Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार और बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के बीच अदावत बढ़ती जा रही है. कथित तौर पर शिवसेना एक्ट्रस को नियंत्रित करने के लिए बीएमसी द्वारा कंगना के दफ्तर के अवैध निर्माण को हटवा चुकी है. मामला कोर्ट में भी चल रहा है. अपने अंगने के टूटने के बाद से ही कंगना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ शिवसेना पर बिफर पड़ी है. अब कंगना के साथ उनकी मां आशा रनौत भी शिवसेना पर जमकर निशाने साध रही है. यहां तक की उद्धव ठाकरे को अपने पिता की प्रोपर्टी और रूतबे पर जीने वाला व्यक्ति तक कह दिया. देर सवेर शिवसेना और कंगना का मामला खत्म हो ही जाएगा लेकिन लगता है कि शिवसेना जितनी मेहनत कंगना को नियंत्रित करने में कर रही है, उतनी कोरोना को काबू में करने के लिए करे तो परिस्थितियां थोड़ी सुधरे और आमजन को भी राहत मिले.
बीते एक दिन की बात करें तो महाराष्ट्र में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या करीब 10 लाख है. अब तक 28282 लोगों की कोरोना के चलते मौत हो चुकी है. अब यहां एक्टिव मरीजों की संख्या 2.61 लाख है. बीते 24 घंटों में 23,446 नए कोरोना मरीज सामने आए हैं जो भारी चिंता का विषय है. हालांकि सात लाख से अधिक कोरोना मरीज रिकवर हो चुके हैं लेकिन ढाई लाख से अधिक एक्टिव मरीजों की संख्या और एक दिन में करीब 25 हजार नए मरीज उद्धव सरकार की चिंता बढ़ाने वाली संख्या है क्योंकि हर चार दिन में ये संख्या एक लाख हो रही है.
अब प्राय: ये माना जा रहा है कि मुंबई जहां एक हाईफाई सिटी है तो वहीं धारावी जैसा एक गरीब तबका भी यहां निवास करता है और यहीं से बिमारी पूरे शहर में फैल रही है. हालांकि ऐसा है नहीं. महाराष्ट्र में सबसे अधिक एक्टिव मरीज पुणे में हैं जहां 70 हजार के करीब मरीज हैं. वहीं मुंबई में 26 हजार एक्टिव मरीज हैं. हां, मौत मुंबई में सबसे अधिक हुई है जहां 8 हजार से अधिक लोगों ने महामारी के चलते अपनी जान गंवाई है. थाणे में भी 28 हजार से अधिक एक्टिव मरीज मौजूद हैं.
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महाराष्ट्र में कोरोना की स्थितियां किसी से भी छुपी हुई नहीं है. इसके बावजूद उद्धव सरकार कोरोना की जगह कंगना के मसले में उलझी हुई है. कंगना और शिवसेना में तुलना तो नहीं की जाए तो बेहतर है. एक तरफ मुंबई की एक अदाकारा है तो दूसरी तरफ पूरे प्रदेश की सरकार शिवसेना, ऐसे में दोनों की तुलना तो वाजिब नहीं लेकिन जिस तरह कंगना की बयानबाजी के बाद शिवसेना के बड़े नेता भी बयानबाजी की जंग में उतर आए, उसके तुरंत बाद बीएमसी की कार्रवाई, फिर शहरभर में कंगना के समर्थकों का प्रदर्शन और उससे भी कहीं ज्यादा सोशल मीडिया पर शिवसेना व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ चल रहे कैंपेन कहीं न कहीं महाविकास अघाड़ी सरकार का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.
अब तो धीरे धीरे ये बात भी सामने आती जा रही है कि पार्टी विशेष के लिए कंगना को मुहरा बनाया जा रहा है. कंगना की मां आशा रनौत ने कल शाम एक राजनीतिक पार्टी का दामन थामते हुए इस बात की पुष्टि भी कर दी है. ऐसे में कंगना के साथ उनकी मां ने भी खुलेआम शिवसेना और उद्धव ठाकरे पर निशाने साधने शुरु कर दिए हैं. आशा रानौत ने कहा कि शिवसेना ने कंगना पर अन्याय किया है, अत्याचार किया है और देश की जनता इसे कभी बर्दास्त नहीं करेगी.
कंगना की मां ने ये भी कहा कि ये शिवसेना बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना नहीं है, बल्कि ये तो डरपोक और कायर शिवसेना है. कंगना ने 15 साल की अथाह मेहनत से पैसा जोड़कर दफ्तर बनाया लेकिन इन्होंने तोड़ दिया. उन्होंने उद्धव ठाकरे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनके पास मां-बाप की प्रॉपर्टी है जिसके उपर वो इतना घमंड कर रहे हैं और दूसरों पर अत्याचार कर रहे हैं.
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इधर, प्रदेश में एक दिन में 23 हजार से अधिक कोरोना मरीज आ रहे हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं. ताज्जूब तो इस बात का है कि विपक्ष भी कंगना के मुद्दे पर सरकार पर हमला कर रहा है लेकिन कोरोना और बिगड़ रही स्थिति पर सवाल नहीं उठा रहा. स्थानीय मीडिया का भी हाल कुछ ऐसा ही है जो कंगना के मुद्दे को और मसले की एक एक सैकेंड की हरकत को अपने कैमरे में कैद करने के लिए खुली सड़कों पर ढेरे डाले हुए हैं लेकिन कोरोना पर अपनी आवाज नहीं उठा रहे.
पॉलिटॉक्स तो यही अपील कर सकता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना कंगना का पंगा छोड़ कोरोना पर अपना ध्यान केन्द्रित करें ताकि स्थितियां काबू में आए. कंगना तो देर सवेर शांत हो ही जाएगी लेकिन अगर कोरोना पर काबू न पाया गया तो स्थितियां बिगड़ती जाएगी और सरकार पर सवाल उठते जाएंगे. ऐसे में कंगना का अंगना छोड़ कोरोना नियंत्रण पर ध्यान दिया जाए तो न केवल आमजन में सरकार के प्रति छवि बदलेगी, विपक्ष के पास एक बिंदू बोलने के लिए कम हो जाएगा.