भाजपा सुप्रीमो अमित शाह की नजर अब मध्य प्रदेश पर है. उधर शिवराज सिंह चौहान निर्दलीय विधायकों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं. कमलनाथ सरकार को बमुश्किल बहुमत मिला हुआ है, इसलिए उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं. भाजपा से ही नहीं उन्हें पार्टी के भीतर से भी चुनौती है. ज्योतिरादित्य खेमा उपेक्षा से दुखी है और हाईकमान से लगातार शिकायत कर रहा है. हाल ही में जब ज्योतिरादित्य के समर्थक उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए दबाव बढ़ा रहे थे तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य का नाम लिए बगैर उनके बारे में कोई टिप्पणी कर दी थी, जिसकी शिकायत राहुल गांधी से की गई है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक लगातार बैठकें कर रहे हैं. हाल ही में ज्योतिरादित्य ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात भी की थी. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि ज्योतिरादित्य को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाने के लिए अमित शाह सहयोग कर सकते हैं. वहीं सिंधिया की दूरभाष पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हुई लम्बी वार्ता भी इस बात को हवा दे रही है.
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इस घटनाक्रम से लगता है कि मध्य प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में अगर ज्यादा विधायक जुट गए, तो वे कभी भी नेतृत्व परिवर्तन का दबाव बना सकते हैं और कमलनाथ सरकार संकट में आ सकती है. सिंधिया समर्थक मंत्री लगातार विधायकों से संपर्क बनाए हुए हैं. प्रद्युम्न सिंह तोमर का चंबल के, गोविंद सिंह राजपूत का बुंदेलखंड से और तुलसी सिलावट का मालवा के विधायकों से संपर्क बना हुआ है. इनका दावा है कि करीब 60 विधायक उनके साथ हैं. कांग्रेस में अपनी लगातार उपेक्षा से ज्योतिरादित्य भी दुखी हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे. ज्योतिरादित्य उस इतिहास को दोहराना नहीं चाहते, इसलिए उनकी सक्रियता बढ़ गई है. सिंधिया समर्थकों का भोपाल आना-जाना बढ़ गया है.
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गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य के प्रति भाजपा का रवैया हमेशा से ही नरम रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान भी भाजपा की तरफ से ज्योतिरादित्य के खिलाफ बयानबाजी नहीं हुई. ज्योतिरादित्य भी भाजपा के खिलाफ कड़े शब्दों के इस्तेमाल से बचते रहे हैं. ज्योतिरादित्य का नाम कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में भी शामिल था. अगर वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए होते तो भाजपा को इससे असुविधा होती.
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित साह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके परिवार पर तीखा हमला बोला था. लेकिन अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष बन जाते तो भाजपा उन पर या उनके परिवार पर सीधा हमला नहीं कर पाती, क्योंकि उनकी दादी राजमाता सिंधिया भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रही हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे और वसुंधरा राजे भाजपा में हैं. वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और फिलहाल भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. यशोधरा राजे मप्र सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और फिलहाल शिवपुरी से भाजपा विधायक हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया हमेशा विवादों से दूर रहते हैं. उनका ऐसा कोई बयान अब तक सामने नहीं आया है, जिसके आधार पर भाजपा को आलोचना का मौका मिले. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का भी कोई मामला नहीं है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बोलने से भाजपा के बड़े नेता भी बचते हैं. मध्य प्रदेश में प्रभात झा और जयभान सिंह पवैया के अलावा कोई भी नेता सिंधिया पर सीधा हमला नहीं करता है. विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने ग्वालियर में सभा की थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलने की बजाए उन्होंने अपनी रैली में सिंधिया को श्रीमंत कहकर संबोधित किया था.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया के दूसरी पार्टी के नेताओं से भी रिश्ते अच्छे हैं. हाल ही में भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बयान दिया था कि ज्योदिरादित्य सिंधिया अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो यह गौरव की बात होगी. कैलाश विजयवर्गीय 29 जुलाई को मप्र के नए राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंचे थे. उसके बाद भाजपा कार्यालय में उन्होंने पत्रकारों से बात की. पत्रकारों ने उनसे सिंधिया के अध्यक्ष बनने की संभावना पर सवाल किया था. उन्होंने कहा, मेरी शुभकामनाएं सिंधियाजी को कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें. यह मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात होगी.
सोशल मीडिया में राहुल गांधी को ट्रोल किया जाता है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी रैलियों में संतुलित भाषण देते हैं. ऐसे में अगर सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष बन जाते तो सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा को कोई विशेष फायदा नहीं होता जैसा सोशल मीडिया का फायदा बीजेपी गांधी परिवार के खिलाफ लेती है.
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इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया युवाओं की पसंद हैं. जानकारों का कहना है कि अगर इस समय कांग्रेस में कोई नेता है जो पीएम मोदी की लोकप्रियता को टक्कर दे सकता है तो वह केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की आक्रामक शैली युवाओं की पसंद बनती जा रही है. सिंधिया अपने भाषणों में आक्रमक नजर आते हैं, लेकिन सिंधिया अपनी चुनावी रैलियों में कभी भी अपनी बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे पर हमला नहीं करते हैं. ऐसे में कभी कांग्रेस में सिंधिया के लिए मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में भाजपा आज भी विजयाराजे सिंधिया के नाम पर सियासत करती है. अगर सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष बनते तो भाजपा को मध्यप्रदेश में सिंधिया के खिलाफ रणनीति बनाने में मशक्कत करनी पड़ती. लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के अलावा भाजपा का कोई भी बड़ा नेता गुना-शिवपुरी प्रचार के लिए नहीं पहुंचा था.
सोनिया गांधी के दुबारा कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के कुछ दिनों पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजधानी भोपाल का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था- पार्टी के लिए अभी कठिन हालात हैं. अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस में संकट की घड़ी है. कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग पर सिंधिया ने कहा कि अभी हमें कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत है. इस वक्त पार्टी को एक ऊर्जावान नेतृत्व की जरूरत है. सिंधिया ने कहा- राहुल जी ने जो रास्ता दिखाया है, मेरी विचारधारा है कि सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता उसी रास्ते पर चल कर पार्टी को फिर से मजबूत करें.