के टॉप 5 मुख्यमंत्रियों में शामिल किया गया था.’

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